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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा-24 घंटे में कैसे कर दी चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान संविधान पीठ ने इतनी तेजी से जांच पूरी कर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने पर सवाल उठाए. कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Etv Bharat appointment of former IAS officer Arun Goel
Etv Bharat चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल
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Published : Nov 24, 2022, 11:28 AM IST

Updated : Nov 24, 2022, 12:47 PM IST

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी. सरकार ने कहा कि नियुक्ति की ओरिजिनल फाइल की प्रतियां पांचों जजों को दी गई हैं.

  • Supreme Court reads the files related to the appointment of former IAS officer Arun Goel as the new Election Commissioner last week and questions the Centre about the fast-tracked clearance of files. pic.twitter.com/OUrbTzzT4S

    — ANI (@ANI) November 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सुनवाई के दौरान पीठ ने नियुक्ति के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए. जस्टिस अजय रस्तोगी ने इतनी तेज रफ्तार से फाइल आगे बढ़ने और नियुक्ति करने पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि चौबीस घंटे के भीतर कैसे जांच पड़ताल कर दी गई? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका दे.

इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है, फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है.

पढ़ें: SC ने सरकार से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल पेश करने को कहा

जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि 15 मई को पद खाली हुआ. क्या आप हमें बता सकते हैं कि सरकार ने इस पर नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की? उसी दिन क्लीयरेंस, उसी दिन नोटिफिकेशन, उसी दिन एक्सेप्टेंस. फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी. यह तो प्रकाश गति से चली है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका तो दें.

न्यायमूर्ति जोसेफ ने डीओपीटी के डेटाबेस से चार नामों को चुनने में कानून मंत्री द्वारा अपनाए गए मानदंडों पर विशेष रूप से सवाल किया. पीठ ने कहा कि 18 नवंबर को मंत्री ने नामों को चुना और फाइल भी उसी दिन पेश की गई, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश की. हम कोई टकराव नहीं चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि यह पद 15 मई से खाली था, और अब इस पर बिजली की रफ्तार से काम किया गया. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि अदालत एक 'यस मैन' (हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति) की नियुक्ति को लेकर चिंतित है और पूछा कि कानून मंत्री द्वारा आयु मानदंड के आधार पर सैकड़ों लोगों के डेटा से चार नामों को शॉर्टलिस्ट करने का क्या आधार है. सुपर फास्ट तरीके से गोयल की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि 24 घंटे से भी कम समय में प्रक्रिया पूरी और अधिसूचित नहीं की गई.

कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

नई दिल्ली: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी. सरकार ने कहा कि नियुक्ति की ओरिजिनल फाइल की प्रतियां पांचों जजों को दी गई हैं.

  • Supreme Court reads the files related to the appointment of former IAS officer Arun Goel as the new Election Commissioner last week and questions the Centre about the fast-tracked clearance of files. pic.twitter.com/OUrbTzzT4S

    — ANI (@ANI) November 24, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सुनवाई के दौरान पीठ ने नियुक्ति के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए. जस्टिस अजय रस्तोगी ने इतनी तेज रफ्तार से फाइल आगे बढ़ने और नियुक्ति करने पर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि चौबीस घंटे के भीतर कैसे जांच पड़ताल कर दी गई? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका दे.

इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है, फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है.

पढ़ें: SC ने सरकार से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल पेश करने को कहा

जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि 15 मई को पद खाली हुआ. क्या आप हमें बता सकते हैं कि सरकार ने इस पर नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की? उसी दिन क्लीयरेंस, उसी दिन नोटिफिकेशन, उसी दिन एक्सेप्टेंस. फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी. यह तो प्रकाश गति से चली है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका तो दें.

न्यायमूर्ति जोसेफ ने डीओपीटी के डेटाबेस से चार नामों को चुनने में कानून मंत्री द्वारा अपनाए गए मानदंडों पर विशेष रूप से सवाल किया. पीठ ने कहा कि 18 नवंबर को मंत्री ने नामों को चुना और फाइल भी उसी दिन पेश की गई, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश की. हम कोई टकराव नहीं चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि यह पद 15 मई से खाली था, और अब इस पर बिजली की रफ्तार से काम किया गया. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि अदालत एक 'यस मैन' (हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति) की नियुक्ति को लेकर चिंतित है और पूछा कि कानून मंत्री द्वारा आयु मानदंड के आधार पर सैकड़ों लोगों के डेटा से चार नामों को शॉर्टलिस्ट करने का क्या आधार है. सुपर फास्ट तरीके से गोयल की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि 24 घंटे से भी कम समय में प्रक्रिया पूरी और अधिसूचित नहीं की गई.

कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Last Updated : Nov 24, 2022, 12:47 PM IST
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