चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट को लागू करने का आग्रह किया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा और कहा कि तमिलनाडु और भारत के आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए सेतुसमुद्रम परियोजना आवश्यक है.
उन्होंने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, सदन का मानना है कि कुछ ताकतें परियोजना में देरी करने का प्रयास कर रही हैं, जो राष्ट्रीय विकास के हित में नहीं है. मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि यह डीएमके के पहले मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुराई का ड्रीम प्रोजेक्ट था और करुणानिधि ने भी इसे लागू करने में सक्रिय रूप से रुचि ली थी.
उन्होंने कहा कि इस परियोजना को चौथी पंचवर्षीय योजना में शामिल किया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक ने इसे अनुमोदित किया था. उन्होंने कहा कि 1967 में मुख्यमंत्री बने अन्नादुराई यह कहते हुए परियोजना को लागू करना चाहते थे कि यह तमिलनाडु को एक समृद्ध राज्य बनाएगा.
स्टालिन ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2004 में 2427 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. उन्होंने कहा कि सत्ता में रही भाजपा सरकार ने 50 फीसदी काम खत्म होने पर इस प्रोजेक्ट में अड़ंगा लगा दिया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा, "तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने शुरूआत में इसका समर्थन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना रुख बदल लिया और परियोजना के खिलाफ मामला दायर किया."
उन्होंने कहा कि अगर परियोजना को लागू किया गया होता तो इससे तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था में सुधार होता और बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिलता. हालांकि अन्नाद्रमुक और भाजपा ने भगवान राम को काल्पनिक चरित्र बताने वाले मुख्यमंत्री के बयान का विरोध किया. अन्नाद्रमुक नेता, पोलाची वी. जयरामन ने कहा कि श्रीराम एक अवतार थे न कि एक काल्पनिक चरित्र जैसा कि मुख्यमंत्री ने कहा है.
भाजपा के सदन के नेता नैनार नागेंद्रन ने कहा कि सीएम के बयान को कार्यवाही से हटा देना चाहिए क्योंकि भगवान राम को भगवान के रूप में पूजा जाता है. इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि किसी ने भी भगवान और लोगों की आस्था की आलोचना नहीं की है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट को रोकने के लिए फेथ का इस्तेमाल किया गया.
क्या है परियोजना - रामसेतु पुल की लंबाई करीब 48 किमी है. यह मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक दूसरे से अलग करता है. यूपीए सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना को लेकर 2005 में ऐलान किया था. इसके तहत तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच की दूरी घट जाएगी. दोनों देशों के बीच बिजनेस में इजाफा होगा और इसका सीधा फायदा तमिलनाडु को मिलेगा. यह मार्ग अगर बना, तो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के बीच आवाजाही सुविधाजनक हो जाएगी. अभी इसके लिए पूरे श्रीलंका का चक्कर लगाना पड़ता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे 36 घंटे समय की बचत होगी. एक अनुमान है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल हुआ, तो अंतरराष्ट्रीय जहाज भी इसी रूट से गुजरना चाहेगा, क्योंकि इससे उन्हें आर्थिक फायदा पहुंचेगा.
वैज्ञानिकों की सोच कुछ अलग है. वे इसे मानव निर्मित नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि यह प्रवाल भित्ति से बना हुआ है. प्रवाल भित्ति समुद्र के भीतर स्थित चट्टान को कहा जाता है, जो मुख्यतः प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से बनते हैं.
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