काबुल [अफगानिस्तान]: अफगानिस्तान में अफीम की खेती पर अंतरराष्ट्रीय जांच से बचने के लिए तालिबान नशीले पदार्थों के उत्पादन को रोकने का नाटक कर रहा है. बता दें कि तालिबान का अपना एक टैक्स सिस्टम है जिसके माध्यम से वह अपने विद्रोही अभियानों के लिए धन इकट्ठा करता है. उसकी आय में अवैध ड्रग व्यापार का काफी बड़ा योगदान है. कनाडा स्थित एक थिंकटैंक, इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (आईएफएफआरएएस) ने बताया कि अवैध ड्रग अर्थव्यवस्था में तालिबान की भागीदारी ने विद्रोही समूह के लिए राजस्व अर्जित किया है. वर्ष 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, तालिबान की कुल 1.5 बिलियन अमरीकी डालर की वार्षिक आय में से नशीली दवाओं के व्यापार में प्रति वर्ष लगभग 420 मिलियन अमरीकी डालर के होने का अनुमान है.
अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक है, जिसे हेरोइन बनाने के लिए परिष्कृत किया जाता है. 1.5 अमेरिकी डॉलर से 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमानित वार्षिक निर्यात मूल्य के कारण अफगानिस्तान जल्द ही हेरोइन का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन जाएगा. IFFRAS की रिपोर्ट के अनुसार देश में अफीम की कटाई से वर्ष 2019 में 120,000 नौकरियां पैदा हुई थी. इसके अलावा, यूरोपियन मॉनिटरिंग सेंटर फॉर ड्रग्स एंड ड्रग एडिक्शन (ईएमसीडीडीए) के अनुसार, सिंथेटिक दवाओं से हर साल स्थानीय मजदूरी में 46.8 मिलियन यूरो से अधिक के होने का अनुमान है. IFFRAS के अनुसार अफगानिस्तान में ओवन में अफीम को सुखाकर हेरोइन का उत्पादन करता है जो कि लगभग 6,000 टन प्रति वर्ष है. उत्पादन के बाद अफीम के परिवहन पर एक लेवी लगाई जाती है जो उत्पादन स्थानों से उनकी उपयोगकर्ता इकाइयों तक जाती है. हर साल परिवहन शुल्क से लगभग 750,000 अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है.
अफीम उत्पादन में सबसे ऊपर, तालिबान के लिए आय का एक और स्रोत है जो सेफ्टी फंड है. जिसमें अफीम के परिवहन दौरान सशस्त्र संरक्षण मुहैया कराया जाता है और उसके बदले एकमुश्त शुल्क वसूला जाता है. तालिबान कमांडरों में से कुछ स्वयं निगरानी बल के रूप में ड्रग लैब भी चलाते हैं. अफीम के भंडारण और स्टॉक के लिए बढ़ी हुई सुविधाओं ने अफगानिस्तान और उसके श्रम को मेथामफेटामाइन के उत्पादन की तरफ आकर्षित किया है. मेथेम्फेटामाइन उद्योग ने 20,000 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, जिनमें से 5000 मेथमफेटामाइन प्रयोगशालाओं में कार्यरत हैं.
हालांकि अफीम की खेती पर सांकेतिक प्रतिबंधों एवं अनिश्चित आगामी मौसम के कारण कच्ची अफीम की दरें 70 डॉलर से लगभग तीन गुना बढ़कर 200 डॉलर हो गई हैं. इसके बावजूद नए फसलों के आने से नए सीज़न में भाव स्थिर होने के अनुमान है. सार्वजनिक तौर पर तालिबान ने अफीम पर अंकुश लगाने का संकेत दिया है, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान के पिछले वादों को याद दिला सकता है, जैसे कि अहिंसक व्यवहार और महिलाओं के अधिकार आदि. नशीली दवाओं के व्यापार द्वारा प्रदान की जाने वाली जीविका और दीर्घायु तालिबान के लिए झूठे वादों के तहत अपने उत्पादन को छिपाने के लिए काफी मुश्किल बना देगी.
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एएनआई