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'गर्भवती महिलाओं के खिलाफ पीडी अधिनियम बर्दाश्त नहीं' - पीडी अधिनियम बर्दाश्त नहीं

तेलंगाना हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से सवाल किया कि क्या मां के जुर्म के लिए बच्चे को सजा देना सही है. कोर्ट ने राज्य पुलिस की गलती पाते हुए कहा, गर्भवती महिलाओं पर अधिनियम के आवेदन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

तेलंगाना हाई कोर्ट
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Published : Jul 13, 2021, 2:35 PM IST

हैदराबाद : निवारक निरोध (Preventive Detention- PD) अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक गर्भवती महिला (pregnant woman ) को जेल में रखने के चलते राज्य पुलिस (state police) की गलती पाते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana high court) ने कहा कि वह गर्भवती महिलाओं पर अधिनियम के आवेदन को बर्दाश्त नहीं करेगी.

तेलंगाना हाई कोर्ट (Telangana high court) ने पुलिस अधिकारियों (police officers) से सवाल किया कि क्या मां के जुर्म के लिए बच्चे को सजा देना सही है. आगे कोर्ट (court) ने कहा कि मां के जुर्मों के लिए बच्चे को सजा देना उचित नहीं है.

दरअसल, नलगोंडा (Nalgonda) की एक महिला ने अपनी गर्भवती बेटी (pregnant daughter) की गिरफ्तारी को पीडी एक्ट (PD Act) के तहत चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (high court) में याचिका दायर (filed a petition) की है. इस याचिका पर जस्टिस ए. राजशेखर रेड्डी (Justices A. Rajasekhar Reddy) और शमीम अख्तर (Shamim Akhtar ) की बेंच ने 12 जुलाई को सुनवाई (heard the case) की थी.

पीठ (bench said) ने कहा कि हमने फैसला सुनाया है कि गर्भवती महिला (pregnant woman) को गिरफ्तार करना अनुचित है, यही फैसला (verdict) यहां क्यों लागू नहीं हुआ.

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को अदालत ने फैसला सुनाया कि एक गर्भवती महिला (pregnant woman) को गिरफ्तार करना उचित नहीं था और लोक अभियोजक से सवाल किया कि वही फैसला यहां क्यों लागू नहीं हुआ.

पढ़ें- लक्ष्मी पुरी और हरदीप पुरी के खिलाफ 24 घंटे के अंदर ट्वीट्स हटाने के आदेश

लोक अभियोजक (Public Prosecutor) टी. श्रीकांत रेड्डी (T. Srikanth Reddy) ने दलीलें सुनीं. (while hearing the arguments)

अदालत से पिछले फैसले पर एक नज़र डालने और उसके आधार पर दलीलें सुनने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया गया. अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने सुनवाई को 19 मई तक के लिए स्थगित कर दिया.

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने रंगारेड्डी जिले के मलकाजगिरी में वेश्यावृत्ति के अपराध में पीडी अधिनियम के तहत एक महिला को गिरफ्तार करने के आदेश को रद्द कर दिया. इस संदर्भ में कोर्ट ने कहा कि मां की गलतियों के लिए अजन्मे बच्चे को सजा देना उचित नहीं है.

गर्भवती महिलाओं को तनावपूर्ण जेलों से दूर रखना चाहिए. इसी के चलते आठ माह की गर्भवती महिला के मामले में अन्य पहलुओं पर जाए बिना पीडी अधिनियम के आदेश को खारिज करते हुए फैसला सुनाया गया.

हैदराबाद : निवारक निरोध (Preventive Detention- PD) अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक गर्भवती महिला (pregnant woman ) को जेल में रखने के चलते राज्य पुलिस (state police) की गलती पाते हुए, तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana high court) ने कहा कि वह गर्भवती महिलाओं पर अधिनियम के आवेदन को बर्दाश्त नहीं करेगी.

तेलंगाना हाई कोर्ट (Telangana high court) ने पुलिस अधिकारियों (police officers) से सवाल किया कि क्या मां के जुर्म के लिए बच्चे को सजा देना सही है. आगे कोर्ट (court) ने कहा कि मां के जुर्मों के लिए बच्चे को सजा देना उचित नहीं है.

दरअसल, नलगोंडा (Nalgonda) की एक महिला ने अपनी गर्भवती बेटी (pregnant daughter) की गिरफ्तारी को पीडी एक्ट (PD Act) के तहत चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (high court) में याचिका दायर (filed a petition) की है. इस याचिका पर जस्टिस ए. राजशेखर रेड्डी (Justices A. Rajasekhar Reddy) और शमीम अख्तर (Shamim Akhtar ) की बेंच ने 12 जुलाई को सुनवाई (heard the case) की थी.

पीठ (bench said) ने कहा कि हमने फैसला सुनाया है कि गर्भवती महिला (pregnant woman) को गिरफ्तार करना अनुचित है, यही फैसला (verdict) यहां क्यों लागू नहीं हुआ.

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को अदालत ने फैसला सुनाया कि एक गर्भवती महिला (pregnant woman) को गिरफ्तार करना उचित नहीं था और लोक अभियोजक से सवाल किया कि वही फैसला यहां क्यों लागू नहीं हुआ.

पढ़ें- लक्ष्मी पुरी और हरदीप पुरी के खिलाफ 24 घंटे के अंदर ट्वीट्स हटाने के आदेश

लोक अभियोजक (Public Prosecutor) टी. श्रीकांत रेड्डी (T. Srikanth Reddy) ने दलीलें सुनीं. (while hearing the arguments)

अदालत से पिछले फैसले पर एक नज़र डालने और उसके आधार पर दलीलें सुनने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया गया. अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने सुनवाई को 19 मई तक के लिए स्थगित कर दिया.

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने रंगारेड्डी जिले के मलकाजगिरी में वेश्यावृत्ति के अपराध में पीडी अधिनियम के तहत एक महिला को गिरफ्तार करने के आदेश को रद्द कर दिया. इस संदर्भ में कोर्ट ने कहा कि मां की गलतियों के लिए अजन्मे बच्चे को सजा देना उचित नहीं है.

गर्भवती महिलाओं को तनावपूर्ण जेलों से दूर रखना चाहिए. इसी के चलते आठ माह की गर्भवती महिला के मामले में अन्य पहलुओं पर जाए बिना पीडी अधिनियम के आदेश को खारिज करते हुए फैसला सुनाया गया.

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