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नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास क्यों बंद हुआ, पूर्व राजदूत ने किया खुलासा

पूर्व अफगान राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान और भारत के संबंध पहले से कहीं और ज्यादा बेहतर हैं, लेकिन जब मैंने एनएसए और विदेश मंत्री से बात करने की कोशिश की, तो हमें कोई जवाब नहीं मिला. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट. Taliban and India, Farid Mamundzay.

Former Afghan Ambassador Farid Maumndzay
पूर्व अफगान राजदूत फरीद मामुंडजे
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2023, 4:29 PM IST

Updated : Nov 26, 2023, 4:47 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व अफगान राजदूत फरीद मामुंडजे (Farid Mamundzay) ने कहा कि 'भारत और तालिबान करीब हैं. पहले से कहीं अधिक और इससे हमारे पास काम करने के लिए कोई जगह नहीं बची.' उन्होंने ईटीवी भारत द्वारा विशेष रूप से यह खबर प्रसारित करने के एक दिन बाद कि अफगानिस्तान का दूतावास, जिसने शुक्रवार को अपना परिचालन बंद कर दिया था, सोमवार से फिर से खुल जाएगा जिसमें मुंबई और हैदराबाद वाणिज्य दूतावासों के अफगान राजनयिकों का नेतृत्व किया जाएगा.

फरीद मामुंडजे को 2021 में पूर्व पीएम अशरफ गनी द्वारा नियुक्त किया गया था. लंदन से ईटीवी भारत से विशेष रूप से बात करते हुए फरीद मामुंडजे ने कहा कि 'दूतावास को नियमित रूप से बंद कर दिया गया था, जिसमें नियमित वाणिज्य दूतावास सेवाओं और अन्य सुविधाओं का कोई प्रावधान नहीं था. हालांकि, आपातकालीन आधार पर, हमने कुछ सेवाएं प्रदान कीं. इसके अतिरिक्त, मेरे सहयोगियों ने भारत सरकार के आचरण के विरोध में मिशन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया, इस आशा के साथ कि इसमें बदलाव आएगा, और उन्हें वीजा दिया जाएगा. दुर्भाग्य से, इनमें से कोई भी अपेक्षा पूरी नहीं हुई, जिसके कारण हमें रिपब्लिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लेना पड़ा.'

उनकी यह प्रतिक्रिया उस सवाल पर आई जब उनसे पूछा गया कि शुक्रवार को अफगान दूतावास क्यों बंद कर दिया गया. जब उनसे नई दिल्ली के साथ किए गए अंतिम संचार और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल की ओर से किसी प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो फरीद ने जवाब दिया कि 'हमारे राजनयिकों को बैठकों के लिए समय देने या हमारे किसी भी संचार का जवाब देने की कोई इच्छा नहीं थी. मैंने उनमें से दोनों (विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल) को दो बार लिखा लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. कोई मिलने का समय नहीं दे रहा था.'

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ महीने पहले यह कहा गया था कि तालिबान ने अप्रैल में कादिर शाह को मिशन का प्रमुख नियुक्त किया था, जो 2020 से अफगान दूतावास में ट्रेड काउंसिलर के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन बाद में अधिकारियों ने इसका खंडन कर दिया और मिशन में अन्य राजनयिकों ने इसे रोक दिया. यह पूरा प्रकरण उस समय दूतावास के भीतर आंतरिक संघर्ष को चित्रित करता था.

जब उनसे कादिर शाह की स्थिति के बारे में पूछा गया कि क्या वह भारत में हैं, तो विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यह जवाब दिया, 'आखिरी बार जब कादिर शाह से हमारी बातचीत हुई थी, तब वह तुर्की में थे हमें नहीं पता कि वह अब कहां हैं.'

हालांकि फरीद ने जवाब दिया कि 'वह दिल्ली में हैं. इब्राहिमखिल (हैदराबाद कौंसल) कुछ हफ्तों तक मिशन चलाएगा और फिर इसे कादिर शाह को सौंप देगा. भारत और तालिबान पहले से कहीं अधिक करीब हैं और इससे हमारे पास काम करने के लिए कोई जगह नहीं बची है.'

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास में 19 कर्मचारियों को पिछले 3 महीनों से भुगतान नहीं किया गया है, लेकिन इस पर अंब फरीद ने कहा कि 'किसी का भी वेतन लंबित नहीं है.'

अफगान दूतावास के अचानक बंद होने और उसके बाद सोमवार से इसे फिर से खोलने ने राजनयिक हलकों में काफी ध्यान आकर्षित किया है और भारत और तालिबान के बीच संबंधों पर सवाल अभी भी बने हुए हैं.

जबकि, नई दिल्ली ने अब तक तालिबान के साथ अपने संबंधों पर सभी दावों का खंडन किया है, जो अब अशरफ गनी की सरकार के पतन के बाद से युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान पर शासन कर रहा है. लेकिन, अब सबकी निगाहें अफगान दूतावास और उसकी कार्यप्रणाली पर होंगी.

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नई दिल्ली: पूर्व अफगान राजदूत फरीद मामुंडजे (Farid Mamundzay) ने कहा कि 'भारत और तालिबान करीब हैं. पहले से कहीं अधिक और इससे हमारे पास काम करने के लिए कोई जगह नहीं बची.' उन्होंने ईटीवी भारत द्वारा विशेष रूप से यह खबर प्रसारित करने के एक दिन बाद कि अफगानिस्तान का दूतावास, जिसने शुक्रवार को अपना परिचालन बंद कर दिया था, सोमवार से फिर से खुल जाएगा जिसमें मुंबई और हैदराबाद वाणिज्य दूतावासों के अफगान राजनयिकों का नेतृत्व किया जाएगा.

फरीद मामुंडजे को 2021 में पूर्व पीएम अशरफ गनी द्वारा नियुक्त किया गया था. लंदन से ईटीवी भारत से विशेष रूप से बात करते हुए फरीद मामुंडजे ने कहा कि 'दूतावास को नियमित रूप से बंद कर दिया गया था, जिसमें नियमित वाणिज्य दूतावास सेवाओं और अन्य सुविधाओं का कोई प्रावधान नहीं था. हालांकि, आपातकालीन आधार पर, हमने कुछ सेवाएं प्रदान कीं. इसके अतिरिक्त, मेरे सहयोगियों ने भारत सरकार के आचरण के विरोध में मिशन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया, इस आशा के साथ कि इसमें बदलाव आएगा, और उन्हें वीजा दिया जाएगा. दुर्भाग्य से, इनमें से कोई भी अपेक्षा पूरी नहीं हुई, जिसके कारण हमें रिपब्लिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लेना पड़ा.'

उनकी यह प्रतिक्रिया उस सवाल पर आई जब उनसे पूछा गया कि शुक्रवार को अफगान दूतावास क्यों बंद कर दिया गया. जब उनसे नई दिल्ली के साथ किए गए अंतिम संचार और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल की ओर से किसी प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो फरीद ने जवाब दिया कि 'हमारे राजनयिकों को बैठकों के लिए समय देने या हमारे किसी भी संचार का जवाब देने की कोई इच्छा नहीं थी. मैंने उनमें से दोनों (विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल) को दो बार लिखा लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. कोई मिलने का समय नहीं दे रहा था.'

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ महीने पहले यह कहा गया था कि तालिबान ने अप्रैल में कादिर शाह को मिशन का प्रमुख नियुक्त किया था, जो 2020 से अफगान दूतावास में ट्रेड काउंसिलर के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन बाद में अधिकारियों ने इसका खंडन कर दिया और मिशन में अन्य राजनयिकों ने इसे रोक दिया. यह पूरा प्रकरण उस समय दूतावास के भीतर आंतरिक संघर्ष को चित्रित करता था.

जब उनसे कादिर शाह की स्थिति के बारे में पूछा गया कि क्या वह भारत में हैं, तो विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यह जवाब दिया, 'आखिरी बार जब कादिर शाह से हमारी बातचीत हुई थी, तब वह तुर्की में थे हमें नहीं पता कि वह अब कहां हैं.'

हालांकि फरीद ने जवाब दिया कि 'वह दिल्ली में हैं. इब्राहिमखिल (हैदराबाद कौंसल) कुछ हफ्तों तक मिशन चलाएगा और फिर इसे कादिर शाह को सौंप देगा. भारत और तालिबान पहले से कहीं अधिक करीब हैं और इससे हमारे पास काम करने के लिए कोई जगह नहीं बची है.'

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास में 19 कर्मचारियों को पिछले 3 महीनों से भुगतान नहीं किया गया है, लेकिन इस पर अंब फरीद ने कहा कि 'किसी का भी वेतन लंबित नहीं है.'

अफगान दूतावास के अचानक बंद होने और उसके बाद सोमवार से इसे फिर से खोलने ने राजनयिक हलकों में काफी ध्यान आकर्षित किया है और भारत और तालिबान के बीच संबंधों पर सवाल अभी भी बने हुए हैं.

जबकि, नई दिल्ली ने अब तक तालिबान के साथ अपने संबंधों पर सभी दावों का खंडन किया है, जो अब अशरफ गनी की सरकार के पतन के बाद से युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान पर शासन कर रहा है. लेकिन, अब सबकी निगाहें अफगान दूतावास और उसकी कार्यप्रणाली पर होंगी.

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Last Updated : Nov 26, 2023, 4:47 PM IST
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