देहरादून: तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. अफगान जनता अब तालिबानों के रहमो-करम पर हैं. तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. साथ ही पूरे विश्व की नजर अफगानिस्तान के ताजा हालात पर है.
देहरादून में अफगानी मूल के लोग: देहरादून में अफगानी मूल के लोग रहते हैं. इनमें से एक परिवार है बादशाह का. अभी यहां बादशाह की चौथी पीढ़ी रह रही है. बादशाह का परिवार 1876 में यहां शिफ्ट हुआ था. परिवार के सदस्य मोहम्मद अली खान देहरादून के राजपुर रोड इलाके में रह रहे हैं. वो अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से काफी दुखी नजर आ रहे हैं. उन्होंने विश्व के सभी देशों से मदद की गुहार लगाई है.
अफगानिस्तान के हालात से चिंतित: अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब होने के कारण लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं. जब से सत्ता तालिबान के हाथों में आई है, तब से अफगानिस्तान से जुड़े हर शख्स को सबसे बड़ी चिंता महिलाओं और बच्चों की सता रही है. अफगान बादशाह की चौथी पीढ़ी जो वर्तमान समय में देहरादून के राजपुर रोड पर रह रही है वो अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से काफी दुखी नजर आ रहे हैं. वो विश्व के सभी देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद देहरादून में रहने वाले अफगान बादशाह परिवार के सदस्य मोहम्मद अली खान ने बताया कि इस समय अफगानिस्तान को विश्व से मदद की दरकार है. खासकर वहां रहने वाली बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा काफी अहम है. क्योंकि, वहां के लोगों को यह बात अच्छी तरह से पता है कि तालिबानी उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं.
काबुल में हालात डरावने: मोहम्मद अली खान ने वहां के हालात बयां करते हुए कहा कि अभी काबुल में रहने वाले एक डॉक्टर से बात हुई. बात करके पता चला है कि पूरे देश की जनता घबराई हुई है. वो तालिबान के चंगुल से आजाद होना चाहते हैं. जो लोग अमीर और सक्षम हैं, वो देश छोड़कर भाग रहे हैं. जो लोग मजबूरी में वहां फंसे हुए हैं, वो काफी डरे हुए हैं. क्योंकि, अफगानिस्तान के दूर-दराज के प्रांतों में तालिबान ने अपना धार्मिक एजेंडा खुलकर लागू कर दिया है. इससे महिलाओं और बच्चों का जीना मुश्किल हो गया है.
1876 में देहरादून शिफ्ट हुआ बादशाह परिवार: बता दें कि अफगान बादशाह परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य मोहम्मद अली खान अपने परिवार के साथ देहरादून के राजपुर रोड पर रहते हैं. 1876 में उनका परिवार देहरादून शिफ्ट हुआ था. उनकी चचेरी बहन सुहैला करजई, अफगानिस्तान में करीब 7 महीने पहले तक जनरल रह चुकी हैं. अफगानिस्तान के हालत को देखते हुए खान परिवार विश्व के सभी देशों से सहयोग की उम्मीद कर रहा है. ताकि वहां के हालात सामान्य हो सकें. परिवार के सदस्य मोहम्मद अली कहते हैं तालिबान के हाथ सत्ता आ चुकी है. ऐसे में जरूरत है कि वहां अमन चैन बना रहे. हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है.
बासमती के लिए जाने जाते हैं अफगानी: देहरादून की बासमती विश्व प्रसिद्ध है. इसकी खुशबू और स्वाद की दुनिया दीवानी है. दून में बासमती लाने का श्रेय अफगानों को ही जाता है. प्रथम अफगान युद्ध के बाद ब्रिटिश फौजों ने 1839 में तत्कालीन बादशाह दोस्त मोहम्मद खान को मसूरी में निर्वासित कर दिया था. वापस अफगानिस्तान लौटने से पहले खान करीब ढाई साल देहरादून और मसूरी में रहे.
दूसरे अफगान युद्ध के बाद उनका परिवार 1876 में फिर देहरादून लौट आया. खान के वंशज मोहम्मद अली खान बताते हैं कि इस दौरान बादशाह के साथ ही सबसे पहले अफगानी बासमती देहरादून पहुंची. फिर देहरादून की मिट्टी में ऐसी रची-बसी कि देहरादून की ही होकर रह गई. देहरादून और मसूरी में बाला हिसार एस्टेट, बादशाह परिवार की ही है. देहरादून में सर्वे चौक के पास की ज्यादातर जमीनें भी एक वक्त बादशाह परिवार के नाम पर ही थीं.