मुंबई: साल 2023 में महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा घटनाक्रम एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का इस्तीफा है. 2 मई को पवार ने एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. पवार ने अपनी आत्मकथा 'लोक माजे संगति' के विमोचन के दौरान संन्यास की घोषणा की. इसके बाद देखा गया कि राष्ट्रवादी पार्टी में दो धड़े हो गए हैं. उनमें से कुछ जोर दे रहे थे कि शरद पवार अपना इस्तीफा वापस ले लें. कुछ लोगों की राय थी कि शरद पवार द्वारा उठाया गया कदम बहुत सही है. राकांपा की मौजूदा स्थिति पर शिवसेना (ठाकरे गुट) के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय छपा है, जिसमें शरद पावर के इस्तीफे को लेकर कई दावे किए गए हैं.
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि शरद पवार ने एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से जल्दबाजी में इस्तीफा दिया है. संपादकीय के अनुसार शरद पवार के समर्थकों का कहना है कि वह एक मई को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन उसी दिन बीकेसी मैदान में महाविकास अघाड़ी की बैठक थी, इसलिए शरद पवार ने इस निर्णय को टाल दिया और उसके अगले दिन अपनी आत्मकथा के विमोचन के दौरान इस्तीफे की घोषणा की. खास बात यह है कि उन्होंने अपना इस्तीफा भाषण भी लिखा था, यानी उन्होंने इसका ड्राफ्ट पहले ही तैयार कर लिया था.
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सामना के संपादकीय में आगे कहा गया है कि शरद पवार की उम्र अभी 80 वर्ष से अधिक नहीं हुई है. उनके इस्तीफे के बाद जयंत पाटिल ने कार्यकर्ताओं की भावनाओं को व्यक्त किया लेकिन इन सभी के मनाने के बाद भी शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया. संपादकीय के अनुसार एनसीपी का एक गुट बीजेपी के पास पहुंचा है, जबकि शरद पवार ने इस्तीफा देकर यह साबित करने का प्रयास किया है कि राज्य की राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है. इस संपादकीय के अनुसार शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में क्या लिखा है यह अलग विषय है लेकिन शरद पवार ने एनसीपी से इस्तीफा देकर एक 'मास्टर स्ट्रोक' खेला है. सामना के अनुसार पवार राजनीति के 'भीष्म' हैं और उन्होंने दिखा दिया है कि वे 'कायर' नहीं बल्कि 'मास्टरमाइंड' हैं.