काबुल: तालिबान ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को क्रिकेट सहित कोई खेल खेलने की अनुमति नहीं है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच इस साल नवंबर में होबार्ट में होने वाले एकमात्र टेस्ट मैच पर संशय के बादल छा गए हैं.
तालिबान कलचरल कमिशन के डिप्टी हेड अहमदुल्लाह वासिक ने एसबीएस न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा, मुझे नहीं लगता कि महिलाओं को क्रिकेट खेलने की इजाजत होगी, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि महिलाएं क्रिकेट खेलें. क्रिकेट में उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां उनका चेहरा और शरीर ढका नहीं होगा.
इस्लाम औरतों को इस तरह देखने की इजाजत नहीं देता. यह मीडिया का जमाना है, और इसमें फोटो और वीडियो होंगे और फिर लोग इसे देखेंगे. इस्लाम और इस्लामिक अमीरात महिलाओं को क्रिकेट खेलने या उस तरह के खेल खेलने की इजाजत नहीं देते. क्योंकि इससे अफगान महिलाओं के शरीर के बेपर्दा होने का खतरा है. इस कारण वे क्रिकेट समेत किसी भी खेल में हिस्सा नहीं ले सकती हैं, क्योंकि खेल गतिविधियां उनके शरीर की नुमाइश करेंगी.
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नवंबर 2020 में, 25 महिला क्रिकेटरों को अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) द्वारा केंद्रीय अनुबंध में शामिल किया गया था. काबुल में 40 महिला क्रिकेटरों के लिए 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया गया. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के सभी 12 पूर्ण सदस्यों की राष्ट्रीय महिला टीम होना जरूरी है और आईसीसी केवल पूर्ण सदस्यों को ही टेस्ट मैच खेलने की अनुमति है.
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यह पूछे जाने पर कि महिला क्रिकेट नहीं होने का मतलब आईसीसी होबार्ट टेस्ट को रद्द कर सकता है. इस पर वासिक ने कहा कि तालिबान समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा, इसके लिए अगर हमें चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ा तो हमने अपने धर्म के लिए लड़ाई लड़ी है, ताकि इस्लाम का पालन किया जा सके. हम इस्लामी मूल्यों को पार नहीं करेंगे, भले ही इसकी विपरीत प्रतिक्रिया हो. हम अपने इस्लामी नियमों को नहीं छोड़ेंगे.
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वासिक ने कहा कि इस्लाम ने महिलाओं को खरीदारी जैसे जरूरतों के आधार पर बाहर जाने की इजाजत दी है और खेल को जरूरी नहीं माना जाता है. ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन तेहान ने तालिबान द्वारा महिला एथलीटों को खेल खेलने से प्रतिबंधित करने के फैसले को अविश्वसनीय रूप से निराशाजनक बताया.