नई दिल्ली : पाकिस्तान से वापस लौटने के बाद रुंधे गले से अपनी आपबीती सुनाते हुए उजमा ने कहा कि वे उन सभी लोगों के प्रति कृतज्ञता जताती हैं, जिन्होंने उनकी वापसी में मदद की. उजमा के प्रकरण में मलेशिया के एक नागरिक ताहिर ने बंदूक की नोक पर उससे निकाह किया. बाद में काफी प्रताड़ित भी किया गया.
इसी क्रम में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के बाद 2015 में गीता पाकिस्तान से भारत लौटी थीं. गीता को आज भी अपनों की तलाश है, वह अभी अपने बिछड़े हुआ परिवार को खोज रही हैं. गीता बोल और सुन नहीं सकती है, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 2015 में पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं, जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था.
पाकिस्तान में जिस स्थान पर उजमा ने जो दिन बिताए थे, उसका जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि बुनेर एक तालिबानी इलाका है. उन्होंने बताया कि उनके साथ मारपीट भी की गई. प्रताड़ना और बेटी के साथ कुछ गलत होने की आशंका के कारण उन्होंने वहां जो भी कहा गया, वो किया.
उजमा ने बताया कि वे अनाथ हैं, वे अडॉप्टेड बच्ची हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक होना एक गर्व की अनुभूति है. उन्होंने बताया कि सुषमा मैम फोन पर बात करतीं थीं और कहतीं थीं कि वे कहती थीं, कि बेटा फिक्र मत करना तुम हिंदुस्तान की बेटी हो, मेरी बेटी हो. हम कुछ नहीं होने देंगे.
सुषमा स्वराज और भारत सरकार के योगदान का जिक्र करते हुए उजमा ने कहा कि मेरे लिए मैम और भारत सरकार इतना कुछ कर रही है, ये बहुत बड़ी बात थी. उन्होंने कहा कि वहां के हालात देखते हुए शायद मेरी जगह कोई और होती तो जिंदा लौटना मुश्किल था.
उजमा ने कहा कि कुछ दिन और बीतने के बाद या तो मुझे बेच दिया जाता या किसी रिस्की ऑपरेशन में लगा दिया जाता. उन्होंने आशंका जताई कि बुनेर एक ऐसी जगह है जहां भारत के अलावा कई और देशों की लड़कियां भी हैं. आए दिन गोलाबारी होती रहती है. उन्होंने कहा कि वे खुद को खुशकिस्मत मानती हैं, कि वे बच कर आ गईं हैं.
इस मौके पर सुषमा स्वराज ने उजमा का आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि वे भारतीय दूतावास पर भरोसा किया, ये बहुत बड़ी बात है. उन्होंने उजमा की बातों को याद करते हुए कहा कि उच्चायुक्त को कहा था कि अगर आपने बाहर निकाला तो वे आत्महत्या कर लेंगी, लेकिन इसके साथ नहीं जाउंगी.
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सुषमा ने बताया कि जब ये प्रकरण हुआ तो भारत में हेड ऑफ मिशन्स की कॉन्फ्रेंस चल रही थी. उन्होंने कहा कि जेपी सिंह जैसे अफसर पर वे गर्व करती हैं. सभी की व्यस्तता के कारण जेपी सिंह को कोई भी सलाह देने के लिए कोई मौजूद नहीं था. सुषमा ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने एक कैंपेन वाक्य बनाया है, 'परदेश में आपका दोस्त भारतीय दूतावास.'
सुषमा ने उजमा की वापसी का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी देश में फंसा कोई भी नागरिक बस इतना कह दे कि वह भारतीय है तो बाकी सभी बातें गौण हो जाती हैं.
बता दें कि सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को अंबाला कैंट में हुआ था. पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने सुषमा के सम्मान में 'प्रवासी भारतीय केंद्र' का नाम बदल कर 'सुषमा स्वराज भवन' कर दिया था.
इसके अलावा विदेश सेवा संस्थान का नाम बदलकर सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस कर दिया गया है. ये दोनों संस्थान राष्ट्रीय राजधानी में स्थित हैं.