हैदराबाद : तेलंगाना में टीआरएस के विधायकों की खरीद-फरोख्त (Horse-trading of TRS MLAs) को लेकर सत्तारूढ़ टीआरएस और भाजपा (BJP) नेताओं के आरोपों और आलोचना से राज्य में राजनीति गर्म हो गई है. इस मुद्दे पर तेलंगाना बीजेपी ने तेलंगाना हाईकोर्ट (High Court) का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले को सीबीआई (CBI) को ट्रांसफर करने के अलावा घटना पर एसआईटी की नियुक्ति की मांग की गई थी. इस पर तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक इस मामले में साइबराबाद पुलिस अपना जवाब दाखिल नहीं करती है, तब तक मामले की जांच को स्थगित रखा जाए.
वहीं हाई कोर्ट ने टीआरएस विधायकों के कथित खरीद-फरोख्त के मामले में तीन आरोपियों को 24 घंटे में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों को रिमांड पर लेने से इनकार करने के एसीबी कोर्ट के आदेश को साइबराबाद पुलिस ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मामले में तीनों आरोपियों को रिमांड पर लेने की अनुमति दी थी.
कोर्ट के द्वारा आरोपियों को साइबराबाद कमिश्नर स्टीफन रवींद्र के सामने तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया गया था. साथ ही कहा गया कि अगर वे आत्मसमर्पण नहीं करते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर एसीबी अदालत में पेश करे. मामले में बीजेपी के प्रदेश महासचिव जी. प्रेमेंद्र रेड्डी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि मोइनाबाद थाने में दर्ज मामले की जांच टीआरएस विधायक मामले को लेकर सीआईटी या सीबीआई से जांच कराई जाए. याचिका पर न्यायमूर्ति बी. विजयसेन रेड्डी ने उक्त अहम आदेश जारी किए. इस संबंध में अदालत ने जांच को 4 नवंबर तक स्थगित कर दिया. साथ ही पीठ ने राज्य सरकार समेत 8 प्रतिवादियों को काउंटर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है.
वहीं विधायकों की खरीद फरोख्त मामले के तीन आरोपियों को शनिवार को साइबराबाद पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया. रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, कोरे नंदा कुमार उर्फ नंदू और सिंहयाजी, जो कथित तौर पर जो भाजपा से जुड़े थे, तीनों को नंदू के आवास से गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें साइबराबाद पुलिस कमिश्नरेट ले जाया गया और वहां से मोइनाबाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां 26 अक्टूबर को एक फार्महाउस से तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चार विधायकों को मोटी रकम की पेशकश के साथ लुभाने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था. पुलिस उनके बयान दर्ज कर सकती है और मेडिकल जांच के बाद उन्हें न्यायिक रिमांड के लिए अदालत में पेश किया जाएगा.
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