कोलकाता : जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासत गरमाती जा रही है. अभियान के जरिए दोनों पार्टियां एक-दूसरे को पछाड़ने के सभी प्रयास कर रही हैं. भाजपा 'रथयात्रा' और तृणमूल कांग्रेस 'दीदीर दूत' के माध्यम से लोगों से जुड़ी रही हैं.
बदलते समय के साथ राजनीतिक प्रचार शैली और विशेषताओं में परिवर्तन हुए हैं. पारंपरिक रैलियों और बैठकों के अलावा, ऑनलाइन माध्यम से (साइबर-वॉर) इन दिनों चुनाव अभियान किए जा रहे हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए कि तृणमूल कांग्रेस ने 'दीदीर दूत' नाम से एक मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया है, जिसका उपयोग अभियान रैलियों में भी किया जा रहा है.
हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल लोक सभा सदस्य, अभिषेक बंदोपाध्याय ने दक्षिण 24 परगना जिले में चुनाव प्रचार के दौरान एक कार का इस्तेमाल किया था और जिस कार का उन्होंने इस्तेमाल किया था, उस पर 'दीदीर दूत' लिखा था.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोगों से जुड़ने के लिए 'दीदीर दूत' भाजपा की रथयात्रा का मुकाबला कर रहा है. रथ, जैसा कि भाजपा नेता बताते हैं, वास्तव में एक वाहन है, जिसके माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिलीप घोष और सुवेंदु अधिकारी प्रचार कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अभिषेक बंदोपाध्याय द्वारा एक समान अभियान चलाया जा रहा है.
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अभियानों के नाम अलग हो सकते हैं, लेकिन लक्ष्य समान है. दोनों दल चुनाव से पहले प्रचार के दौरान जितना संभव हो सके लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही आम पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा रहे हैं. दोनों दलों के नेताओं को लग रहा है कि यह रणनीति जनता के साथ सीधा संपर्क सुनिश्चित करेगी और जनता की नब्ज को महसूस करने में मददगार होगी.
अब सवाल यह है कि आखिरकार दोनों में से कौन सी पार्टी इस दौड़ में विजेता होगी? क्या ममता बनर्जी की अगुआई में तृणमूल कांग्रेस, तीसरी बार दीदी की जीत सुनिश्चित करेगी? या फिर रथयात्रा तृणमूल कांग्रेस के शासन को खत्म करने में भाजपा की मदद करेगी?