हैदराबाद: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने कहा कि जिस तरह उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय है, उसी तरह राजनीतिक दलों के लिए भी होनी चाहिए. अन्यथा आने वाले दिनों में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जायेगी. उन्होंने कहा कि चुनावों में पैसे का प्रभाव कुछ राज्यों तक ही सीमित है. अगर इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो इस बीमारी के पूरे देश में फैलने का खतरा है. राज्य में चुनाव के मद्देनजर रावत ने 'ईटीवी भारत' से बात की.
उन्होंने कहा कि तेलंगाना में मतदान के लिए अभी 9 दिन बाकी हैं. निरीक्षण के दौरान 650 करोड़ रुपये की नकदी और उपकरण पहले ही जब्त किए जा चुके हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है. यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. चुनाव के दौरान पार्टियों के खर्च की कोई सीमा नहीं है. आलम ये है कि जब्त किया गया सारा सामान पार्टी के खर्चे पर खरीदा गया है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में पार्टियों के चुनावी खर्चों पर रोक लगाने का यह सही मौका है. अन्यथा धन के प्रभाव को नियंत्रित नहीं किया जा सकता. केवल उम्मीदवारों के खर्च पर प्रतिबंध लागू करने से वांछित उद्देश्य पूरा नहीं होगा. दक्षिणी राज्यों में चुनावों में धन का उपयोग विभिन्न कारणों से बहुत अधिक होता है. अब दूसरे राज्यों में भी चुनाव के दौरान जब्त होने वाला पैसा बढ़ता जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मतदान केंद्रों के बाहर कानून एवं व्यवस्था महत्वपूर्ण है. ईवीएम आने के बाद मतदान केंद्रों पर हमले और धांधली कम हो गई है. ईवीएम से वोटिंग में कम से कम 20 सेकंड का समय लगता है. एक बूथ पर 800 वोट डालने में 5 घंटे का समय लगता है. यदि उसी मतपत्र प्रणाली में धांधली हो तो आधे घंटे के भीतर सारे वोट डाले जा सकते हैं. कई साल पहले मुझे चुनाव आयोग की ओर से आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के लिए पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. जब हमें सूचना मिली कि वहां धांधली चल रही है तो हम कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच गये. सब कुछ पहले ही खत्म हो चुका था.
उन्होंने कहा कि मतदान केंद्रों पर अराजकता बढ़ती जा रही है. इससे वहां मतदान प्रतिशत कम हो जायेगा. अगर कानून व्यवस्था कड़ी कर दी जाए तो ऐसी चीजों पर काबू पाया जा सकता है. तेलंगाना में ऐसी कोई स्थिति नहीं है. कहा जा रहा है कि आगामी आंध्र प्रदेश चुनाव में भी ऐसी ही घटनाएं होने की आशंका है.