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उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं कि उसने टीकों की कीमत का मुद्दा उठाया : चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय की एक टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वे देश की सर्वोच्च अदालत के आभारी हैं कि उसने कोरोना रोधी टीकों की कीमत और टीकों के निर्माण के लिए लाइसेंस की अनिवार्य व्यवस्था से जुड़े मुद्दे उठाए.

The Supreme
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Published : May 1, 2021, 12:28 AM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि यही मुद्दे कांग्रेस कई दिनों से उठाती आ रही है. पूर्व गृह मंत्री ने ट्वीट किया कि हम उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं कि उसने उन दो मुद्दों को उठाया है, जिन्हें कांग्रेस ने पहली बार 15 दिन पहले उठाए थे.

ये मुद्दे हैं, टीके की कीमतें और टीके के निर्माण के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग. चिदंबरम ने यह भी कहा कि सरकार ने कांग्रेस के सुझावों को दरकिनार कर दिया. प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री के पत्र को भी स्वीकार नहीं किया. स्वास्थ्य मंत्री अक्षम होने के साथ ही अशिष्ट भी नजर आए. देखते हैं कि उच्चतम न्यायालय की चिंताओं और सवाल पर सरकार किस तरह की प्रतिक्रिया देती है. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए क्योंकि गरीब आदमी टीके के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा.

यह भी पढ़ें-70 साल में मिली स्वास्थ्य संरचना की विरासत पर्याप्त नहीं, राजनीति न करें : कोरोना पर सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय ने पूछा कि हाशिये पर रह रहे लोगों और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की आबादी का क्या होगा? क्या उन्हें निजी अस्पतालों की दया पर छोड़ देना चाहिए? उसने कहा कि सरकार विभिन्न टीकों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पर विचार करे और उसे सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका देने पर विचार करना चाहिए.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि यही मुद्दे कांग्रेस कई दिनों से उठाती आ रही है. पूर्व गृह मंत्री ने ट्वीट किया कि हम उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं कि उसने उन दो मुद्दों को उठाया है, जिन्हें कांग्रेस ने पहली बार 15 दिन पहले उठाए थे.

ये मुद्दे हैं, टीके की कीमतें और टीके के निर्माण के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग. चिदंबरम ने यह भी कहा कि सरकार ने कांग्रेस के सुझावों को दरकिनार कर दिया. प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री के पत्र को भी स्वीकार नहीं किया. स्वास्थ्य मंत्री अक्षम होने के साथ ही अशिष्ट भी नजर आए. देखते हैं कि उच्चतम न्यायालय की चिंताओं और सवाल पर सरकार किस तरह की प्रतिक्रिया देती है. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए क्योंकि गरीब आदमी टीके के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा.

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न्यायालय ने पूछा कि हाशिये पर रह रहे लोगों और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की आबादी का क्या होगा? क्या उन्हें निजी अस्पतालों की दया पर छोड़ देना चाहिए? उसने कहा कि सरकार विभिन्न टीकों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पर विचार करे और उसे सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका देने पर विचार करना चाहिए.

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