नई दिल्ली : केंद्र ने उपग्रह की तस्वीरों के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं का सीमांकन करने का निर्णय लिया है. दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह कार्य उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईएसएसी) को दिया गया है जो अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) और पूर्वोत्तरी परिषद (एनईसी) की संयुक्त पहल है. एनईएसएसी उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करके पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है.
अंतरराज्यीय सीमा विवाद हाल में सुर्खियों में रहा है जब असम-मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए संघर्ष में असम के पांच पुलिस कर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ महीने पहले उपग्रह की तस्वीरों के माध्यम से अंतर-राज्यीय सीमाओं के सीमांकन का विचार रखा था. शाह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतर-राज्यीय सीमाओं और जंगलों के मानचित्रण और राज्यों के बीच सीमाओं के लिए एनईएसएसी को शामिल करने का सुझाव दिया था.
शिलांग स्थित एनईएसएसी पहले से ही इस क्षेत्र में बाढ़ प्रबंधन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सीमाओं के सीमांकन में वैज्ञानिक तरीके अपनाने से, किसी भी विसंगति की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी और राज्य, सीमा विवाद के समाधान को बेहतर तरीके से स्वीकार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि उपग्रह से मानचित्रण हो जाने के बाद, पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं खींची जा सकती हैं और विवादों को स्थायी रूप से सुलझाया जा सकता है.
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असम और मिजरोम के बीच सीमा विवाद को लेकर 26 जुलाई को मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों पर गोलीबारी कर दी जिसमें असम के पांच पुलिस कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई तथा एक पुलिस अधीक्षक समेत 50 अन्य जख्मी हो गए. मिजोरम सरकार का दावा है कि इनर लाइन रिजर्व वन क्षेत्र में 509 वर्ग मील का हिस्सा उसका है जिसे 1875 में बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन 1873 के तहत अधिसूचित किया गया था. जबकि असम का कहना है कि 1993 में भारतीय सर्वेक्षण द्वारा खींची गई सीमा और संवैधानिक मानचित्र उसे स्वीकार्य है.
(पीटीआई-भाषा)