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Tea Farming In Assam: असम में चाय उद्योग पर छा रहा भारी संकट, 5 सालों में बिक गए 68 चाय के बागान - चाय उद्योग

असम का चाय उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण है. पूरे देश में खपत की कुल चाय का 52 प्रतिशत उत्पादन असम में किया जाता है. लेकिन अब यहां के चाय उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है.

Tea Industry in Assam
असम में चाय उद्योग
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 6:47 PM IST

Updated : Aug 30, 2023, 7:26 PM IST

गुवाहाटी: असम का चाय उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. असम भारत के कुल चाय उत्पादन का 52 प्रतिशत उत्पादन करता है. लेकिन हाल ही में असम का दो सौ साल पुराना चाय उद्योग विभिन्न कारणों से संकट का सामना कर रहा है. असम के चाय उद्योग का भविष्य अब असुरक्षित है. गौरतलब है कि 2017 से 2022 तक असम के 68 चाय बागानों को उस पूंजीपति समूह ने बेच दिया, जो इन चाय बागानों का मालिक था.

स्मरणीय है कि देश के पूंजीवादी समूह ने अन्य व्यापार-वाणिज्य में पूंजी निवेश करके असम के चाय उद्योग को भयानक संकट में डाल दिया है, जो असम के चाय उद्योग के लिए अच्छा संकेत नहीं है. चाय उद्योग, जिसने असम की प्रतिष्ठा बढ़ाई है और विशेष रूप से राज्य की अर्थव्यवस्था की नींव रखी है, अब भयानक संकट का सामना कर रहा है. असम चाय कर्मचारी संघ ने भी इसकी पुष्टि की है.

Tea Farming In Assam
असम में कम होता चाय का उद्योग

शिकायत के अनुसार, पूंजीपतियों का एक वर्ग, जिन्होंने अन्य व्यवसायों में निवेश करने के लिए बागानों को गिरवी रखकर बैंक ऋण लिया था, उन्होंने अब राज्य के चाय उद्योग में इस भयानक संकट को जन्म दिया है. चाय कंपनियों के एक वर्ग ने बागान बेचने जैसा कठोर निर्णय लिया है, क्योंकि वे समय पर बैंक ऋण नहीं चुका सके. पूंजीपतियों का एक वर्ग, जिन्होंने राज्य के चाय उद्योग से मुंह मोड़ लिया है और अन्य व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित किया है, नियमित रूप से एक के बाद एक चाय बागान बेच रहे हैं.

तिनसुकिया के तलप में संचालित एपीजे टी ग्रुप द्वारा असम में 16 चाय बागान बेचने के बाद मैकलियोड रसेल इंडिया टी कंपनी ने बैंक ऋण चुकाने के लिए असम में 15 चाय बागानों को 700 करोड़ रुपये में बेच दिया है. इन 15 चाय बागानों में से छह तिनसुकिया जिले के हैं. चिंता की बात यह है कि पूंजीपति समूहों को चाय बागानों को बेचने जैसे कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं, जिससे चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों के जीवन में अत्यधिक अनिश्चितता कम हो जाएगी.

Tea Farming In Assam
पांच सालों में बेचे जा चुके हैं 68 चाय के बागान

क्या वाकई कंपनियों को चाय उत्पादन में घाटा हो रहा है या फिर किसी और वजह से उन्हें बागान बेचने पर मजबूर होना पड़ा है? इस बीच, असम चाय कर्मचारी संघ को संदेह है कि चाय बागान की भूमि के मूल्य को कम करने और बगीचे की 10 प्रतिशत भूमि को अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के असम सरकार के फैसले के पीछे कुछ रहस्य हो सकता है. आशंका है कि सरकार के इस तरह के फैसले से असम में चाय उद्योग को और नुकसान होगा.

इस बीच, असम चाय का निर्यात चिंताजनक रूप से गिर गया है. ऐसे समय में जब असम का चाय उद्योग दो सौ साल पार कर चुका है, राज्य में चाय की लोकप्रियता विदेशी बाजार में लगातार घट रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2018-19 में असम द्वारा निर्यात की गई चाय की मात्रा 15,570 हजार किलोग्राम थी. इसके विपरीत, वित्तीय वर्ष 2022-23 में असम द्वारा निर्यात की गई चाय की मात्रा 12,750 हजार किलोग्राम है.

Tea Farming In Assam
चाय के निर्यात में भी दर्ज हुई कमी

विस्तृत आंकड़ों के अनुसार कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में असम 10,461 हजार किलोग्राम चाय और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 15,570 हजार किलोग्राम चाय निर्यात कर रिकॉर्ड बनाने के बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8,710 हजार किलोग्राम और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 8,307 हजार किलोग्राम का निर्यात कर पाया है. दूसरी ओर, ब्रिटेन ने असम से सबसे अधिक चाय खरीदी. वित्त वर्ष 2018-19 में देश ने असम से 5,426 हजार किलो चाय खरीदी.

लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में देश में खरीदी गई चाय की मात्रा 4,690 हजार किलोग्राम थी. गौरतलब है कि असम की चाय दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान रखती है. यहां तक कि असम की चाय को भी दुनिया भर के लोगों ने हमेशा एक विशेष दर्जा दिया है. लेकिन इसके बाद भी असम चाय के निर्यात में अभूतपूर्व गिरावट को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

गुवाहाटी: असम का चाय उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. असम भारत के कुल चाय उत्पादन का 52 प्रतिशत उत्पादन करता है. लेकिन हाल ही में असम का दो सौ साल पुराना चाय उद्योग विभिन्न कारणों से संकट का सामना कर रहा है. असम के चाय उद्योग का भविष्य अब असुरक्षित है. गौरतलब है कि 2017 से 2022 तक असम के 68 चाय बागानों को उस पूंजीपति समूह ने बेच दिया, जो इन चाय बागानों का मालिक था.

स्मरणीय है कि देश के पूंजीवादी समूह ने अन्य व्यापार-वाणिज्य में पूंजी निवेश करके असम के चाय उद्योग को भयानक संकट में डाल दिया है, जो असम के चाय उद्योग के लिए अच्छा संकेत नहीं है. चाय उद्योग, जिसने असम की प्रतिष्ठा बढ़ाई है और विशेष रूप से राज्य की अर्थव्यवस्था की नींव रखी है, अब भयानक संकट का सामना कर रहा है. असम चाय कर्मचारी संघ ने भी इसकी पुष्टि की है.

Tea Farming In Assam
असम में कम होता चाय का उद्योग

शिकायत के अनुसार, पूंजीपतियों का एक वर्ग, जिन्होंने अन्य व्यवसायों में निवेश करने के लिए बागानों को गिरवी रखकर बैंक ऋण लिया था, उन्होंने अब राज्य के चाय उद्योग में इस भयानक संकट को जन्म दिया है. चाय कंपनियों के एक वर्ग ने बागान बेचने जैसा कठोर निर्णय लिया है, क्योंकि वे समय पर बैंक ऋण नहीं चुका सके. पूंजीपतियों का एक वर्ग, जिन्होंने राज्य के चाय उद्योग से मुंह मोड़ लिया है और अन्य व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित किया है, नियमित रूप से एक के बाद एक चाय बागान बेच रहे हैं.

तिनसुकिया के तलप में संचालित एपीजे टी ग्रुप द्वारा असम में 16 चाय बागान बेचने के बाद मैकलियोड रसेल इंडिया टी कंपनी ने बैंक ऋण चुकाने के लिए असम में 15 चाय बागानों को 700 करोड़ रुपये में बेच दिया है. इन 15 चाय बागानों में से छह तिनसुकिया जिले के हैं. चिंता की बात यह है कि पूंजीपति समूहों को चाय बागानों को बेचने जैसे कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं, जिससे चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों के जीवन में अत्यधिक अनिश्चितता कम हो जाएगी.

Tea Farming In Assam
पांच सालों में बेचे जा चुके हैं 68 चाय के बागान

क्या वाकई कंपनियों को चाय उत्पादन में घाटा हो रहा है या फिर किसी और वजह से उन्हें बागान बेचने पर मजबूर होना पड़ा है? इस बीच, असम चाय कर्मचारी संघ को संदेह है कि चाय बागान की भूमि के मूल्य को कम करने और बगीचे की 10 प्रतिशत भूमि को अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के असम सरकार के फैसले के पीछे कुछ रहस्य हो सकता है. आशंका है कि सरकार के इस तरह के फैसले से असम में चाय उद्योग को और नुकसान होगा.

इस बीच, असम चाय का निर्यात चिंताजनक रूप से गिर गया है. ऐसे समय में जब असम का चाय उद्योग दो सौ साल पार कर चुका है, राज्य में चाय की लोकप्रियता विदेशी बाजार में लगातार घट रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2018-19 में असम द्वारा निर्यात की गई चाय की मात्रा 15,570 हजार किलोग्राम थी. इसके विपरीत, वित्तीय वर्ष 2022-23 में असम द्वारा निर्यात की गई चाय की मात्रा 12,750 हजार किलोग्राम है.

Tea Farming In Assam
चाय के निर्यात में भी दर्ज हुई कमी

विस्तृत आंकड़ों के अनुसार कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में असम 10,461 हजार किलोग्राम चाय और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 15,570 हजार किलोग्राम चाय निर्यात कर रिकॉर्ड बनाने के बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8,710 हजार किलोग्राम और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 8,307 हजार किलोग्राम का निर्यात कर पाया है. दूसरी ओर, ब्रिटेन ने असम से सबसे अधिक चाय खरीदी. वित्त वर्ष 2018-19 में देश ने असम से 5,426 हजार किलो चाय खरीदी.

लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में देश में खरीदी गई चाय की मात्रा 4,690 हजार किलोग्राम थी. गौरतलब है कि असम की चाय दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान रखती है. यहां तक कि असम की चाय को भी दुनिया भर के लोगों ने हमेशा एक विशेष दर्जा दिया है. लेकिन इसके बाद भी असम चाय के निर्यात में अभूतपूर्व गिरावट को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

Last Updated : Aug 30, 2023, 7:26 PM IST
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