नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की स्वीकृति दे दी, जिसमें कर्नाटक में मुस्लिमों को हासिल चार फीसदी आरक्षण को खत्म करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस दलील का संज्ञान लिया कि याचिका में मौजूद सभी खामियां दूर कर दी गई हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मैंने कल अदालत संख्या तीन में इसका (याचिका का) जिक्र किया था. यह चार फीसदी आरक्षण को खत्म किए जाने के फैसले के खिलाफ है, लेकिन (याचिका में मौजूद) खामियों को दूर नहीं किया गया था. इस पर, सिब्बल ने बताया कि सभी खामियों को दूर कर लिया गया है, जिसके बाद पीठ ने कहा, “ठीक है, हम इसे सूचीबद्ध करेंगे.
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने राज्य में मुसलमानों को हासिल चार फीसदी आरक्षण को हाल ही में खत्म करने का फैसला किया था. कर्नाटक सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मुसलमानों के लिए चार फीसदी कोटा समाप्त करते हुए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की दो नयी श्रेणी की घोषणा की थी.
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ओबीसी मुसलमानों के चार फीसदी कोटे को वोक्कलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांट दिया गया है। यही नहीं, आरक्षण के लिए पात्र मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत कर दिया गया है. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब वहां आरक्षण की सीमा करीब 57 फीसदी हो गई है.
(पीटीआई-भाषा)