चित्तौड़गढ़. मादक पदार्थ तस्करी के एक मामले में पेशी के दौरान एक अजीब वाकया सामने आया. आरोपी की कोर्ट में तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया. न्यायालय ने बहस सुनने के बाद आरोपी को दोषमुक्त कर दिया, लेकिन अपनी दोष मुक्ति की सूचना से पहले ही आरोपी की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई. वहीं, पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव को परिजनों को सुपुर्द कर दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मीलाल पोखरना ने बताया कि उनके एक मुवक्किल भीलवाड़ा निवासी दीपक सोनी की शुक्रवार को एनडीपीएस कोर्ट क्रमांक 1 में पेशी के दौरान तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद आनन-फानन में उसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. अधिवक्ता पोखरना ने बताया कि उन्होंने पीठासीन अधिकारी राजेंद्र शर्मा को पूरे वाकया से अवगत कराया. जिसके बाद उसे बाहर बैठाने को कहा गया. इस बीच तबीयत अधिक बिगड़ने पर उसे तत्काल जिला चिकित्सालय ले जाया गया. इधर, मामले में शुक्रवार को अंतिम बहस होने के साथ ही फैसला भी होना था.
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पीठासीन अधिकारी शर्मा ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपी दीपक सोनी को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया. हालांकि, जब अधिवक्ता पोखरना ने इसकी सूचना देने के लिए सोनी को फोन लगाया तो उसने फोन नहीं उठाया. कुछ समय बाद उनके साथियों ने फोन लगाकर दीपक के दोषमुक्त होने की सूचना दी, लेकिन इस बीच पता चला कि 10 मिनट पहले उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई. यह सुनकर सभी स्तब्ध रह गए. सूचना पर सदर पुलिस हॉस्पिटल पहुंची और पोस्टमार्टम करवाकर शव को परिजनों को सौंप दिया. उन्होंने बताया कि रात में पुलिस थाने पर 2010 में डोडा चूरा के मामले में दीपक सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.