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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नफरत भरे भाषणों से देश का माहौल खराब, रोकने की जरूरत

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से भारत का माहौल खराब हो रहा है. इसे बंद करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सोमवार को उत्तराखंड और दिल्ली सरकारों से जवाब मांगा कि पिछले साल राज्य और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरा भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 11, 2022, 8:18 AM IST

दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि 'आप सही कह रहे हैं कि इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है.' याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभद्र भाषा दी गई.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार: हेट स्पीच (Hate Speech) पर लगाम लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) ने सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (Chief Justice U U Lalit) और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की तरफ से हेट स्पीच पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामला : जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी गिरफ्तार, कोर्ट से नहीं मिली जमानत

उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब: वहीं, एक अलग केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड और दिल्ली सरकारों से जवाब मांगा कि पिछले साल राज्य और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरा भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है. बेंच ने कहा कि हेट स्पीच के चलते माहौल खराब हो रहा है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इस पर लगाम लगाने की जरूरत है. वहीं, हेट स्पीच को लेकर याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बयान देने के लिए नफरती भाषा का प्रयोग किया गया.

हरिद्वार में हुई थी धर्म संसद: बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 से 19 नवंबर 2021 के बीच धर्म संसद हुई थी. हेट स्पीट का मामला इसी धर्म संसद से जुड़ा है. धर्म संसद में कथित रूप से एक विशेष समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बयान दिए गए थे. ये बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे. हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच का वीडियो वायरल होने के बाद कार्रवाई की मांग की गई थी.

हेट स्पीच में इनमें दर्ज हुए थे मुकदमे: हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पांच लोगों पर हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी पर मुकदमा दर्ज हुआ था. उनके साथ महामंडलेश्वर धर्मदास परमानंद, महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती, सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था.

जितेंद्र नारायण उर्फ वसीम रिजवी हुए थे गिरफ्तार: आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस मामले में आयोजकों आौर वक्‍ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. जिसके बाद इन वायरल वीडियो के आधार एवं गुलबहार खान की तहरीर पर पुलिस ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के खिलाफ 23 दिसंबर को हरिद्वार शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
ये भी पढ़ें: Dharma Sansad Hate Speech: SIT ने शुरू की जांच, 5 लोगों पर दर्ज है मुकदमा

हरप्रीत मनसुखानी ने दायर की है याचिका: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की कि 'आप सही कह रहे हैं कि इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है.' याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभद्र भाषा दी गई. उन्होंने कहा, 'अभद्र भाषा को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया गया है. एक पार्टी ने कश्मीर फाइलों को वित्त पोषित किया और फिर मेरे पास सबूत है कि इसे कैसे वित्त पोषित किया गया और फिर कर मुक्त कर दिया गया.'

हेट स्पीच कमान से छूटे तीर की तरह: याचिकाकर्ता ने कहा कि हेट स्पीच एक तीर की तरह है जो एक बार कमान से छूटने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता है. वहीं, CJI ललित ने कहा, “ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की जरूरत है. हमें कुछ उदाहरण चाहिए. नहीं तो यह एक रैंडम याचिका जैसा है.” इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी तरफ से कहा कि उनकी तरफ से नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देने वाला एक हलफनामा दाखिल किया जाएगा, जिसमें आपराधिक मामले नहीं दर्ज किए गये थे.

31 अक्टूबर तक हलफनामा दायर करने का आदेश: बेंच ने याचिकाकर्ता को कुछ घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत करने और जांच के दौरान उठाए गए कदमों के बारे में विचाराधीन अपराध का विवरण देने के लिए समय दिया. याचिकाकर्ता यह भी विवरण दे सकता है कि क्या अपराध दर्ज किए गए थे और अपराधी कौन माने जाते हैं? अदालत ने कहा कि 31 अक्टूबर तक हलफनामा दायर किया जाए.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले में तीसरी गिरफ्तारी, दिनेशानंद भारती अरेस्ट

1 नवंबर को होगी मामले की सुनवाई: CJI ने कहा, 'एक अदालत को इस पर संज्ञान लेने के लिए हमें तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की आवश्यकता है. हमें मामलों के कुछ नमूने चाहिए. अन्यथा यह एक यादृच्छिक याचिका है.' याचिकाकर्ता ने तब कहा था कि वह नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देते हुए एक हलफनामा दाखिल करेगा और क्या अपराध दर्ज नहीं किए गए थे. बेंच ने सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई 1 नवंबर के लिए स्थगित कर दी.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार हेट स्पीच केस में जितेंद्र नारायण त्यागी जेल से रिहा, लेने पहुंचे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि 'आप सही कह रहे हैं कि इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है.' याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभद्र भाषा दी गई.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार: हेट स्पीच (Hate Speech) पर लगाम लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) ने सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (Chief Justice U U Lalit) और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की तरफ से हेट स्पीच पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
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उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब: वहीं, एक अलग केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड और दिल्ली सरकारों से जवाब मांगा कि पिछले साल राज्य और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरा भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है. बेंच ने कहा कि हेट स्पीच के चलते माहौल खराब हो रहा है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इस पर लगाम लगाने की जरूरत है. वहीं, हेट स्पीच को लेकर याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का बयान देने के लिए नफरती भाषा का प्रयोग किया गया.

हरिद्वार में हुई थी धर्म संसद: बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 से 19 नवंबर 2021 के बीच धर्म संसद हुई थी. हेट स्पीट का मामला इसी धर्म संसद से जुड़ा है. धर्म संसद में कथित रूप से एक विशेष समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बयान दिए गए थे. ये बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे. हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच का वीडियो वायरल होने के बाद कार्रवाई की मांग की गई थी.

हेट स्पीच में इनमें दर्ज हुए थे मुकदमे: हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पांच लोगों पर हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी पर मुकदमा दर्ज हुआ था. उनके साथ महामंडलेश्वर धर्मदास परमानंद, महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती, सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था.

जितेंद्र नारायण उर्फ वसीम रिजवी हुए थे गिरफ्तार: आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस मामले में आयोजकों आौर वक्‍ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. जिसके बाद इन वायरल वीडियो के आधार एवं गुलबहार खान की तहरीर पर पुलिस ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के खिलाफ 23 दिसंबर को हरिद्वार शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
ये भी पढ़ें: Dharma Sansad Hate Speech: SIT ने शुरू की जांच, 5 लोगों पर दर्ज है मुकदमा

हरप्रीत मनसुखानी ने दायर की है याचिका: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की कि 'आप सही कह रहे हैं कि इन नफरत भरे भाषणों से पूरा माहौल खराब हो रहा है और इसे रोकने की जरूरत है.' याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभद्र भाषा दी गई. उन्होंने कहा, 'अभद्र भाषा को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया गया है. एक पार्टी ने कश्मीर फाइलों को वित्त पोषित किया और फिर मेरे पास सबूत है कि इसे कैसे वित्त पोषित किया गया और फिर कर मुक्त कर दिया गया.'

हेट स्पीच कमान से छूटे तीर की तरह: याचिकाकर्ता ने कहा कि हेट स्पीच एक तीर की तरह है जो एक बार कमान से छूटने के बाद वापस नहीं लिया जा सकता है. वहीं, CJI ललित ने कहा, “ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की जरूरत है. हमें कुछ उदाहरण चाहिए. नहीं तो यह एक रैंडम याचिका जैसा है.” इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी तरफ से कहा कि उनकी तरफ से नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देने वाला एक हलफनामा दाखिल किया जाएगा, जिसमें आपराधिक मामले नहीं दर्ज किए गये थे.

31 अक्टूबर तक हलफनामा दायर करने का आदेश: बेंच ने याचिकाकर्ता को कुछ घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत करने और जांच के दौरान उठाए गए कदमों के बारे में विचाराधीन अपराध का विवरण देने के लिए समय दिया. याचिकाकर्ता यह भी विवरण दे सकता है कि क्या अपराध दर्ज किए गए थे और अपराधी कौन माने जाते हैं? अदालत ने कहा कि 31 अक्टूबर तक हलफनामा दायर किया जाए.
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1 नवंबर को होगी मामले की सुनवाई: CJI ने कहा, 'एक अदालत को इस पर संज्ञान लेने के लिए हमें तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की आवश्यकता है. हमें मामलों के कुछ नमूने चाहिए. अन्यथा यह एक यादृच्छिक याचिका है.' याचिकाकर्ता ने तब कहा था कि वह नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देते हुए एक हलफनामा दाखिल करेगा और क्या अपराध दर्ज नहीं किए गए थे. बेंच ने सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई 1 नवंबर के लिए स्थगित कर दी.
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