ETV Bharat / bharat

600 वाहनों के साथ महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, जाएंगे भगवान विठ्ठल के मंदिर - तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव

भारत राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सोमवार से महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं. वह सड़क मार्ग से महाराष्ट्र के सोलापुर पहुंचे. सीएम केसीआर के साथ राज्य के मंत्री, सांसद, एमएलसी, विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित लगभग 600 वाहनों का एक विशाल काफिला है.

KCR's two-day visit to Maharashtra
केसीआर का दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरा
author img

By

Published : Jun 26, 2023, 8:02 PM IST

Updated : Jun 26, 2023, 10:15 PM IST

केसीआर का दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरा

हैदराबाद: तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र के सोलापुर के दौरे पर हैं. एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि केसीआर करीब 600 वाहनों के विशाल काफिले के साथ सड़क मार्ग से यात्रा से महाराष्ट्र के लिए निकले थे. उनके साथ राज्य के मंत्री, सांसद, पार्षद, विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं. महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर राव सोलापुर के पास पंढरपुर शहर में भगवान विट्ठल मंदिर और उस्मानाबाद में देवी तुलजा भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं.

वह एक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे, जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक लोकप्रिय नेता के बीआरएस में शामिल होने की अटकले हैं. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर पिछले साल दिसंबर में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया गया था. मुख्यमंत्री केसीआर अब पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने नांदेड़ और महाराष्ट्र के अन्य स्थानों पर पिछले कुछ महीनों में बड़ी जनसभाएं की हैं और इस दौरान अपने संबोधनों में उन्होंने विकास के अपने तेलंगाना मॉडल को रेखांकित किया है. महाराष्ट्र में पिछले छह महीने में राकांपा और अन्य दलों के कई कार्यकर्ता व नेता बीआरएस में शामिल हुए हैं.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान पंढरपुर और तुलजापुर की यात्रा करेंगे. बीआरएस अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी हैं. बीआरएस पदाधिकारी ने बताया कि केसीआर उस्मानाबाद जिले के ओमेरगा जाएंगे और फिर सोलापुर के लिए रवाना होंगे. इसके बाद, वह मंगलवार को सोलापुर के पंढरपुर शहर में भगवान विट्ठल के मंदिर जाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे.

उन्होंने बताया कि राव, सोलापुर के सरकोली गांव में स्थानीय स्तर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे और बाद में उस्मानाबाद के तुलजापुर के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां वह मंगलवार दोपहर को प्रसिद्ध तुलजा भवानी मंदिर में दर्शन करेंगे. पदाधिकारी ने बताया कि राव ने तेलंगाना से बाहर संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से 15 जून को नागपुर में पार्टी के पहले कार्यालय का उद्घाटन किया था.

इसके अलावा, राव ने हाल में महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रैलियां की और किसानों और दलितों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की.

विठ्ठल मंदिर को लेकर कहा जाता है कि लाखों विट्ठल भक्त वारकरी या लोग पंढरपुर आते हैं. वारी का अर्थ है वारकरी विट्ठल के दर्शन के लिए पंढरपुर तक पैदल चलते हैं और वारकरियों का जो समूह एक साथ वारी जाता है उसे दिंडी कहा जाता है. इस वारी के दौरान, लोग विट्ठल की भक्ति गीत गाते, नाचते और ढोल बजाते हुए पंढरपुर तक जाते हैं और वारी का आनंद लेते हैं. वारी एक सामुदायिक पदयात्रा है, जो महाराष्ट्र के विभिन्न गांवों से शुरू होती है और पंढरपुर में समाप्त होती है.

वारी महाराष्ट्र की एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है. यह वारी कार्तिक माह में आषाढ़ और शुद्धा दोनों एकादशियों को पड़ती है. एक सिद्धांत के अनुसार, वारकरी संत ज्ञानेश्वर के पिता विट्ठलपंत ने आषाढ़ और कार्तिक के हिंदू महीनों के दौरान पंढरपुर की तीर्थयात्रा शुरू की थी. आमतौर पर माना जाता है कि वारी बनाने की परंपरा 800 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है.

महाराष्ट्र में सियायत गर्म

केसीआर के महाराष्ट्र दौरे को लेकर सियासत गर्म है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने केसीआर के दौरे की कड़ी आलोचना की है. पंढरपुर दौरे के मौके पर केसीआर ने पश्चिमी महाराष्ट्र में अपनी पार्टी की जड़ें जमाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कहा जा रहा है कि पश्चिमी महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में समृद्धि को देखते हुए केसीआर ने अब अपना रुख उधर कर लिया है.

केसीआर को क्यों है उम्मीद?

महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता और किसानों-मजदूरों की नाराजगी को देखते हुए राव को लगता है कि भारत राष्ट्र समिति के लिए मौका है. तेलंगाना में किसानों को मुफ्त बिजली और पानी मुहैया कराने के बाद खेतिहर मजदूर वर्ग बीआरएस के पक्ष में उतर आया है. अगर महाराष्ट्र या किसी भी राज्य के किसान उनके पास आना चाहते हैं, तो केसीआर ने महाराष्ट्र के किसानों और मजदूर वर्ग के लोगों को बदलने के लिए मजबूत प्रयास शुरू कर दिए हैं, क्योंकि ऐसा अनुमान है कि अगर उन्हें ये दो महत्वपूर्ण चीजें दी जाएंगी, तो वे उनके साथ आएंगे.

पढ़ें: पंढरी वारी में शामिल होंगे तेलंगाना सीएम केसीआर, जानें महाराष्ट्र दौरे के पीछे क्या है सियासी गणित?

केसीआर का पश्चिमी महाराष्ट्र मिशन

केसीआर ने मराठवाड़ा के साथ-साथ विदर्भ में भी सार्वजनिक बैठकें कीं. हालांकि इन सभी बैठकों को प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन उन्हें पता है कि पार्टी की जड़ें फैलने का अभी भी मौका है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आनंद गायकवाड़ का कहना है कि केसीआर ने यह महसूस करने के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र में पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है कि अगर उन्हें महाराष्ट्र में और मजबूती से जड़ें जमानी हैं तो उन्हें अपना रुख चीनी बेल्ट की ओर मोड़ना चाहिए जो राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.

केसीआर का दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरा

हैदराबाद: तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र के सोलापुर के दौरे पर हैं. एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि केसीआर करीब 600 वाहनों के विशाल काफिले के साथ सड़क मार्ग से यात्रा से महाराष्ट्र के लिए निकले थे. उनके साथ राज्य के मंत्री, सांसद, पार्षद, विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं. महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर राव सोलापुर के पास पंढरपुर शहर में भगवान विट्ठल मंदिर और उस्मानाबाद में देवी तुलजा भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं.

वह एक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे, जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक लोकप्रिय नेता के बीआरएस में शामिल होने की अटकले हैं. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर पिछले साल दिसंबर में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया गया था. मुख्यमंत्री केसीआर अब पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने नांदेड़ और महाराष्ट्र के अन्य स्थानों पर पिछले कुछ महीनों में बड़ी जनसभाएं की हैं और इस दौरान अपने संबोधनों में उन्होंने विकास के अपने तेलंगाना मॉडल को रेखांकित किया है. महाराष्ट्र में पिछले छह महीने में राकांपा और अन्य दलों के कई कार्यकर्ता व नेता बीआरएस में शामिल हुए हैं.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान पंढरपुर और तुलजापुर की यात्रा करेंगे. बीआरएस अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी हैं. बीआरएस पदाधिकारी ने बताया कि केसीआर उस्मानाबाद जिले के ओमेरगा जाएंगे और फिर सोलापुर के लिए रवाना होंगे. इसके बाद, वह मंगलवार को सोलापुर के पंढरपुर शहर में भगवान विट्ठल के मंदिर जाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे.

उन्होंने बताया कि राव, सोलापुर के सरकोली गांव में स्थानीय स्तर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे और बाद में उस्मानाबाद के तुलजापुर के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां वह मंगलवार दोपहर को प्रसिद्ध तुलजा भवानी मंदिर में दर्शन करेंगे. पदाधिकारी ने बताया कि राव ने तेलंगाना से बाहर संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से 15 जून को नागपुर में पार्टी के पहले कार्यालय का उद्घाटन किया था.

इसके अलावा, राव ने हाल में महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रैलियां की और किसानों और दलितों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की.

विठ्ठल मंदिर को लेकर कहा जाता है कि लाखों विट्ठल भक्त वारकरी या लोग पंढरपुर आते हैं. वारी का अर्थ है वारकरी विट्ठल के दर्शन के लिए पंढरपुर तक पैदल चलते हैं और वारकरियों का जो समूह एक साथ वारी जाता है उसे दिंडी कहा जाता है. इस वारी के दौरान, लोग विट्ठल की भक्ति गीत गाते, नाचते और ढोल बजाते हुए पंढरपुर तक जाते हैं और वारी का आनंद लेते हैं. वारी एक सामुदायिक पदयात्रा है, जो महाराष्ट्र के विभिन्न गांवों से शुरू होती है और पंढरपुर में समाप्त होती है.

वारी महाराष्ट्र की एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है. यह वारी कार्तिक माह में आषाढ़ और शुद्धा दोनों एकादशियों को पड़ती है. एक सिद्धांत के अनुसार, वारकरी संत ज्ञानेश्वर के पिता विट्ठलपंत ने आषाढ़ और कार्तिक के हिंदू महीनों के दौरान पंढरपुर की तीर्थयात्रा शुरू की थी. आमतौर पर माना जाता है कि वारी बनाने की परंपरा 800 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है.

महाराष्ट्र में सियायत गर्म

केसीआर के महाराष्ट्र दौरे को लेकर सियासत गर्म है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने केसीआर के दौरे की कड़ी आलोचना की है. पंढरपुर दौरे के मौके पर केसीआर ने पश्चिमी महाराष्ट्र में अपनी पार्टी की जड़ें जमाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कहा जा रहा है कि पश्चिमी महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में समृद्धि को देखते हुए केसीआर ने अब अपना रुख उधर कर लिया है.

केसीआर को क्यों है उम्मीद?

महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता और किसानों-मजदूरों की नाराजगी को देखते हुए राव को लगता है कि भारत राष्ट्र समिति के लिए मौका है. तेलंगाना में किसानों को मुफ्त बिजली और पानी मुहैया कराने के बाद खेतिहर मजदूर वर्ग बीआरएस के पक्ष में उतर आया है. अगर महाराष्ट्र या किसी भी राज्य के किसान उनके पास आना चाहते हैं, तो केसीआर ने महाराष्ट्र के किसानों और मजदूर वर्ग के लोगों को बदलने के लिए मजबूत प्रयास शुरू कर दिए हैं, क्योंकि ऐसा अनुमान है कि अगर उन्हें ये दो महत्वपूर्ण चीजें दी जाएंगी, तो वे उनके साथ आएंगे.

पढ़ें: पंढरी वारी में शामिल होंगे तेलंगाना सीएम केसीआर, जानें महाराष्ट्र दौरे के पीछे क्या है सियासी गणित?

केसीआर का पश्चिमी महाराष्ट्र मिशन

केसीआर ने मराठवाड़ा के साथ-साथ विदर्भ में भी सार्वजनिक बैठकें कीं. हालांकि इन सभी बैठकों को प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन उन्हें पता है कि पार्टी की जड़ें फैलने का अभी भी मौका है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आनंद गायकवाड़ का कहना है कि केसीआर ने यह महसूस करने के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र में पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है कि अगर उन्हें महाराष्ट्र में और मजबूती से जड़ें जमानी हैं तो उन्हें अपना रुख चीनी बेल्ट की ओर मोड़ना चाहिए जो राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.

Last Updated : Jun 26, 2023, 10:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.