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फिर सामने आया अंधविश्वास का मामला, नवजात बच्चे और मां को गांव के बाहर झोपड़ी में रखा

कर्नाटक के तुमकुर जिले में अंविश्वास के चलते एक मां और उसके नवजात बच्चे को गांव के बाहर एक झोपड़ी में रखा गया था. इसकी जानकारी जब गुब्बी कोर्ट के जज को मिली तो उन्होंने वहां जाकर उन्हें वहां से बाहर निकाला.

newborn baby and mother saved
नवजात बच्चे और मां को बचाया
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2023, 9:25 PM IST

तुमकुर: कर्नाटक के तुमकुर में एक घटना सामने आई, जिसमें अंधविश्वास के चलते एक महिला को उसके नवजात बच्चे के साथ गांव से बाहर रखा गया. जानकारी के अनुसार यह घटना तुमकुर जिले के गुब्बी तालुक के गोलारहट्टी में से सामने आई है. जानकारी मिलने पर गुब्बी कोर्ट के जज ने मौके का दौरा किया और इस अंधविश्वासी कृत्य को बंद कराया. कुछ माह पहले इसी तरह गोल्लारहट्टी में मां और बच्चे को झोपड़ी में रखा गया था, जिससे बीमारी के चलते बच्चे की मौत हो गई थी.

वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश और जेएमएफसी, गुब्बी, उंडी मंजुला शिवप्पा, जिन्होंने बुधवार को महिला और बच्चे को गांव के बाहर रखने की जानकारी सुनने के बाद तुरंत मौके का दौरा किया और उन्होंने गांव के बाहर रखे गए शिशु और मां को बचाया. साथ ही परिजनों को समझाकर स्थिति से अवगत कराकर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर भेज दिया. जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से इस बच्चे और मां को गांव के बाहर एक झोपड़ी में रखा गया था.

बच्चे को एक छोटी सी झोपड़ी में बिना साफ-सफाई के अस्वच्छ वातावरण में रखा गया था. गांव का दौरा करने वाली जज ने बच्चे को खुद उठाया और घर ले आईं. जज ने लोगों को चेतावनी भी दी है कि अगर दोबारा ऐसी घटना हुई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कडुगोल्ला समुदाय के अनुष्ठानों के अनुसार महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे 'सूतक काल' के कारण गांव के बाहर रखा गया था. हिंदू परंपरा के अनुसार सूतक काल को अशुभ माना जाता है.

ऐसी मान्यता है कि इस दौरान ग्रहों की चाल अनुकूल नहीं होती है और इस दौरान कोई भी जन्म या मृत्यु उस घर में दुर्भाग्य लाता है, जहां यह होता है. ठीक एक महीने पहले गोल्लरहट्टी गांव के बाहर भी एक मां और बच्चे को अंधविश्वास के तहत एक झोपड़ी में रखा गया था. कडुगोल्ला समुदाय ने अपनी परंपरा के अनुसार मां और बच्चे को सुताका के रूप में एक झोपड़ी में रखा. बच्ची बीमार पड़ गई और इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

तुमकुर: कर्नाटक के तुमकुर में एक घटना सामने आई, जिसमें अंधविश्वास के चलते एक महिला को उसके नवजात बच्चे के साथ गांव से बाहर रखा गया. जानकारी के अनुसार यह घटना तुमकुर जिले के गुब्बी तालुक के गोलारहट्टी में से सामने आई है. जानकारी मिलने पर गुब्बी कोर्ट के जज ने मौके का दौरा किया और इस अंधविश्वासी कृत्य को बंद कराया. कुछ माह पहले इसी तरह गोल्लारहट्टी में मां और बच्चे को झोपड़ी में रखा गया था, जिससे बीमारी के चलते बच्चे की मौत हो गई थी.

वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश और जेएमएफसी, गुब्बी, उंडी मंजुला शिवप्पा, जिन्होंने बुधवार को महिला और बच्चे को गांव के बाहर रखने की जानकारी सुनने के बाद तुरंत मौके का दौरा किया और उन्होंने गांव के बाहर रखे गए शिशु और मां को बचाया. साथ ही परिजनों को समझाकर स्थिति से अवगत कराकर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर भेज दिया. जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से इस बच्चे और मां को गांव के बाहर एक झोपड़ी में रखा गया था.

बच्चे को एक छोटी सी झोपड़ी में बिना साफ-सफाई के अस्वच्छ वातावरण में रखा गया था. गांव का दौरा करने वाली जज ने बच्चे को खुद उठाया और घर ले आईं. जज ने लोगों को चेतावनी भी दी है कि अगर दोबारा ऐसी घटना हुई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कडुगोल्ला समुदाय के अनुष्ठानों के अनुसार महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे 'सूतक काल' के कारण गांव के बाहर रखा गया था. हिंदू परंपरा के अनुसार सूतक काल को अशुभ माना जाता है.

ऐसी मान्यता है कि इस दौरान ग्रहों की चाल अनुकूल नहीं होती है और इस दौरान कोई भी जन्म या मृत्यु उस घर में दुर्भाग्य लाता है, जहां यह होता है. ठीक एक महीने पहले गोल्लरहट्टी गांव के बाहर भी एक मां और बच्चे को अंधविश्वास के तहत एक झोपड़ी में रखा गया था. कडुगोल्ला समुदाय ने अपनी परंपरा के अनुसार मां और बच्चे को सुताका के रूप में एक झोपड़ी में रखा. बच्ची बीमार पड़ गई और इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

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