देहरादून: जबर सिंह के शव को नाइजीरिया से भारत लाने की ईटीवी भारत की मुहिम को समाजसेवी रोशन रतूड़ी का साथ मिला है. रोशन रतूड़ी ने बताया उनकी नाइजीरिया की उस कंपनी से बातचीत हो गई है जिसमें जबर सिंह काम किया करते थे. रोशन रतूड़ी की माने तो कंपनी ने जल्द ही जबर सिंह का शरीर भारत भेजने की ना केवल बात की है बल्कि जबर सिंह की मृत्यु के बाद मिलने वाले मुआवजे को लेकर भी कंपनी ने हामी भरी है.
बता दें टिहरी के टिहरी के रमोलसारी गांव रहने वाले जबर सिंह की 24 अगस्त को नाइजीरिया में मौत हो गई थी. जिसके बाद से ही जबर सिंह का परिवार और पूरा गांव राज्य और केंद्र सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा था. ईटीवी भारत ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया था. तब हमने जबर सिंह के पिता भाग सिंह और परिवार के हालातों को लेकर भी खबर प्रकाशित की थी. साथ ही जबर सिंह के शव को नाइजीरिया से भारत लाने के लिए कोशिशें भी कीं.
खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने नाइजीरिया से जबर सिंह के शव को जल्द से जल्द भारत लाने की बात कही.
अब ईटीवी भारत की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. दुबई में रहने वाले उत्तराखंड मूल के समाजसेवी ने अब इस मामले में मदद के हाथ बढ़ाए हैं. रोशन रतूड़ी की मानें तो उनकी बात नाइजीरिया की उस कंपनी से हो गई है जहां पर जबर सिंह काम किया करते थे. कुछ फॉर्मेलिटी पूरी होने के बाद 8 दिनों के अंदर जबर सिंह का शरीर भारत आ जाएगा.
रोशन रतूड़ी का कहना है कि ये घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि उत्तराखंड के लोग जैसे भी हो सके वह भाग सिंह के परिवार का सहारा बनें ताकि दोनों बेटों के बच्चों और उनकी पत्नियों का जीवन आगे आसानी से गुजर सके. रोशन रतूड़ी का कहना है कि नियमानुसार जो भी जबर सिंह के लिए मुआवजा कंपनी तय करेगी वह जल्द ही जबर सिंह के परिवार को मिल जाएगा.
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बता दें बीती 24 अगस्त की सुबह टिहरी के रहने वाले भाग सिंह को अचानक छोटे बेटे जबर की मौत की खबर मिली. ये खबर सुनकर भाग सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई. एकदम से दुनिया में अकेले हुए भाग सिंह की समझ नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसे नाजुक दौर में वो करें तो करें क्या? जबर की मौत के बाद अब भाग सिंह के बूढ़े कंधों पर दो बहुओं और दो बच्चों बच्चों की भी जिम्मेदारी आ गई है. आज वो फिर उसी पुराने मुश्किल दौर में पहुंच गए हैं.
दर्द के दौर में भी भाग सिंह को बेटे के शव की चिंता सता रही थी. बेटे के शव को कैसे दूर देश से लाया जाएगा, ये सोच-सोचकर भाग सिंह की आंखें भर आती थीं, भाग सिंह का परिवार इस मामले में कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थी. तब उनकी इस हालत को देखते हुए स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता राज्य और केंद्र सरकार से जबर सिंह के पार्थिव शरीर को भारत लाने की मांग की, जो कि अब पूरी होने वाली है.