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MP: 200 करोड़ की लागत से टीकमगढ़ में बन रहा है विश्व का पहला रजत मंदिर - आचार्य विद्यासागर

टीकमगढ़ में विश्व का पहला रजत मंदिर तैयार हो रहा है. इस मंदिर 24 तीर्थंकरों की 2-2 क्विंटल की चांदी की प्रतिमा स्थापित होगी. मंदिर का निर्माण 200 करोड़ की लागत से होगा.

पहला रजत मंदिर
पहला रजत मंदिर
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Published : Apr 25, 2021, 10:10 PM IST

टीकमगढ़ : मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में देश के पहले रजत मंदिर का निर्माण हो रहा है. ये मंदिर 200 करोड़ की लागत से बन रहा है. इस मंदिर में 24 तीर्थंकरों की 2-2 क्विंटल की चांदी की प्रतिमा लगाई जाएगी. साथ ही मंदिर का निर्माण जैसलमेर से मंगवाए गए पीले संगमरमर के पत्थरों से होगा. ये पत्थर सोने के पत्थरों की तरह लगते हैं. 5 साल में ये मंदिर बनकर तैयार होगा.

इस तरह बनेगा मंदिर
इस तरह बनेगा मंदिर

200 करोड़ की लागत से हो रहा है निर्माण

टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर झांसी मार्ग पर अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के पहले रजत मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. इसकी परिकल्पना आचार्य विद्यासागर महाराज ने की थी. इस मंदिर का शिलान्यास 18 नवंबर 2018 को किया था. इस मंदिर का निर्माण 200 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है. मंदिर का निर्माण जैसलमेर से मंगाए गए पीले संगमरमर से किया जाएगा, जो सोने जैसा लगता है.

पांच साल में बनकर तैयार होगा मंदिर

मंदिर में विराजमान 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं 25 इंच ऊंची और 2-2 क्विंटल चांदी की होगी. जानकारों की मानें तो वर्तमान भाव के हिसाब से एक प्रतिमा करीब 1 करोड़ 32 लाख रुपए से ज्यादा कीमत की होगी. कमेटी के सदस्य प्रदीप जैन के अनुसार रजत मंदिर का नक्शा अहमदाबाद के आर्किटेक्ट विपुल ने बनाया है. मंदिर के सामने सहस्त्र कूट जिनालय का निर्माण भी होगा, जिसमें 1008 श्रीजी की प्रतिमाएं विराजमान होंगी. यह मंदिर पांच साल में बनकर तैयार हो जाएगा.

24 तीर्थंकरों की मूर्ति होगी स्थापित
24 तीर्थंकरों की मूर्ति होगी स्थापित

2018 में आचार्य विद्यासागर ने की थी परिकल्पना

आचार्य विद्यासागर 30 जून 2018 काे बाबा अजितनाथ के दरबार में पहुंचे थे. तब उनका 50वां दीक्षा दिवस मनाया गया. कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जैन ने बताया कि आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे भगवान मुझे यहां रोक रहे हों. उसी समय उनके मन में एक परिकल्पना ने जन्म लिया और आचार्यश्री ने कहा अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के प्रथम रजत मंदिर का निर्माण होगा. बंधा कमेटी ने इस बात को सहर्ष स्वीकार किया और अब आचार्यश्री की कल्पना को मूर्त रूप दिया जा रहा है.

पढ़ें - कोरोना का असर : अब 10 मई को नहीं खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट

टीकमगढ़ : मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में देश के पहले रजत मंदिर का निर्माण हो रहा है. ये मंदिर 200 करोड़ की लागत से बन रहा है. इस मंदिर में 24 तीर्थंकरों की 2-2 क्विंटल की चांदी की प्रतिमा लगाई जाएगी. साथ ही मंदिर का निर्माण जैसलमेर से मंगवाए गए पीले संगमरमर के पत्थरों से होगा. ये पत्थर सोने के पत्थरों की तरह लगते हैं. 5 साल में ये मंदिर बनकर तैयार होगा.

इस तरह बनेगा मंदिर
इस तरह बनेगा मंदिर

200 करोड़ की लागत से हो रहा है निर्माण

टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर झांसी मार्ग पर अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के पहले रजत मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. इसकी परिकल्पना आचार्य विद्यासागर महाराज ने की थी. इस मंदिर का शिलान्यास 18 नवंबर 2018 को किया था. इस मंदिर का निर्माण 200 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है. मंदिर का निर्माण जैसलमेर से मंगाए गए पीले संगमरमर से किया जाएगा, जो सोने जैसा लगता है.

पांच साल में बनकर तैयार होगा मंदिर

मंदिर में विराजमान 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं 25 इंच ऊंची और 2-2 क्विंटल चांदी की होगी. जानकारों की मानें तो वर्तमान भाव के हिसाब से एक प्रतिमा करीब 1 करोड़ 32 लाख रुपए से ज्यादा कीमत की होगी. कमेटी के सदस्य प्रदीप जैन के अनुसार रजत मंदिर का नक्शा अहमदाबाद के आर्किटेक्ट विपुल ने बनाया है. मंदिर के सामने सहस्त्र कूट जिनालय का निर्माण भी होगा, जिसमें 1008 श्रीजी की प्रतिमाएं विराजमान होंगी. यह मंदिर पांच साल में बनकर तैयार हो जाएगा.

24 तीर्थंकरों की मूर्ति होगी स्थापित
24 तीर्थंकरों की मूर्ति होगी स्थापित

2018 में आचार्य विद्यासागर ने की थी परिकल्पना

आचार्य विद्यासागर 30 जून 2018 काे बाबा अजितनाथ के दरबार में पहुंचे थे. तब उनका 50वां दीक्षा दिवस मनाया गया. कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जैन ने बताया कि आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे भगवान मुझे यहां रोक रहे हों. उसी समय उनके मन में एक परिकल्पना ने जन्म लिया और आचार्यश्री ने कहा अतिशय क्षेत्र बंधा में विश्व के प्रथम रजत मंदिर का निर्माण होगा. बंधा कमेटी ने इस बात को सहर्ष स्वीकार किया और अब आचार्यश्री की कल्पना को मूर्त रूप दिया जा रहा है.

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