कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफे की अटकलों के बीच पूर्व राज्य मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने आज कहा कि मेरी पहचान यह है कि मैं पश्चिम बंगाल का बेटा और भारत का बेटा हूं. मैं हमेशा पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए लड़ूंगा.
अधिकारी ने खुद के और पार्टी के बीच चल रही बातचीत में ठहराव आने के बाद अगले राजनीतिक कदम को लेकर लगाई जा रहीं अटकलों के बीच यह टिप्पणी की है. पार्टी के वरिष्ठ सांसद सौगाता रॉय का दावा है कि आगे उनसे कोई बातचीत नहीं होगी. अब तक जो भी बातचीत हुई है, उसके आधार पर उन्हें फैसला लेना है.
पिछले सप्ताह ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले अधिकारी ने गुरुवार को यहां पार्टी के बैनरों और झंडों के बिना रैली की. पूर्वी मिदनापुर जिले के तामलुक उप-मंडल में हुई इस रैली का आयोजन स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की जयंती के मौके पर किया गया था. रैली के दौरान उनके समर्थक राष्ट्रध्वज थामे नजर आए.
पत्रकारों ने जब अधिकारी से उनके मौजूदा राजनीतिक रुख के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'हमारे देश का संविधान जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन की बात कहता है. मैं बंगाल का, भारत का पुत्र हूं और अपने राज्य की जनता की सेवा करता रहूंगा.'
वहीं टीएमसी नेता सौगत रॉय ने कहा कि हमने अधिकारी के संदेश का जवाब दिया है. एक दिन पहले हुई बैठक में जो भी हुआ, यदि उसके बाद शुभेंदु ने अपना मन बदल लिया है तो उन्हें मीडिया के सामने आकर बताना चाहिए. उनके साथ कोई और चर्चा नहीं हुई है.
गौरतलब है कि नंदीग्राम आंदोलन का चेहरा रहे अधिकारी ने पिछले हफ्ते राज्य के परिवहन, सिंचाई और जलमार्ग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे अटकलें लगने लगी थीं कि वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को छोड़ सकते हैं.
बता दें, नंदीग्राम आंदोलन ने राज्य में वाम मोर्चा के शासन का अंत कर तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में लाने में बड़ी भूमिका अदा की थी.
कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व के प्रति शिकायतों का इजहार कर चुके असंतुष्ट विधायक अधिकारी पूर्वी मेदिनीपुर जिले के शक्तिशाली अधिकारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी क्रमश: तामलुक और कंठी लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं.
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अधिकारी का पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरुलिया, झाड़ग्राम और बीरभूम के कुछ हिस्सों और अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले के अंतर्गत आने वाली 40-45 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है.
गौरतलब है कि राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए अगले वर्ष अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है.