देहरादून: राज्यसभा में कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर कर्नाटक से बीजेपी सांसद नारायण कोरगप्पा ने सवाल पूछे. नारायण कोरगप्पा ने पूछा साल 2023 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की क्या स्थिति है, जिसके जबाव में विदेश मंत्रालय ने बताया कि साल 2020, 2021 और 2022 में कोरोना के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा रोकी गई थी. यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए ये फैसला लिया गया था. विदेश मंत्रालय ने सवाल के जवाब में कहा कि यात्रा की बहाली के लिए यात्रियों की सुरक्षा जरूरी है. फिलहाल स्थिति वैसी ही रहेगी.
दूसरे सवाल में सांसद नारायण कोरगप्पा ने कैलाश मानसरोवर यात्रियों की संख्या को लेकर जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने बताया साल 2015 में 999, 2016 में 983, 2017 में 919, 2018 में 1328 और 2019 में 1346 यात्री मानसरोवर यात्रा पर गए थे. विदेश मंत्रालय ने बताया कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आयोजन हर साल जून से सितंबर महीने के बीच में किया जाता है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख पास और नाथू ला पास (सिक्किम) रूट से की जाती है.
बता दें कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लगातार चौथे साल फिर से शुरू होने की संभावना नहीं है. इस साल विदेश मंत्रालय से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नोडल एजेंसी को अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है. कुमाऊं मंडल विकास निगम मानसरोवर यात्रा की नोडल एजेंसी है. कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधिकारी एपी वाजपेयी ने कहा कि विदेश मंत्रालय की ओर से अभी तक यात्रा के बारे में कोई सूचना नहीं है और न ही इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर इसके बारे में कोई जानकारी है.
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वाजपेयी ने कहा कैलाश-मानसरोवर यात्रा के विकल्प के रूप में हम अब आदि कैलाश की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, जो भारतीय क्षेत्र के भीतर व्यास घाटी में स्थित है. अगर चीजें सामान्य होतीं तो यात्रा की तैयारियों पर कम से कम दो बैठकें दिल्ली और पिथौरागढ़ में अब तक आयोजित हो चुकी होती. उन्होंने कहा यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन भी आमंत्रित किए गए होंगे. यात्रा आमतौर पर जून के पहले सप्ताह में शुरू होती है. इसकी तैयारी तीन-चार महीने पहले से शुरू हो जाती है.
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वाजपेयी ने कहा पिछले कुछ वर्षों से कैलाश-मानसरोवर यात्रा नहीं हो रही है. हमने आदि कैलाश के लिए मार्ग विकसित किए हैं. एक अंतिम रूट चार्ट तैयार कर रहे हैं. आदि कैलाश की यात्रा मई के पहले सप्ताह में शुरू होगी. नवंबर के पहले सप्ताह तक चलेगी. वाजपेयी ने कहा यह काठगोदाम से शुरू होकर कैंची धाम, जागेश्वर, पिथौरागढ़, धारचूला, बूंदी, गुंजी, नाभीढांग, ओम पर्वत, कालापानी और व्यास गुफा होते हुए आदि कैलाश पहुंचेगी.