नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की कथित देरी के मुद्दे पर दायर दो याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में आज सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन फरवरी को मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के तबादले की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी पर नाराजगी जताते हुए इसे 'बेहद गंभीर मुद्दा' बताया था.
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने तीन फरवरी को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की पदोन्नति के लिए पिछले साल दिसंबर की कॉलेजियम की सिफारिश को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी. इसके बाद, छह फरवरी को पांच न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई गई थी.
शीर्ष अदालत में दो न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार) को 13 फरवरी को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा पद की शपथ दिलाई जाएगी. कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र के बीच टकराव का एक महत्वपूर्ण कारण बन गई है और इस प्रणाली को विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
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शीर्ष अदालत में तीन फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गये नामों को सरकार द्वारा मंजूरी न दिए जाने का मुद्दा उठाया था.
(पीटीआई-भाषा)