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Terrorist in bengal : बेरोजगार युवाओं का ब्रेनवॉश, खुद को 'जयराम' बता 'रहमान' कर रहे 'दोस्ती' - Terrorist organizations

आतंकी संगठन पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन और उससे पैदा हुए बेराेजगारी का फायदा उठा रहे हैं. बेराेजगार युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकी संगठनाें से जोड़ रहे हैं जाे पुलिस प्रशासन के लिए नई मुसीबत बन गई है, इतना ही नहीं उन्हाेंने धर्म काे भी एक जरिया बना रखा है. पढ़े पूरी खबर...

पहचान
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Published : Aug 8, 2021, 4:14 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 7:42 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के धनियाखली की रहने वाली प्रज्ञा देबनाथ 2009 में अपने घर से लापता हो गई थी. दस साल बाद 2019 में उसे बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह अब प्रज्ञा देबनाथ नहीं, बल्कि उसका नया नाम आयशा जन्नत मोहोना हो गया था.

यह मेधावी छात्रा जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) की महिला प्रकोष्ठ की सक्रिय सदस्य निकली. भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अल हलीफ उर्फ अबू इब्राहिम, उपमहाद्वीप में सबसे खूंखार इस्लामिक स्टेट (आईएस) संचालकों में से एक को 2020 में बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था. यह आईएस हैंडलर पहले अर्थशास्त्र का एक मेधावी छात्र था.

सुजीत चंद्र देबनाथ के वेश में हलीफ बेंगलुरु में एक राजमिस्त्री के सहायक के रूप में काम कर रहा था. उसकी गिरफ्तारी एनआईए जांचकर्ताओं के लिए आश्चर्य का विषय रहा. ऐसे कई उदाहरण हैं जब आतंकी संचालकों ने धर्म का इस्तेमाल जांचकर्ताओं के लिए एक आवरण के रूप में किया है.

कोलकाता के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी समूहों के लिए धर्म अब वर्जित नहीं, बल्कि वे इसे अपनी पहचान छिपाने के लिए एक जरिया के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. धर्म बदलना अब इन आकाओं के लिए कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है, बल्कि वे जांच एजेंसियाें को चकमा देने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहे हैं.

एसटीएफ अधिकारी शहर के दक्षिण काेलकाता के हरिदेबपुर से कोलकाता पुलिस बल द्वारा हाल ही में की गई गिरफ्तारी का जिक्र कर रहे थे. कुछ दिनों पहले, एसटीएफ ने तीन जेएमबी संचालकों - नजीउर रहमान पावेल, मिकाइल खान और रबीउल इस्लाम को गिरफ्तार किया था - जो भारत में घुस आए थे और शहर के एक पॉश रिहायशी इलाके में रह रहे थे.

पहचान से बचने के लिए पावेल ने हिंदू नाम जयराम बेपारी का इस्तेमाल किया. उसने और मेकैल खान उर्फ शेख शब्बीर ने हरिदेवपुर इलाके में दो हिंदू महिलाओं से दोस्ती की और अगले महीने शादी करने की योजना बनाई. इससे उन्हें बिना संदेह के और लोगों को भर्ती करने में मदद मिली. आईएएनएस ने परिवारों की रक्षा के लिए महिलाओं की पहचान का खुलासा नहीं किया है.

इन आतंकवादियों के लिए शादी एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रभावी साधन है. यह न केवल उन्हें आसानी से भारतीय पहचान प्राप्त करने में मदद करता है बल्कि साथ ही एक स्थायी पहचान हासिल करने में मदद करता है जो अंतत: एक प्रभावी सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है. राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों और पुलिस भी इससे कभी-कभी अनजान रहती है.

इसके अलावा लॉकडाउन और उसके बाद की बेरोजगारी ने इन आतंकी समूहों के काम को आसान बना दिया है. बांग्लादेश से लगी सीमा और बेरोजगारी का फायदा उठाकर जेएमबी, अंसारुल्लाह गुट और यहां तक कि आईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूह राज्य में अपना जाल फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

कभी सीधी बातचीत के जरिए तो कभी ऑनलाइन के जरिए वे राज्य में बेरोजगार युवा लड़के-लड़कियों को निशाना बना रहे हैं. कोलकाता पुलिस की एनआईए और एसटीएफ ने यह जानकारी उन तीन जेएमबी आतंकवादियों से हासिल की है, जिन्हें हाल ही में कोलकाता के दक्षिणी बाहरी इलाके में एक कॉलोनी से एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था.

राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेधावी बेरोजगारों का ब्रेनवॉश केवल जमीनी स्तर पर पुलिस कर्मियों द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : बंगाल के युवाओं पर Pak की नजर, सद्दाम और नाजिम के खाताें में लाखाें रुपये ट्रांसफर

राज्य पुलिस अधिकारियों को इन तर्ज पर कांस्टेबल स्तर के कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए. दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं हुआ है. राज्य पुलिस में कर्मियों की कमी है और यह मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था की समस्याओं से निपटने में व्यस्त हैं. उनमें से बहुत कम स्लीपर सेल के खतरे से निपटने के लिए प्रशिक्षित हैं.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के धनियाखली की रहने वाली प्रज्ञा देबनाथ 2009 में अपने घर से लापता हो गई थी. दस साल बाद 2019 में उसे बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह अब प्रज्ञा देबनाथ नहीं, बल्कि उसका नया नाम आयशा जन्नत मोहोना हो गया था.

यह मेधावी छात्रा जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) की महिला प्रकोष्ठ की सक्रिय सदस्य निकली. भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अल हलीफ उर्फ अबू इब्राहिम, उपमहाद्वीप में सबसे खूंखार इस्लामिक स्टेट (आईएस) संचालकों में से एक को 2020 में बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था. यह आईएस हैंडलर पहले अर्थशास्त्र का एक मेधावी छात्र था.

सुजीत चंद्र देबनाथ के वेश में हलीफ बेंगलुरु में एक राजमिस्त्री के सहायक के रूप में काम कर रहा था. उसकी गिरफ्तारी एनआईए जांचकर्ताओं के लिए आश्चर्य का विषय रहा. ऐसे कई उदाहरण हैं जब आतंकी संचालकों ने धर्म का इस्तेमाल जांचकर्ताओं के लिए एक आवरण के रूप में किया है.

कोलकाता के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी समूहों के लिए धर्म अब वर्जित नहीं, बल्कि वे इसे अपनी पहचान छिपाने के लिए एक जरिया के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. धर्म बदलना अब इन आकाओं के लिए कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है, बल्कि वे जांच एजेंसियाें को चकमा देने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहे हैं.

एसटीएफ अधिकारी शहर के दक्षिण काेलकाता के हरिदेबपुर से कोलकाता पुलिस बल द्वारा हाल ही में की गई गिरफ्तारी का जिक्र कर रहे थे. कुछ दिनों पहले, एसटीएफ ने तीन जेएमबी संचालकों - नजीउर रहमान पावेल, मिकाइल खान और रबीउल इस्लाम को गिरफ्तार किया था - जो भारत में घुस आए थे और शहर के एक पॉश रिहायशी इलाके में रह रहे थे.

पहचान से बचने के लिए पावेल ने हिंदू नाम जयराम बेपारी का इस्तेमाल किया. उसने और मेकैल खान उर्फ शेख शब्बीर ने हरिदेवपुर इलाके में दो हिंदू महिलाओं से दोस्ती की और अगले महीने शादी करने की योजना बनाई. इससे उन्हें बिना संदेह के और लोगों को भर्ती करने में मदद मिली. आईएएनएस ने परिवारों की रक्षा के लिए महिलाओं की पहचान का खुलासा नहीं किया है.

इन आतंकवादियों के लिए शादी एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रभावी साधन है. यह न केवल उन्हें आसानी से भारतीय पहचान प्राप्त करने में मदद करता है बल्कि साथ ही एक स्थायी पहचान हासिल करने में मदद करता है जो अंतत: एक प्रभावी सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है. राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों और पुलिस भी इससे कभी-कभी अनजान रहती है.

इसके अलावा लॉकडाउन और उसके बाद की बेरोजगारी ने इन आतंकी समूहों के काम को आसान बना दिया है. बांग्लादेश से लगी सीमा और बेरोजगारी का फायदा उठाकर जेएमबी, अंसारुल्लाह गुट और यहां तक कि आईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूह राज्य में अपना जाल फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

कभी सीधी बातचीत के जरिए तो कभी ऑनलाइन के जरिए वे राज्य में बेरोजगार युवा लड़के-लड़कियों को निशाना बना रहे हैं. कोलकाता पुलिस की एनआईए और एसटीएफ ने यह जानकारी उन तीन जेएमबी आतंकवादियों से हासिल की है, जिन्हें हाल ही में कोलकाता के दक्षिणी बाहरी इलाके में एक कॉलोनी से एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था.

राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेधावी बेरोजगारों का ब्रेनवॉश केवल जमीनी स्तर पर पुलिस कर्मियों द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : बंगाल के युवाओं पर Pak की नजर, सद्दाम और नाजिम के खाताें में लाखाें रुपये ट्रांसफर

राज्य पुलिस अधिकारियों को इन तर्ज पर कांस्टेबल स्तर के कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए. दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं हुआ है. राज्य पुलिस में कर्मियों की कमी है और यह मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था की समस्याओं से निपटने में व्यस्त हैं. उनमें से बहुत कम स्लीपर सेल के खतरे से निपटने के लिए प्रशिक्षित हैं.

Last Updated : Aug 8, 2021, 7:42 PM IST
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