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टाटा स्टील को चौथी बार भारत के बेस्ट वर्कप्लेस का मिला सम्मान - टाटा स्टील

देश की सौ साल पुरानी जमशेदपुर में स्थापित टाटा स्टील कंपनी को चौथी बार भारत के बेस्ट वर्कप्लेस का सम्मान मिला है. यह सम्मान ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट ने दिया है.

टाटा स्टील
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Published : Jan 8, 2021, 9:17 AM IST

रांची : इस्पात उद्योग में अपनी पहचान बनाने वाली 100 साल से ज्यादा पुरानी टाटा स्टील को ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट ने भारत के बेस्ट वर्कप्लेस का सम्मान दिया है. टाटा स्टील को यह सम्मान चौथी बार मिला है. टाटा स्टील ने यह जानकारी दी है कि ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट का वार्षिक प्रमाणन ने एक हाई-ट्रस्ट और हाई परफॉर्मेंस कल्चर प्रतिष्ठान बनाने की दिशा में टाटा स्टील के कार्यों को मान्यता प्रदान किया है. स्थापना के बाद से ही टाटा स्टील ने अपनी श्रमिक कल्याण योजनाओं के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और अपनी महत्वपूर्ण सामाजिक पहल के लिए खुद को एक लीडर के रूप में स्थापित किया है.

कंपनी ने अपने सभी ग्रुपों के लिए एक सक्षमकारी कार्यस्थल के निर्माण के उद्देश्य से एलजीबीटीक्यू पार्टनर्स को विस्तारित लाभ, एजाइल वर्किंग मॉडल्स और एक्सटेंडेड मैटरनिटी लीव जैसी व्यवस्था स्थापित करने वाली सुविधाएं लागू की है. कंपनी का विविधता और समावेशन कार्यक्रम ‘मोजाइक’ लैंगिक विविधता, दिव्यांग पारिश्रमिक और समावेशन और एलजीबीटीक्यू आदि को शामिल करने की पहल को सक्षम बना रहा है.

ग्रेट प्लेस टू वर्क के रूप में मिली मान्यता
टाटा स्टील की वीपी एचआरएम आत्रेयी एस सान्याल ने कहा कि एक और साल के लिए ग्रेट प्लेस टू वर्क के रूप में मान्यता दी गयी है और प्रमाणित किया गया है. उन्होंने बताया कि लोग हमारी प्रतिस्पर्धा के प्राथमिक स्रोत हैं. जिन्हें हमने अपने सभी व्यवस्थाओं में हमेशा आगे रखा है. उन्होंने हमेशा एक ऐसे संस्थान के निर्माण में विश्वास किया है जो कर्मचारी के सशक्तीकरण और उच्च स्तर के प्रदर्शन से प्रेरित हो.

टाटा स्टील ने कार्यबल के विभिन्न खंडों के लिए कई पाथ-ब्रेकिंग नीतियों और अभ्यासों को पेश किया है. जिसने संस्थान के भीतर उत्पादकता और जुड़ाव को बढ़ाया है. निश्चित रूप से भविष्य में भी इस दर्शन को मजबूत करेंगे, जो हमारे काम करने के तरीके का मूल है. इस महामारी के दौरान, टाटा स्टील ने कर्मचारी सुरक्षा से संबंधित सभी निवारक और अग्र सक्रिय कदम उठाए हैं इसमें पीओडी अवधारणा का कार्यान्वयन भी एक है, जो टीमों का एक मॉड्यूलर है और सामाजिक दूरी को सक्षम करता है.

पढ़े- रांची: सीएम के काफिले पर हमले के मुख्य साजिशकर्ता भैरव सिंह ने किया सरेंडर

एजाइल वर्किंग मॉडल किया पेश
कर्मचारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने थर्मल स्कैनिंग और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन आरएफआइडी के बायोमेट्रिक अटेंडेंस के स्थान पर सुरक्षा कार्ड लागू कर अधिक वैज्ञानिक कांटैक्ट ट्रेसिंग भी शुरू की. टाटा स्टील ने हाल ही में एजाइल वर्किंग मॉडल पेश किया है, जो कर्मचारियों को किसी भी स्थान से काम करने में सक्षम बनाता है. हर साल, 60 से अधिक देशों के 10 हजार से अधिक संस्थानों ने अपने कार्यस्थल की संस्कृति को मजबूत करने के लिए मूल्यांकन, बेंचमार्किंग और कार्य योजना के लिए ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट’ के साथ साझेदारी करते हैं. ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट की कार्यप्रणाली काफी सख्त और उद्देश्यपूर्ण कार्य संस्कृति मूल्यांकन प्रक्रिया मानी जाती है. इसे ग्रेट वर्कप्लेस संस्कृतियों को चिन्हित करने और उन्हें सम्मानित करने का गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है.

रांची : इस्पात उद्योग में अपनी पहचान बनाने वाली 100 साल से ज्यादा पुरानी टाटा स्टील को ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट ने भारत के बेस्ट वर्कप्लेस का सम्मान दिया है. टाटा स्टील को यह सम्मान चौथी बार मिला है. टाटा स्टील ने यह जानकारी दी है कि ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट का वार्षिक प्रमाणन ने एक हाई-ट्रस्ट और हाई परफॉर्मेंस कल्चर प्रतिष्ठान बनाने की दिशा में टाटा स्टील के कार्यों को मान्यता प्रदान किया है. स्थापना के बाद से ही टाटा स्टील ने अपनी श्रमिक कल्याण योजनाओं के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और अपनी महत्वपूर्ण सामाजिक पहल के लिए खुद को एक लीडर के रूप में स्थापित किया है.

कंपनी ने अपने सभी ग्रुपों के लिए एक सक्षमकारी कार्यस्थल के निर्माण के उद्देश्य से एलजीबीटीक्यू पार्टनर्स को विस्तारित लाभ, एजाइल वर्किंग मॉडल्स और एक्सटेंडेड मैटरनिटी लीव जैसी व्यवस्था स्थापित करने वाली सुविधाएं लागू की है. कंपनी का विविधता और समावेशन कार्यक्रम ‘मोजाइक’ लैंगिक विविधता, दिव्यांग पारिश्रमिक और समावेशन और एलजीबीटीक्यू आदि को शामिल करने की पहल को सक्षम बना रहा है.

ग्रेट प्लेस टू वर्क के रूप में मिली मान्यता
टाटा स्टील की वीपी एचआरएम आत्रेयी एस सान्याल ने कहा कि एक और साल के लिए ग्रेट प्लेस टू वर्क के रूप में मान्यता दी गयी है और प्रमाणित किया गया है. उन्होंने बताया कि लोग हमारी प्रतिस्पर्धा के प्राथमिक स्रोत हैं. जिन्हें हमने अपने सभी व्यवस्थाओं में हमेशा आगे रखा है. उन्होंने हमेशा एक ऐसे संस्थान के निर्माण में विश्वास किया है जो कर्मचारी के सशक्तीकरण और उच्च स्तर के प्रदर्शन से प्रेरित हो.

टाटा स्टील ने कार्यबल के विभिन्न खंडों के लिए कई पाथ-ब्रेकिंग नीतियों और अभ्यासों को पेश किया है. जिसने संस्थान के भीतर उत्पादकता और जुड़ाव को बढ़ाया है. निश्चित रूप से भविष्य में भी इस दर्शन को मजबूत करेंगे, जो हमारे काम करने के तरीके का मूल है. इस महामारी के दौरान, टाटा स्टील ने कर्मचारी सुरक्षा से संबंधित सभी निवारक और अग्र सक्रिय कदम उठाए हैं इसमें पीओडी अवधारणा का कार्यान्वयन भी एक है, जो टीमों का एक मॉड्यूलर है और सामाजिक दूरी को सक्षम करता है.

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एजाइल वर्किंग मॉडल किया पेश
कर्मचारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने थर्मल स्कैनिंग और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन आरएफआइडी के बायोमेट्रिक अटेंडेंस के स्थान पर सुरक्षा कार्ड लागू कर अधिक वैज्ञानिक कांटैक्ट ट्रेसिंग भी शुरू की. टाटा स्टील ने हाल ही में एजाइल वर्किंग मॉडल पेश किया है, जो कर्मचारियों को किसी भी स्थान से काम करने में सक्षम बनाता है. हर साल, 60 से अधिक देशों के 10 हजार से अधिक संस्थानों ने अपने कार्यस्थल की संस्कृति को मजबूत करने के लिए मूल्यांकन, बेंचमार्किंग और कार्य योजना के लिए ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट’ के साथ साझेदारी करते हैं. ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट की कार्यप्रणाली काफी सख्त और उद्देश्यपूर्ण कार्य संस्कृति मूल्यांकन प्रक्रिया मानी जाती है. इसे ग्रेट वर्कप्लेस संस्कृतियों को चिन्हित करने और उन्हें सम्मानित करने का गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है.

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