बेंगलुरु: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (Telangana CM K Chandrasekhar Rao) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा की है. इसके जरिए जेडीएस ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों में तेलुगु भाषियों को आकर्षित करने की रणनीति बनाई है. बता दें कि पिछले मार्च में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्रीय समिति (BRS) करने के साथ ही इसे राष्ट्रीय पार्टी घोषित कर दिया था. इसी क्रम में तेलंगाना के सीएम केसीआर ने जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान किया है. जेडीएस को अपना स्वाभाविक सहयोगी बताते हुए बीआरएस ने कहा है कि वह गठबंधन की प्रकृति पर चर्चा करेगी.
पिछले महीने पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने हैदराबाद में तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी. बीआरएस जो राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने के लिए तैयार है इसलिए उसने कर्नाटक विधानसभा में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा जताया था. इसको लेकर यह भी कहा जा रहा था कि केसीआर तेलंगाना से सटे कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की योजना बना रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस रणनीति से हटकर जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा की है. इतना ही नहीं केसीआर सीमावर्ती जिलों में जेडीएस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे.
हालांकि कि बीआरएस ने अपनी पार्टी के विस्तार की रणनीति के तहत तेलंगाना की सीमा से लगे कर्नाटक के कुछ जिलों पर अपनी पकड़ बना रखी है. लिहाजा चुनाव के बाद पता चल सकेगा कि जेडीएस को समर्थन देने वाली बीआरएस से जेडीएस को कितना फायदा हुआ. इतना ही नहीं जेडीएस के लिए प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राज्य में दौरा करेंगी. इसी कड़ी में हाल ही में पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने कोलकाता में ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. इसी मौके पर उन्होंने ममता बनर्जी को प्रचार के लिए आमंत्रित किया था. बताया जा रहा है कि सीमावर्ती जिलों में तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव के अलावा उनके कैबिनेट के सहयोगी भी जेडीएस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे.
केसीआर के नेतृत्व में बीआरएस अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है और इसके लिए उसने जेडीएस के साथ गठबंधन किया है. गौरतलब है कि बीदर, बेल्लारी, रायचूर, कोप्पल, गंगावती, यादगिरि और कलबुरगी तेलंगाना के साथ सीमा साझा करते हैं. ऐसे में इन जिलों में जेडीएस की ताकत के अलावा केसीआर वहां के लोगों की उम्मीदों, मिजाज, राय और अन्य मुद्दों की जानकारी हासिल करेंगे. इन जिलों के 41 विधानसभा क्षेत्रों में से 30 निर्वाचन क्षेत्रों में बहुसंख्यक तेलुगु भाषी हैं. इसलिए राजनीतिक हिसाब से अगर केसीआर यहां प्रचार करते हैं तो जेडीएस को फायदा हो सकता है.
ज्यादा सीटें पाने की रणनीति: इतना ही नहीं बीआरएस रायता बंधु, रायता भीम और 24X7 बिजली आपूर्ति जैसी योजनाओं को बढ़ावा देगी, जिसकी घोषणा जेडीएस पहले ही कर चुकी है. बता दें कि 2018 में जेडीएस ने बीदर दक्षिण, गुरमतकल, मानवी और सिंधनूर सहित 4 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. नेताओं ने इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अधिक स्थान हासिल करने की रणनीति तैयार की है. इसी तरह, चिक्काबल्लापुर, बागेपल्ली, गौरीबिदनूर, कोलार, चिंतामणि निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक तेलुगु भाषी हैं और जेडीएस उन्हें आकर्षित करने की रणनीति बना रही है. नेताओं का मानना है कि अगर केसीआर तेलंगाना सीमा क्षेत्र में प्रचार करते हैं, तो जेडीएस को कुछ वोट मिलेंगे. इस संबंध में रणनीति बना ली गई है. वहीं जेडीएस ने पंचरत्न रथ यात्रा के माध्यम से प्रचार का एक दौर पूरा कर लिया है, अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद अपने अभियान को और तेज करेगी.
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