नई दिल्ली : राजनीति में कई सारे चर्चित व सफल चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी फील्ड बदलकर राजनीति में महारत हासिल की और अपनी राजनीतिक सूझबूझ का लोह मनवाया. इसमें एक ऐसा ही नाम महाराष्ट्र की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले सुशील कुमार शिंदे (Sushilkumar Shinde) का भी है, जिनकी प्रतिभा को शरद पवार ने पहचान कर राजनीतिक पारी शुरू करने की सलाह दी थी. इनके जन्मदिन के अवसर पर इनके बारे में कुछ अलग जानने की कोशिश करते हैं.
सुशील कुमार शिंदे का पूरा नाम सुशील कुमार संभाजी शिंदे (Sushilkumar Sambhaji Shinde) है. इनका जन्म 4 सितम्बर 1941 को महाराष्ट्र के शोलापुर में हुआ था. उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को चलते पढ़ाई के दौरान ही नौकरी शुरू कर दी थी. इसके लिए सबसे पहले वह शोलापुर सेशन कोर्ट में एक नाजिर के तौर पर तैनात हुए. इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखायी जारी रखी और धीरे धीरे दयानंद कॉलेज, शोलापुर से आर्ट्स में ऑनर्स डिग्री ली और फिर शिवाजी यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी हासिल करने में सफल हुए. इस दौरान वह कोर्ट की नौकरी के साथ साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं व भर्तियों में अवसर तलाशते रहे और 1965 में महाराष्ट्र पुलिस में सीआईडी के सब-इंस्पेक्टर के रुप में सेलेक्ट हो गए. शरद पवार के आग्रह पर 1971 में राजनीति में आने को तैयार हो गए. वह पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने की हामी भरी थी और धीरे-धीरे राजनीति की सीढ़ी चढ़ते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल के साथ साथ देश के गृहमंत्री तक का सफर तय किया.
राजनीतिक सफरनामा (Sushilkumar Shinde Political Profile)
महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार बताते हैं कि शरद पवार ने मुलाकात के दौरान सुशील कुमार शिंदे को पहचाना और कहा कि वह राजनीति में आकर और बेहतर काम कर सकते हैं. इसके लिए वह राजी हो गए और पुलिस की सरकारी नौकरी छोड़कर शोलापुर जिले के करमाला से उन्होंने पहली बार विधानसभा का उप चुनाव लड़ा था और वे जीत गए. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीपी नाईक ने उन्हें अपनी सरकार में जूनियर मंत्री बनाया. कुछ साल के बाद वसंतराव पाटिल मंत्रीमंडल में उन्हें राज्य का वित्तमंत्री बनने का अवसर मिला. इस दौरान वह वर्ष 1978 से 1990 तक लगातार राज्य विधानसभा के लिए चुनाव जीतते रहे.
इसके बाद जुलाई 1992 में उन्हें राज्य से राज्यसभा के लिए चुना गया और वह पहली बार संसद के उच्च सदन में पहुंचे. उन्हें सोनिया गांधी के नज़दीक जाने का मौक़ा मिला और इसी की वजह से 1999 में उन्हें अमेठी में सोनिया गांधी का प्रचार संभालने का मौक़ा मिला. धीरे धीरे वह कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के संपर्क में आते गए और कांग्रेस पार्टी में उनका कद बढ़ता गया. 1999 में वे लोकसभा के लिए चुने गए फिर सोनिया गांधी के निर्देश पर वर्ष 2002 में उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार भैरोसिंह शेखावत के ख़िलाफ़ उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा और हार गए. जब केंद्र में 2004 में जब यूपीए की सरकार आई तो उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा गया, लेकिन एक साल बीतते बीतते उन्होंने यह पद भी छोड़ दिया.
2006 में वो एक बार फिर राज्यसभा के सदस्य बने और केन्द्र सरकार में फिर से ऊर्जा मंत्री का कार्यभार संभाला. 2009 में फिर से सरकार बनने पर दूसरी बार ऊर्जा मंत्री बनाए गए और 31 जुलाई 2012 को गृहमंत्री बनकर अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया. प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी बनाए गए.
- 1974 -1992: सदस्य, महाराष्ट्र विधानसभा
- 1974 -1975 : महाराष्ट्र सरकार में खेल और सांस्कृतिक मामलों के राज्य मंत्री
- 1975 -1977 : महाराष्ट्र सरकार में वित्त, परिवार कल्याण, खेल और सांस्कृतिक मामलों के राज्य मंत्री
- 1978- श्रम और पर्यटन मंत्री
- 1983 -1985- महाराष्ट्र सरकार में वित्त, योजना, खेल और सांस्कृतिक मामलों के कैबिनेट मंत्री,
- 1986- महाराष्ट्र सरकार में वित्त, योजना, उद्योग, कानून और न्यायपालिका, समाज कल्याण, महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री
- 1988 - 1990- महाराष्ट्र सरकार में वित्त, सांस्कृतिक मामलों, खेल और योजना के कैबिनेट मंत्री
- 1990- महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास मंत्री
- 1991- महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास, कानून और न्यायपालिका के कैबिनेट मंत्री
- 1992- राज्यसभा के लिए चुने गए
- 1998-1999- बारहवीं लोकसभा के सदस्य
- 1999 - 2003- तेरहवीं लोकसभा के सदस्य
- 2003 -2004- सदस्य, महाराष्ट्र विधान सभा
- 2004- महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री
- 2004-2006- आंध्र प्रदेश के राज्यपाल
- 2006- सदस्य, राज्यसभा और केंद्रीय कैबिनेट में बिजली मंत्री
- 2009- 15वीं लोकसभा सदस्य और सरकार में बिजली मंत्री
- 2012- केंद्रीय कैबिनेट में गृहमंत्री
- 2012- लोकसभा में सदन के नेता
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ऐसे की थी तारीफ
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के प्रमुख पदों तक पहुंचने वाले पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के एक बार एक कार्यक्रम में मंच से तारीफ की थी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता के 75वें जन्मदिन पर मुखर्जी ने कहा कि अति सामान्य पृष्ठभूमि और बिना किसी कटुता के बाधाओं को पार करना तथा देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंचने वाले शिंदे की कहानी निश्चित ही भारत की कहानी है. राष्ट्रपति ने शिंदे के जीवन को अधिकारसंपन्न, समर्थ और प्रगतिशील लोकतांत्रिक भारत का बेहतरीन उदाहरण बताया था.
अंतर्जातीय शादी थी चर्चा में
कहा जाता है कि सुशील कुमार शिंदे का विवाह भी चर्चा का विषय बना था, जब वह अंतर्जातीय विवाह कर लिए थे. बाद में घर परिवार के लोगों ने विरोध छोड़कर सबको अपना लिया था. इनकी दो बेटियां हैं, जिसमें एक सिनेमा जगत तो दूसरी राजनीति में सक्रिय हैं.
सुशील कुमार शिंदे को बचपन से अभिनय का शौक था और वह युवावस्था के दौरान कई 8 मराठी नाटकों में भी अभिनय किया है. यह उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है.
- मुंबई ची मानसे
- करयला गेलो येकी
- बेबंध शाही
- मिनुची मावशी
- वेगला वैची मल
- घर बहेरी
- लगनाची बेदी
- प्रेमा तुझ रंग कसा
कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में शामिल (Sushil Kumar Shinde May be Next Congress President)
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर एक तरफ पार्टी के भीतर कुछ नेता सवाल उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ अगले अध्यक्ष के चेहरे को लेकर अपनी खेमेबाजी कर रहे हैं. ऐसे में गांधी परिवार के बाहर के नेताओं में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आ रहा है, जिन्हें यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन सोनिया गांधी की पसंद के तौर पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे हैं का नाम भी रेस में शामिल बताया जा रहा है. वह दलित समुदाय से आने के साथ साथ हिन्दी बोलने वाले और कांग्रेस परिवार के वफादारों में गिने जाते हैं.
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