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हेट स्पीच केस में तुषार गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सनवाई टली

तुषार गांधी द्वारा दायर अवमानना याचिका में उत्तराखंड राज्य में धर्म संसद में प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दिए गए हेट स्पीच और हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में डीजीपी, उत्तराखंड पुलिस और डीजीपी, दिल्ली पुलिस द्वारा घोर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया था.

Supreme Court postpones hearing on Tushar Gandhi's plea in hate speech case
हेट स्पीच केस में तुषार गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सनवाई टली
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Published : Dec 2, 2022, 2:07 PM IST

नई दिल्ली: हेट स्पीच मामले में तुषार गांधी की ओर से दायर अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की मांग पर सुनवाई टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और डीजीपी को बड़ी राहत देते हुए कोर्ट ने धार्मिक सभाओं में हेट स्पीच देने के मामलों में कथित रूप से कोई कार्रवाई न करने के संबंध में कार्यकर्ता तुषार गांधी की अवमानना याचिका में दोनों को पक्षकारों की सूची से हटा दिया था.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नफरत भरे भाषणों से देश का माहौल खराब, रोकने की जरूरत

तुषार गांधी द्वारा दायर अवमानना याचिका में उत्तराखंड राज्य में धर्म संसद में प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दिए गए हेट स्पीच और हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में डीजीपी, उत्तराखंड पुलिस और डीजीपी, दिल्ली पुलिस द्वारा घोर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शादान फरासत की सहमति से उत्तराखंड राज्य और पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड को वर्तमान कार्यवाही से डिस्चार्ज कर दिया.

अदालत ने आदेश में कहा था कि तहसीन पूनावाला याचिका जस्टिस अजय रस्तोगी के समक्ष है और जो अन्य बातों के साथ उत्तराखंड में हुई घटना से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्राथमिकी दर्ज की गईं. याचिकाकर्ता उत्तराखंड राज्य के खिलाफ मुख्य याचिका में कोई राहत देने की मांग नहीं करता है. उत्तराखंड राज्य और डीजीपी उत्तराखंड इन कार्यवाहियों के दायरे से मुक्त हैं और कार्यवाही दिल्ली पुलिस की कार्रवाई या निष्क्रियता तक ही सीमित रहेगी.

पढ़ें: हेट स्पीच मामले में SC की सख्त टिप्पणी-धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं?

सुनवाई की अंतिम तिथि पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को तथ्यात्मक स्थिति और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अवमानना में नोटिस नहीं जारी कर रहे हैं. इस बीच, उत्तराखंड राज्य और जीएनसीटीडी वास्तविक स्टेटस और की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए हलफनामा दाखिल करेंगे. शुक्रवार को फरासत ने शुरुआत में सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली से कहा कि उत्तराखंड राज्य ने जवाब दाखिल किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने नहीं किया है.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने बेंच को आश्वासन दिया कि जवाबी हलफनामा तैयार है, क्योंकि भारत के सॉलिसिटर जनरल और भारत के अटॉर्नी जनरल देश में नहीं हैं. पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था.

नई दिल्ली: हेट स्पीच मामले में तुषार गांधी की ओर से दायर अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की मांग पर सुनवाई टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और डीजीपी को बड़ी राहत देते हुए कोर्ट ने धार्मिक सभाओं में हेट स्पीच देने के मामलों में कथित रूप से कोई कार्रवाई न करने के संबंध में कार्यकर्ता तुषार गांधी की अवमानना याचिका में दोनों को पक्षकारों की सूची से हटा दिया था.

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तुषार गांधी द्वारा दायर अवमानना याचिका में उत्तराखंड राज्य में धर्म संसद में प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दिए गए हेट स्पीच और हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के संबंध में डीजीपी, उत्तराखंड पुलिस और डीजीपी, दिल्ली पुलिस द्वारा घोर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शादान फरासत की सहमति से उत्तराखंड राज्य और पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड को वर्तमान कार्यवाही से डिस्चार्ज कर दिया.

अदालत ने आदेश में कहा था कि तहसीन पूनावाला याचिका जस्टिस अजय रस्तोगी के समक्ष है और जो अन्य बातों के साथ उत्तराखंड में हुई घटना से संबंधित है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्राथमिकी दर्ज की गईं. याचिकाकर्ता उत्तराखंड राज्य के खिलाफ मुख्य याचिका में कोई राहत देने की मांग नहीं करता है. उत्तराखंड राज्य और डीजीपी उत्तराखंड इन कार्यवाहियों के दायरे से मुक्त हैं और कार्यवाही दिल्ली पुलिस की कार्रवाई या निष्क्रियता तक ही सीमित रहेगी.

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सुनवाई की अंतिम तिथि पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को तथ्यात्मक स्थिति और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अवमानना में नोटिस नहीं जारी कर रहे हैं. इस बीच, उत्तराखंड राज्य और जीएनसीटीडी वास्तविक स्टेटस और की गई कार्रवाई की व्याख्या करते हुए हलफनामा दाखिल करेंगे. शुक्रवार को फरासत ने शुरुआत में सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली से कहा कि उत्तराखंड राज्य ने जवाब दाखिल किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने नहीं किया है.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने बेंच को आश्वासन दिया कि जवाबी हलफनामा तैयार है, क्योंकि भारत के सॉलिसिटर जनरल और भारत के अटॉर्नी जनरल देश में नहीं हैं. पीठ ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था.

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