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इसी सत्र से ही शुरू होगी मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा

नई शिक्षा नीति मातृभाषा में शिक्षा का विकल्प देने का लक्ष्य रखती है. इसके तहत तकनीकी शिक्षा को भी मातृभाषा में उपलब्ध कराया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 8, 2021, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति के तहत अब तकनीकी शिक्षा भी मातृभाषा में ही उपलब्ध होगी. कोरोना महामारी के बीच भी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवाद करने का काम जारी रखा है.

मंगलवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा 'कोरोना की परिस्थितियों में शिक्षण संस्थानों की भूमिका' विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन परिचर्चा में देश के कई प्रमुख तकनीकी शिक्षण संस्थानों के शीर्ष पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए AICTE के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि किस तरह देश की नई शिक्षा नीति को देश के तकनीकी संस्थानों में इसी वर्ष से लागू करने के लिए कार्य किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा को मातृभाषा में पढ़ाने के लिए सबसे पहले अनुवाद का काम शुरू किया गया जिसके लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया.

आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की मदद से अब तक पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के पूरे पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवादित कर लिया गया है और सत्र शुरू होने तक पुस्तकें भी प्रकाशित हो जाएंगी. अब तक तमिल, तेलगु,मराठी, बंगला और हिन्दी में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम का अनुवाद किया जा सका है जबकि उड़िया, असमी और मलयाली भाषा पर काम चल रहा है.

भारत की कुल 11 मातृभाषा में उच्च शिक्षा का विकल्प देने का लक्ष्य नई शिक्षा नीति में रखा गया है लेकिन तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवादित करना एक बड़ी चुनौती है.

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि मातृभाषा में अनुवाद पर काम 3 वर्ष पहले से ही चल रहा था लेकिन नई शिक्षा नीति में जब इस विकल्प को पूरी तरह से लागू करने की बात हुई तो इसकी तैयारी और तेज कर दी गई.

पढ़ें :- केंद्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए बोले निशंक- मातृ भाषाओं को मिलेगी अलग पहचान

देश के कई बड़े शिक्षण संस्थानों के कुलपति से संपर्क किया गया जिन्होंने अपने प्रधायपकों को इस काम में सहयोग के लिए कहा और आज उनकी मदद से बाकी के तीन वर्षों के पाठ्यक्रम को भी मातृभाषाओं में अनुवाद करने का काम किया जा रहा है.

प्रथम वर्ष में मातृभाषा का विकल्प इसी सत्र से छात्रों मिलेगा जबकि इंजीनियरिंग द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष के छात्रों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. ऑनलाइन परिचर्चा के दौरान देश के कई नामी तकनीकी शिक्षण संस्थानों के प्रमुख ने कोरोना महामारी और उससे उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हुए समाज के लिये किये गए कार्यों के बारे में बताया.

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने संस्थानों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि महामारी से लड़ाई में तकनीक की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने सभी से 'सोशल डिस्टेंसिंग' के बजाय 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए कहा कि मौजूदा समय में शारीरिक दूरी आवश्यक है लेकिन सामाजिक दूरियों को खत्म कर एक दूसरे का सहयोग और मदद करने की जरूरत है.

नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति के तहत अब तकनीकी शिक्षा भी मातृभाषा में ही उपलब्ध होगी. कोरोना महामारी के बीच भी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवाद करने का काम जारी रखा है.

मंगलवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा 'कोरोना की परिस्थितियों में शिक्षण संस्थानों की भूमिका' विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन परिचर्चा में देश के कई प्रमुख तकनीकी शिक्षण संस्थानों के शीर्ष पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए AICTE के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि किस तरह देश की नई शिक्षा नीति को देश के तकनीकी संस्थानों में इसी वर्ष से लागू करने के लिए कार्य किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा को मातृभाषा में पढ़ाने के लिए सबसे पहले अनुवाद का काम शुरू किया गया जिसके लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया.

आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की मदद से अब तक पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के पूरे पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवादित कर लिया गया है और सत्र शुरू होने तक पुस्तकें भी प्रकाशित हो जाएंगी. अब तक तमिल, तेलगु,मराठी, बंगला और हिन्दी में प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम का अनुवाद किया जा सका है जबकि उड़िया, असमी और मलयाली भाषा पर काम चल रहा है.

भारत की कुल 11 मातृभाषा में उच्च शिक्षा का विकल्प देने का लक्ष्य नई शिक्षा नीति में रखा गया है लेकिन तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम को मातृभाषा में अनुवादित करना एक बड़ी चुनौती है.

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि मातृभाषा में अनुवाद पर काम 3 वर्ष पहले से ही चल रहा था लेकिन नई शिक्षा नीति में जब इस विकल्प को पूरी तरह से लागू करने की बात हुई तो इसकी तैयारी और तेज कर दी गई.

पढ़ें :- केंद्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए बोले निशंक- मातृ भाषाओं को मिलेगी अलग पहचान

देश के कई बड़े शिक्षण संस्थानों के कुलपति से संपर्क किया गया जिन्होंने अपने प्रधायपकों को इस काम में सहयोग के लिए कहा और आज उनकी मदद से बाकी के तीन वर्षों के पाठ्यक्रम को भी मातृभाषाओं में अनुवाद करने का काम किया जा रहा है.

प्रथम वर्ष में मातृभाषा का विकल्प इसी सत्र से छात्रों मिलेगा जबकि इंजीनियरिंग द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष के छात्रों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. ऑनलाइन परिचर्चा के दौरान देश के कई नामी तकनीकी शिक्षण संस्थानों के प्रमुख ने कोरोना महामारी और उससे उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हुए समाज के लिये किये गए कार्यों के बारे में बताया.

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने संस्थानों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि महामारी से लड़ाई में तकनीक की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने सभी से 'सोशल डिस्टेंसिंग' के बजाय 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए कहा कि मौजूदा समय में शारीरिक दूरी आवश्यक है लेकिन सामाजिक दूरियों को खत्म कर एक दूसरे का सहयोग और मदद करने की जरूरत है.

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