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देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट की शिवराज सरकार को फटकार

देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड केस में मध्य प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है कि आप पीड़ित पक्षकार के साथ खड़े हैं या अभियुक्त को सपोर्ट कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सीधा सवाल पूछा है कि इस मामले में अभी तक क्या कार्रवाई की गई है.

devendra chaurasiya case
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Published : Mar 14, 2021, 3:02 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश के पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार की जमानत याचिका रद्द करने की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में थी. इस पर मध्य प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने सीधा सवाल पूछा है कि आप पीड़ित पक्षकार के साथ खड़े हैं या अभियुक्त को सपोर्ट कर रहे हैं. सबसे पहले आप साफ करिए कि आप किसके साथ है. क्योंकि जो सरकार का आचरण है वह यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश सरकार अभियुक्त को सपोर्ट कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है कि इस मामले में अभी तक क्या कार्रवाई की गई है? कोर्ट ने दो हफ्ते में गोविंद सिंह परिहार को गिरफ्तार कर रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश दिए हैं. इस केस की सुनवाई अब अगले दो हफ्ते बाद होगी.

क्या है पूरा मामला
कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट के तल्ख तेवर देखने को मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी.वाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह ने साफ तौर पर कहा है कि जंगल के कानून से यह देश नहीं चलता है. यहां कानून का राज चलता है. यह देश संविधान के हिसाब से चलता है. अभी तक मध्य प्रदेश सरकार की नाकामी है कि बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार को गिरफ्तारी नहीं करा सकी है. कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार ने यह बात कही कि गोविंद सिंह, फरार है, लापता हैं. इस वजह से उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर कहा कि यहा जंगल का कानून नहीं है, यहां पर संविधान का रूल चलता है. कोई भी सरकार, संविधान के हिसाब से चलती है. गोविंद सिंह की गिरफ्तारी तुरंत करने के निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिए हैं. वहीं जो एसपी दमोह को हटाने के निर्देश भी दिए हैं. लेकिन इस पर कोई आदेश अभी तक नहीं आया है.

एडीजे कोर्ट के जज ने किया था जान से खतरा होने का जिक्र

विगत दिनों एडीजे कोर्ट के जज ने दमोह एसपी और एडिशनल एसपी से अपने आप को जान का खतरा बताया था और देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड की सुनवाई दूसरे जज से कराने का आग्रह किया था. उन्होंने जिला सत्र न्यायालय को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने यह बात कही थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह ने टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश की सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जज को कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोविंद सिंह पर जो पुराने मामले चल रहे हैं, उन पर वह जेल से जमानत पर बाहर हैं. इस बीच वह हत्या कैसे कर सकते हैं ? इसके बाबजूद भी उनकी गिरफ्तारी मध्य प्रदेश सरकार नहीं कर पा रही है. कुल मिलाकर सबसे अहम और कड़े निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को दिए हैं और कड़ी फटकार लगाई है. अब देखना होगा कि मध्यप्रदेश सरकार अब क्या कदम उठाती है.

पढ़ें : मानवीय हालात का राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

रामबाई ने एसी कौन सी बूटी पिलाई जो मध्य प्रदेश सरकार ने साध ली चुप्पी

यह माना कि मध्य प्रदेश सरकार को रामबाई की जरूरत है, लेकिन कानून व्यवस्था को लेकर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह भी यहां पर लग रहा है. एक न्यायालय के जज जब अपने आप को जान से खतरा होने का जिक्र बताते हैं. इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश सरकार का कोई भी बयान नहीं आता है और न ही सरकार कोई एक्शन लेती है. यह बड़ा प्रश्न चिन्ह कानून व्यवस्था पर खड़ा हो रहा है कि जब एक एडीजे कोर्ट के जज ही अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो आम आदमी कैसे अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगा और इस मामले से जुड़े अपराधियों का इतना राजनैतिक रसूख है, इतना पावर है, तो फिर पीड़ित पक्ष के लोग कहां जाएं, किस से न्याय की गुहार लगाएं. आज वह अपने आप को डरा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसके बाद भी मध्य प्रदेश सरकार उनके साथ खड़ी नहीं है. यह एक बड़ा सवाल है कि जब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार खुद को अनुशासन और शिष्टाचार की सरकार बताती है, लेकिन अब रामबाई ने ऐसी कौन सी जड़ी बूटी सरकार को पिला रखी है कि सरकार चुप्पी साधे हुए बैठी है और पूरे मामले पर कुछ भी नहीं कह पा रही है.

भोपाल : मध्य प्रदेश के पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार की जमानत याचिका रद्द करने की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में थी. इस पर मध्य प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने सीधा सवाल पूछा है कि आप पीड़ित पक्षकार के साथ खड़े हैं या अभियुक्त को सपोर्ट कर रहे हैं. सबसे पहले आप साफ करिए कि आप किसके साथ है. क्योंकि जो सरकार का आचरण है वह यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश सरकार अभियुक्त को सपोर्ट कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है कि इस मामले में अभी तक क्या कार्रवाई की गई है? कोर्ट ने दो हफ्ते में गोविंद सिंह परिहार को गिरफ्तार कर रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश दिए हैं. इस केस की सुनवाई अब अगले दो हफ्ते बाद होगी.

क्या है पूरा मामला
कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट के तल्ख तेवर देखने को मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी.वाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह ने साफ तौर पर कहा है कि जंगल के कानून से यह देश नहीं चलता है. यहां कानून का राज चलता है. यह देश संविधान के हिसाब से चलता है. अभी तक मध्य प्रदेश सरकार की नाकामी है कि बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार को गिरफ्तारी नहीं करा सकी है. कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार ने यह बात कही कि गोविंद सिंह, फरार है, लापता हैं. इस वजह से उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर कहा कि यहा जंगल का कानून नहीं है, यहां पर संविधान का रूल चलता है. कोई भी सरकार, संविधान के हिसाब से चलती है. गोविंद सिंह की गिरफ्तारी तुरंत करने के निर्देश पुलिस महानिदेशक को दिए हैं. वहीं जो एसपी दमोह को हटाने के निर्देश भी दिए हैं. लेकिन इस पर कोई आदेश अभी तक नहीं आया है.

एडीजे कोर्ट के जज ने किया था जान से खतरा होने का जिक्र

विगत दिनों एडीजे कोर्ट के जज ने दमोह एसपी और एडिशनल एसपी से अपने आप को जान का खतरा बताया था और देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड की सुनवाई दूसरे जज से कराने का आग्रह किया था. उन्होंने जिला सत्र न्यायालय को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने यह बात कही थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह ने टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश की सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जज को कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोविंद सिंह पर जो पुराने मामले चल रहे हैं, उन पर वह जेल से जमानत पर बाहर हैं. इस बीच वह हत्या कैसे कर सकते हैं ? इसके बाबजूद भी उनकी गिरफ्तारी मध्य प्रदेश सरकार नहीं कर पा रही है. कुल मिलाकर सबसे अहम और कड़े निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को दिए हैं और कड़ी फटकार लगाई है. अब देखना होगा कि मध्यप्रदेश सरकार अब क्या कदम उठाती है.

पढ़ें : मानवीय हालात का राजनीतिकरण का बढ़ता चलन दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

रामबाई ने एसी कौन सी बूटी पिलाई जो मध्य प्रदेश सरकार ने साध ली चुप्पी

यह माना कि मध्य प्रदेश सरकार को रामबाई की जरूरत है, लेकिन कानून व्यवस्था को लेकर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह भी यहां पर लग रहा है. एक न्यायालय के जज जब अपने आप को जान से खतरा होने का जिक्र बताते हैं. इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश सरकार का कोई भी बयान नहीं आता है और न ही सरकार कोई एक्शन लेती है. यह बड़ा प्रश्न चिन्ह कानून व्यवस्था पर खड़ा हो रहा है कि जब एक एडीजे कोर्ट के जज ही अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो आम आदमी कैसे अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगा और इस मामले से जुड़े अपराधियों का इतना राजनैतिक रसूख है, इतना पावर है, तो फिर पीड़ित पक्ष के लोग कहां जाएं, किस से न्याय की गुहार लगाएं. आज वह अपने आप को डरा हुआ महसूस कर रहे हैं, इसके बाद भी मध्य प्रदेश सरकार उनके साथ खड़ी नहीं है. यह एक बड़ा सवाल है कि जब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार खुद को अनुशासन और शिष्टाचार की सरकार बताती है, लेकिन अब रामबाई ने ऐसी कौन सी जड़ी बूटी सरकार को पिला रखी है कि सरकार चुप्पी साधे हुए बैठी है और पूरे मामले पर कुछ भी नहीं कह पा रही है.

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