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बागी विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाना लोकतंत्र एवं संविधान की हत्या : शिवसेना

मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में संजय राठौड़ को मंत्री बनाने के लिए भी भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की गयी है. नए मंत्रियों में शिंदे समूह के विधायक संजय राठौड़ शामिल हैं जो उद्धव ठाकरे की सरकार में वन मंत्री थे तथा भाजपा द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

शिवसेना
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Published : Aug 10, 2022, 12:47 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद शिवसेना ने दावा किया कि उन बागी विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाना लोकतंत्र और संविधान की हत्या के समान है, जिन्हें अयोग्य घोषित करने की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं. शिवसेना ने बुधवार को अपने मुखपत्र 'सामना' में पूछा, "मंत्री पद की शपथ लेने के बाद बागियों ने गंगा नदी में डुबकी लगा ली है. लेकिन क्या वे धोखा देने का पाप धो पाएंगे?" उसने कहा कि मंत्रियों को पद की शपथ दिलाते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे वह कोई ईश्वरीय कार्य कर रहे हो.

मराठी भाषा के दैनिक अखबार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करने से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चक्कर लगाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आलोचना भी की. उसने कहा कि मुख्यमंत्री को पिछले एक महीने में नयी दिल्ली के सात चक्कर लगाने पड़े, तभी वह मंत्रिमंडल का विस्तार कर पाए. संपादकीय में कहा गया है कि जब बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है तो उन्हें शपथ दिलाना लोकतंत्र और संविधान की हत्या के समान है। शिंदे तथा 39 बागियों के सिर पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है. इसमें कहा गया है, "लेकिन उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात करने वाले और दल बदल करने वाले कभी संतुष्ट हो पाएंगे? राजद्रोह का धब्बा कभी नहीं हटेगा."

शिवसेना ने पूछा कि इतने लंबे समय से अटका मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे वक्त में क्यों किया गया जब बागी विधायकों के लिए फैसले का दिन 12 अगस्त को है. उच्चतम न्यायालय 12 अगस्त को उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. उसने कहा, "इसका मतलब है कि उन्हें न्यायपालिका का कोई डर नहीं है। यह उनका विश्वास दिखाता है कि सबकुछ उनकी मर्जी के अनुसार होगा." संपादकीय में संजय राठौड़ को मंत्री बनाने के लिए भी भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की गयी है. नए मंत्रियों में शिंदे समूह के विधायक संजय राठौड़ शामिल हैं जो उद्धव ठाकरे की सरकार में वन मंत्री थे तथा भाजपा द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद शिवसेना ने दावा किया कि उन बागी विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाना लोकतंत्र और संविधान की हत्या के समान है, जिन्हें अयोग्य घोषित करने की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं. शिवसेना ने बुधवार को अपने मुखपत्र 'सामना' में पूछा, "मंत्री पद की शपथ लेने के बाद बागियों ने गंगा नदी में डुबकी लगा ली है. लेकिन क्या वे धोखा देने का पाप धो पाएंगे?" उसने कहा कि मंत्रियों को पद की शपथ दिलाते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे वह कोई ईश्वरीय कार्य कर रहे हो.

मराठी भाषा के दैनिक अखबार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करने से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चक्कर लगाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आलोचना भी की. उसने कहा कि मुख्यमंत्री को पिछले एक महीने में नयी दिल्ली के सात चक्कर लगाने पड़े, तभी वह मंत्रिमंडल का विस्तार कर पाए. संपादकीय में कहा गया है कि जब बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है तो उन्हें शपथ दिलाना लोकतंत्र और संविधान की हत्या के समान है। शिंदे तथा 39 बागियों के सिर पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है. इसमें कहा गया है, "लेकिन उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात करने वाले और दल बदल करने वाले कभी संतुष्ट हो पाएंगे? राजद्रोह का धब्बा कभी नहीं हटेगा."

शिवसेना ने पूछा कि इतने लंबे समय से अटका मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे वक्त में क्यों किया गया जब बागी विधायकों के लिए फैसले का दिन 12 अगस्त को है. उच्चतम न्यायालय 12 अगस्त को उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. उसने कहा, "इसका मतलब है कि उन्हें न्यायपालिका का कोई डर नहीं है। यह उनका विश्वास दिखाता है कि सबकुछ उनकी मर्जी के अनुसार होगा." संपादकीय में संजय राठौड़ को मंत्री बनाने के लिए भी भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की गयी है. नए मंत्रियों में शिंदे समूह के विधायक संजय राठौड़ शामिल हैं जो उद्धव ठाकरे की सरकार में वन मंत्री थे तथा भाजपा द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

(पीटीआई-भाषा)

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