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राष्ट्रीय संकट के वक्त मूक दर्शक बने नहीं रह सकते : सुप्रीम कोर्ट

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कोरोना संक्रमण से मौत के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से अस्पतालों में हाहाकार मचा है. ऐसे में कोरोना से बिगड़ते हालातों का संज्ञान लेते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई की. शीर्ष कोर्ट ने दवा और ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने के लिए केंद्र को निर्देश दिए हैं.

supreme court hearing today on covid national plan
देश में कोरोना से बिगड़ते हालातों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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Published : Apr 27, 2021, 7:49 AM IST

Updated : Apr 27, 2021, 3:45 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं, मौत का आंकड़ा भी आसमान छू रहा है. ऐसे में कोरोना से बिगड़ते हालातों का संज्ञान लेते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ऑक्सीजन की उपलब्धता, इसकी सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने, कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोविड 19 टीकों के अलग-अलग मूल्य निर्धारण के पीछे क्या औचित्य है, इस बारे में भी पूछा है. केंद्र को 29 अप्रैल को इस पर जवाब दाखिल करना होगा.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान सुनवाई करने पर कहा कि राष्ट्रीय संकट के वक्त शीर्ष अदालत मूक दर्शक बना नहीं रह सकता. कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे.

साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में कोविड-19 की स्थिति की निगरानी करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.

पूर्व सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने 23 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई की थी लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति के बाद मामले को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने केंद्र से अर्धसैनिक, सेना, डॉक्टरों, रेलवे आदि सुविधाओं का उपयोग करने की योजना के बारे में पूछा.

केंद्र की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि सब कुछ रिकॉर्ड पर रखा है. इसमें कहा गया है कि संसाधनों का उपयोग अधिकतम तरीके से किया जा रहा है. इसके अलावा केंद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति को लेकर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की है.

राजस्थान, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश ने अपने-अपने राज्यों में विकट स्थिति के प्रति चिंता जताई है. इस पर कोर्ट ने राज्यों को अपनी स्थिति पर हलफनामा दायर करने और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ साझा करने का निर्देश दिया. पूरे मामले पर 29 अप्रैल को केंद्र अपना जवाब दाखिल करेगा और 30 अप्रैल को मामले की फिर से सुनवाई होगी.

कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

इससे पहले 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान जज ने नाराजगी जताई थी कि दो दिनों में सुप्रीम कोर्ट की मंशा को लेकर वरिष्ठ वकील और तमाम लोगों ने तरह-तरह के आरोप लगाए हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भाट ने कई बार यह कहा था कि उनका इरादा किसी हाई कोर्ट को सुनवाई से रोकने का बिल्कुल नहीं था. उनकी कोशिश सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक दवाइयों और उपकरणों के उत्पादन और आवागमन में आ रही दिक्कत को आसान बनाने की है, लेकिन लोगों ने बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश को समझे तरह तरह की टिप्पणी करनी शुरू कर दी.

जजों ने इस बात पर अफसोस जताया था कि ऐसा करने वालों में वरिष्ठ वकील भी शामिल थे.

पढ़ें: कोरोना दवा व ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर वकीलों ने सीजेआई को लिखा पत्र

न्यायालय ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुवार को टिप्पणी की थी कि वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन को एक 'आवश्यक हिस्सा' कहा जाता है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ हद तक 'घबराहट' पैदा हुई जिसके कारण लोगों ने कई उच्च न्यायालयों से संपर्क किया है.

नई दिल्ली : देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं, मौत का आंकड़ा भी आसमान छू रहा है. ऐसे में कोरोना से बिगड़ते हालातों का संज्ञान लेते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ऑक्सीजन की उपलब्धता, इसकी सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने, कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोविड 19 टीकों के अलग-अलग मूल्य निर्धारण के पीछे क्या औचित्य है, इस बारे में भी पूछा है. केंद्र को 29 अप्रैल को इस पर जवाब दाखिल करना होगा.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान सुनवाई करने पर कहा कि राष्ट्रीय संकट के वक्त शीर्ष अदालत मूक दर्शक बना नहीं रह सकता. कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे.

साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में कोविड-19 की स्थिति की निगरानी करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.

पूर्व सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने 23 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई की थी लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति के बाद मामले को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने केंद्र से अर्धसैनिक, सेना, डॉक्टरों, रेलवे आदि सुविधाओं का उपयोग करने की योजना के बारे में पूछा.

केंद्र की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि सब कुछ रिकॉर्ड पर रखा है. इसमें कहा गया है कि संसाधनों का उपयोग अधिकतम तरीके से किया जा रहा है. इसके अलावा केंद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति को लेकर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की है.

राजस्थान, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश ने अपने-अपने राज्यों में विकट स्थिति के प्रति चिंता जताई है. इस पर कोर्ट ने राज्यों को अपनी स्थिति पर हलफनामा दायर करने और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ साझा करने का निर्देश दिया. पूरे मामले पर 29 अप्रैल को केंद्र अपना जवाब दाखिल करेगा और 30 अप्रैल को मामले की फिर से सुनवाई होगी.

कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

इससे पहले 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान जज ने नाराजगी जताई थी कि दो दिनों में सुप्रीम कोर्ट की मंशा को लेकर वरिष्ठ वकील और तमाम लोगों ने तरह-तरह के आरोप लगाए हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भाट ने कई बार यह कहा था कि उनका इरादा किसी हाई कोर्ट को सुनवाई से रोकने का बिल्कुल नहीं था. उनकी कोशिश सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक दवाइयों और उपकरणों के उत्पादन और आवागमन में आ रही दिक्कत को आसान बनाने की है, लेकिन लोगों ने बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश को समझे तरह तरह की टिप्पणी करनी शुरू कर दी.

जजों ने इस बात पर अफसोस जताया था कि ऐसा करने वालों में वरिष्ठ वकील भी शामिल थे.

पढ़ें: कोरोना दवा व ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर वकीलों ने सीजेआई को लिखा पत्र

न्यायालय ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुवार को टिप्पणी की थी कि वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन को एक 'आवश्यक हिस्सा' कहा जाता है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ हद तक 'घबराहट' पैदा हुई जिसके कारण लोगों ने कई उच्च न्यायालयों से संपर्क किया है.

Last Updated : Apr 27, 2021, 3:45 PM IST
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