हैदराबाद : तेलंगाना विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से 2021 की जनगणना में पिछड़े वर्गों की जाति-वार जनगणना कराने का आग्रह किया ताकि उनके उत्थान में मदद मिल सके.
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने यह प्रस्ताव पेश किया और कहा कि देश की विभिन्न विधानसभाएं और राजनीतिक दल केंद्र से ऐसी जनगणना कराने का आग्रह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तेलंगाना की आबादी में 50 प्रतिशत लोग पिछड़े वर्ग से हैं और राज्य में आम राय है कि विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़े वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
राव ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि समाज के गरीब तबके के उत्थान के मद्देनजर, सटीक आंकड़े आवश्यक हैं ताकि सबसे गरीब लोगों के लाभ के लिए विभिन्न कल्याणकारी उपाय किए जा सकें. उन्होंने पिछड़े वर्ग के नागरिकों से संबंधित संविधान के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा, '... विधानसभा केंद्र सरकार से आग्रह करती है कि 2021 की जनगणना कराते समय पिछड़े वर्ग के लोगों की जातिवार जनगणना की जाए.'
विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीनिवास रेड्डी (Speaker Pocharam Srinivasa Reddy) ने घोषणा की कि प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. केंद्र ने 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि पिछड़ा वर्ग की जाति जनगणना करना 'प्रशासनिक रूप से कठिन और बोझिल' है. शीर्ष अदालत में अपने हलफनामे में सरकार ने कहा था कि सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 में जाति गणना गलतियों और अशुद्धियों से भरी हुई हैं.
जानिए जातीय जनगणना क्या है ?
दरअसल देश में हर दस साल में होने वाली जनगणना के दौरान धार्मिक, शैक्षणिक, आर्थिक, आयु, लिंग आदि का जिक्र होता है साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों का भी आंकड़ा लिया जाता है लेकिन जाति आधारित आंकड़ा नहीं लिया जाता. कुछ सियासी दल मांग कर रहे हैं कि इस बार जनगणना जाति आधारित हो ताकि ये पता चल सके कि कितनी जातियां हैं और जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी कितनी है. इस सबमें सियासत की नजर सबसे ज्यादा ओबीसी यानि अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों और उनकी जनसंख्या पर है.