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कारगिल युद्ध में वीरों के अदम्य साहस की पूर्व सैन्यकर्मी ने सुनाई गाथा - sultan chaudhry who participate in kargil

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के अनेकों मशहूर गाथाएं आपने सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको पूर्व सैन्यकर्मी सुल्तान चौधरी से जुड़े कई किस्सों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो हौसलों से भरे और बहादुरी की मिसाल है.

करगिल दिवस
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Published : Jul 27, 2021, 11:50 AM IST

जम्मू-कश्मीर : सुल्तान चौधरी ने करगिल दिवस के मौके पर करगिल के सुनहरे पलों को याद किया और कारगिल से जुड़ी कई बातों को ईटीवी भारत से साझा किया. सुल्तान चौधरी कहते हैं कारगिल केवल यादें बनकर रह गया है. उन्होंने कहा में कारगिल के घटना को आज भी याद करता हूं, तो आंखों से आंसू आ जाते हैं, कारगिल की लड़ाई में मैंने अपने कई साथियों को खो दिया था.

सुल्तान चौधरी साहब ने करगिल दिवस के मौके ईटीवी भारत से बातचीत

सुल्तान चौधरी ने कहा कारगिल युद्ध के दौरान, न केवल पाकिस्तानी बल्कि कई भारतीय सैनिक भी मारे गए थे. कारगिल युद्ध के दौरान सुल्तान चौधरी ने जो दृश्य देखा, उसे सुनना महत्वपूर्ण है. सुल्तान चौधरी ने कहा कि13,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात था. जब पर हमला हुआ, उस हमले मेरे दो साथियों की मौत हो गई थी और मैं करीब 500 फीट नीचे गिर गया था. इस हादसे में सुल्तान चौधरी का जबड़ा, हाथ और पैर भी टूट गया था.

इसे भी पढ़े-जम्मू-कश्मीर : कुलगाम मुठभेड़ में एक आतंकवादी ढेर

सुल्तान चौधरी 2001 में सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उन्होंने फिर भी एक सैन्यकर्मी के रूप में फिर से सेवा देने की पेशकश की, उनका कहना है कि जब भी देश को उनकी आवश्यकता होगी, वे सबसे पहले खुद को पेश करेंगे. सेना में मुस्लिम युवाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुसलमानों की संख्या आबादी से कम है. हालांकि, अगर मुस्लिम युवाओं को ओबीसी आरक्षण के अनुसार 9 फीसदी की दर से भर्ती किया जाता है, तो मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.

देश के मौजूदा हालात पर उन्होंने कहा कि अगर असली भाईचारा देखना है. तो सेना को देखिए जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. उन्होंने कहा,राजनीतिक नेता नफरत फैलाने का काम करते हैं. लेकिन सेना में कोई भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि अनुशासन होता है और अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

जम्मू-कश्मीर : सुल्तान चौधरी ने करगिल दिवस के मौके पर करगिल के सुनहरे पलों को याद किया और कारगिल से जुड़ी कई बातों को ईटीवी भारत से साझा किया. सुल्तान चौधरी कहते हैं कारगिल केवल यादें बनकर रह गया है. उन्होंने कहा में कारगिल के घटना को आज भी याद करता हूं, तो आंखों से आंसू आ जाते हैं, कारगिल की लड़ाई में मैंने अपने कई साथियों को खो दिया था.

सुल्तान चौधरी साहब ने करगिल दिवस के मौके ईटीवी भारत से बातचीत

सुल्तान चौधरी ने कहा कारगिल युद्ध के दौरान, न केवल पाकिस्तानी बल्कि कई भारतीय सैनिक भी मारे गए थे. कारगिल युद्ध के दौरान सुल्तान चौधरी ने जो दृश्य देखा, उसे सुनना महत्वपूर्ण है. सुल्तान चौधरी ने कहा कि13,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात था. जब पर हमला हुआ, उस हमले मेरे दो साथियों की मौत हो गई थी और मैं करीब 500 फीट नीचे गिर गया था. इस हादसे में सुल्तान चौधरी का जबड़ा, हाथ और पैर भी टूट गया था.

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सुल्तान चौधरी 2001 में सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उन्होंने फिर भी एक सैन्यकर्मी के रूप में फिर से सेवा देने की पेशकश की, उनका कहना है कि जब भी देश को उनकी आवश्यकता होगी, वे सबसे पहले खुद को पेश करेंगे. सेना में मुस्लिम युवाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुसलमानों की संख्या आबादी से कम है. हालांकि, अगर मुस्लिम युवाओं को ओबीसी आरक्षण के अनुसार 9 फीसदी की दर से भर्ती किया जाता है, तो मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.

देश के मौजूदा हालात पर उन्होंने कहा कि अगर असली भाईचारा देखना है. तो सेना को देखिए जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. उन्होंने कहा,राजनीतिक नेता नफरत फैलाने का काम करते हैं. लेकिन सेना में कोई भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि अनुशासन होता है और अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

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