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यूनिटेक: न्यायालय ने तिहाड़ के अधिकारियों को 'बेशर्म' बताते हुए पुलिस आयुक्त को जांच का आदेश दिया

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Published : Aug 27, 2021, 1:12 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के साथ षड्यंत्र के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारियों के आचरण को 'निहायत ही शर्मनाक' बताते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले में तत्काल जांच करने का आदेश दिया है.

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के साथ षड्यंत्र के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारियों के आचरण को 'निहायत ही शर्मनाक' बताते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले में तत्काल जांच करने का आदेश दिया है.

चंद्रा बंधुओं और यूनिटेक के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शीर्ष अदालत से कहा कि संजय और अजय दोनों ने समूची न्यायिक हिरासत को निरर्थक कर दिया क्योंकि वे जेल के भीतर से खुलेआम अपने अधिकारियों से संपर्क करते रहे हैं और उन्हें निर्देश देते रहे हैं तथा अपनी संपत्तियों से संबंधित मामले निपटाते रहे हैं.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुरूवार को यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल से मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल तथा रायगढ़ के तलोजा जेल भेजने का आदेश दिया. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि आदेश की प्रति न्यायिक रजिस्ट्रार महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को भेजें ताकि आरोपियों को उक्त कारागारों में रखने के लिए तत्काल आवश्यक बंदोबस्त किया जा सके.

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सुनवाई के दौरान पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से कहा, 'तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए आरोपियों के साथ मिलीभगत की है. हमें बस इतना ही कहना है कि तिहाड़ जेल के अधीक्षक और उनके सहकर्मी निहायत ही बेशर्म हैं. लेकिन हम इस बीच अहम बात नजरअंदाज नहीं कर सकते.

पीठ ने कहा, 'हमें इतना ही कहना है कि तिहाड़ जेल के कर्मी बेशर्म हैं. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह ठीक केंद्र में और वह भी राजधानी में हो रहा है. तिहाड़ जेल के अधिकारियों पर हमें अब कोई भरोसा नहीं रह गया है. राजधानी में बैठकर वे हमारे आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं. हम उन्हें भी देखेंगे लेकिन पहले हम आरोपियों को जेल से स्थानांतरित करेंगे.

पीठ ने कहा कि संजय और अजय के आचरण तथा जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पेश दो रिपोर्ट में आदेशों के उल्लंघन तथा न्यायालय के क्षेत्राधिकार को कमतर करने संबंधी 'गंभीर एवं व्यथित करने वाले' मुद्दे उठाए गए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के साथ षड्यंत्र के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारियों के आचरण को 'निहायत ही शर्मनाक' बताते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले में तत्काल जांच करने का आदेश दिया है.

चंद्रा बंधुओं और यूनिटेक के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शीर्ष अदालत से कहा कि संजय और अजय दोनों ने समूची न्यायिक हिरासत को निरर्थक कर दिया क्योंकि वे जेल के भीतर से खुलेआम अपने अधिकारियों से संपर्क करते रहे हैं और उन्हें निर्देश देते रहे हैं तथा अपनी संपत्तियों से संबंधित मामले निपटाते रहे हैं.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुरूवार को यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल से मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल तथा रायगढ़ के तलोजा जेल भेजने का आदेश दिया. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि आदेश की प्रति न्यायिक रजिस्ट्रार महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को भेजें ताकि आरोपियों को उक्त कारागारों में रखने के लिए तत्काल आवश्यक बंदोबस्त किया जा सके.

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सुनवाई के दौरान पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से कहा, 'तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए आरोपियों के साथ मिलीभगत की है. हमें बस इतना ही कहना है कि तिहाड़ जेल के अधीक्षक और उनके सहकर्मी निहायत ही बेशर्म हैं. लेकिन हम इस बीच अहम बात नजरअंदाज नहीं कर सकते.

पीठ ने कहा, 'हमें इतना ही कहना है कि तिहाड़ जेल के कर्मी बेशर्म हैं. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह ठीक केंद्र में और वह भी राजधानी में हो रहा है. तिहाड़ जेल के अधिकारियों पर हमें अब कोई भरोसा नहीं रह गया है. राजधानी में बैठकर वे हमारे आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं. हम उन्हें भी देखेंगे लेकिन पहले हम आरोपियों को जेल से स्थानांतरित करेंगे.

पीठ ने कहा कि संजय और अजय के आचरण तथा जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पेश दो रिपोर्ट में आदेशों के उल्लंघन तथा न्यायालय के क्षेत्राधिकार को कमतर करने संबंधी 'गंभीर एवं व्यथित करने वाले' मुद्दे उठाए गए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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