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टाटा ग्रुप बना एयर इंडिया का नया मालिक, सरकारी औपचारिकता शेष

कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के लिए लगाई गई बोली में टाटा संस सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरी है. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों के समूह ने अभी इसको मंजूरी नहीं प्रदान की है.

टाटा ग्रुप बना एयर इंडिया का नया मालिक
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Published : Oct 1, 2021, 11:27 AM IST

Updated : Oct 1, 2021, 7:49 PM IST

नई दिल्ली : टाटा संस कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरी है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि बोली को अभी तक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GOM) ने मंजूरी नहीं दी है.

इस मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया और बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह ने इसकी जांच की. उन्होंने बताया कि आरक्षित निर्धारित मूल्य के मुकाबले बोलियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि टाटा की बोली सबसे ऊंची है.

उन्होंने कहा कि अब इसे एयर इंडिया के निजीकरण के लिए गठित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाएगा. वित्त मंत्रालय और टाटा संस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया.

इसबीच निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार ने अभी तक एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियों को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने ट्वीट किया, 'एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं. मीडिया को सरकार के फैसले के बारे में बताया जाएगा.' यदि टाटा संस की बोली स्वीकार कर ली जाती है, तो वह उस राष्ट्रीय विमान वाहक का अधिग्रहण कर लेगा, जिसकी स्थापना उसने ही की थी.

ये भी पढ़ें - एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियां 15 सितंबर तक मिल सकती हैं : मंत्री

बता दें कि जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी. उस समय इस विमानन कंपनी को टाटा एयरलाइंस कहा जाता था. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण कर दिया.

बता दें कि पहले किसी समय में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस ही था. जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी. 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई.

हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की वित्तीय बोली आ गई. सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया.

(एक्सट्रा इनपुट भाषा)

नई दिल्ली : टाटा संस कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरी है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि बोली को अभी तक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GOM) ने मंजूरी नहीं दी है.

इस मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया और बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह ने इसकी जांच की. उन्होंने बताया कि आरक्षित निर्धारित मूल्य के मुकाबले बोलियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि टाटा की बोली सबसे ऊंची है.

उन्होंने कहा कि अब इसे एयर इंडिया के निजीकरण के लिए गठित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाएगा. वित्त मंत्रालय और टाटा संस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया.

इसबीच निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार ने अभी तक एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियों को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने ट्वीट किया, 'एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं. मीडिया को सरकार के फैसले के बारे में बताया जाएगा.' यदि टाटा संस की बोली स्वीकार कर ली जाती है, तो वह उस राष्ट्रीय विमान वाहक का अधिग्रहण कर लेगा, जिसकी स्थापना उसने ही की थी.

ये भी पढ़ें - एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियां 15 सितंबर तक मिल सकती हैं : मंत्री

बता दें कि जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी. उस समय इस विमानन कंपनी को टाटा एयरलाइंस कहा जाता था. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण कर दिया.

बता दें कि पहले किसी समय में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस ही था. जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी. 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई.

हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की वित्तीय बोली आ गई. सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया.

(एक्सट्रा इनपुट भाषा)

Last Updated : Oct 1, 2021, 7:49 PM IST
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