नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने कहा है कि विश्वविद्यालय ने अपने विभिन्न संस्थानों (स्कूलों) में बहु-विषयक शोध/अनुसंधान को बढ़ावा देने के लक्ष्य से टीमों का गठन किया है, जिसमें संकाय सदस्यों (शिक्षकों) को भी शामिल किया गया है. बताया कि वर्तमान में ज्यादातर अनुसंधान/शोध परियोजनाएं विश्वविद्यालय के विज्ञान स्कूलों द्वारा चलायी जा रही है और इस क्षेत्र में अन्य स्कूलों के बेहतर करने की जरूरत है.
इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कुमार ने कहा कि ज्यादातर अनुसंधान/शोध पत्र बायोकेमिस्ट्री और मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (में सबसे ज्यादा), पर्यावरण विज्ञान, इंजीनियरिंग, बहु-विषय विज्ञान, मटेरियल विज्ञान, रसायन, प्लांट साइंस (पौधों से जुड़ा), एप्लायड फिजिक्स, बायोफिजिक्स, बायोटेक्नोलॉजी और माइक्राबायोलॉजी जैसे विषयों में प्रकाशित हुए हैं.
पिछले सप्ताह कुलपति ने बताया अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी शोधपत्रों का प्रकाशन हुआ है लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है. जब किसी संस्थान की रैंकिंग तय होती है तो वहां से प्रकाशित होने वाले शोधपत्रों की संख्या देखी जाती है. हमें अन्य स्कूलों में होने वाले शोध/अनुसंधान की संख्या को बढ़ाना होगा.
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कुलपति ने कहा कि उन्होंने विभिन्न स्कूलों में अनुसंधानकर्ताओं/शोधार्थियों की टीमों का गठन किया है जो नई शिक्षा नीति के अनुरुप बहु-विषय शोध/अनुसंधान करेंगे. नई शिक्षा नीति-2020 में बहु-विषय और समाज के लिए आवश्यक विषयों पर शोध/अनुसंधान को बढ़ावा देने की बात की गई है. उन्होंने कहा कि समाज विज्ञानियों को शोध परियोजनाओं के लिए धन की कमी की शिकायत रहती है.
उन्होंने कहा, वैज्ञानिक अनुसंधानों में समाज विज्ञानियों की उपस्थिति आवश्यक है. उदाहरण के लिए फिलहाल मॉलीक्यूलर वैज्ञानिक कोविड पर पूर्वानुमान के लिए गणितीय मॉडल विकसित करने पर काम कर रहे हैं. कुलपति ने कहा कि विभिन्न विषयों के बीच मौजूद स्पष्ट विभाजक रेखा को मिटाने या हल्का करने के लिए इन बहु-विषयक अनुसंधान/शोध टीमों का गठन किया गया है और उन्होंने कुछ परियोजनाओं पर काम करना शुरू भी कर दिया है.
(पीटीआई-भाषा)