नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह स्थगन की मांग वाली याचिका को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि जल्द सुनवाई की मांग की गई है. कोर्ट ने याचिका पर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है. गली सुनवाई सोमवार 5 सितंबर को होगी.
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने याचिकाओं पर राज्य को नोटिस जारी किया और उन्हें पांच सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
पीठ ने मामले में स्थगन का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं की मांग पर अप्रसन्नता जाहिर की और कहा कि वह 'इस तरह' की अनुमति नहीं देगी. कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है.
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उच्च न्यायालय ने उडुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था. ज्ञात हो कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया था.
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की उन दलीलों पर गौर किया था कि याचिकाएं काफी पहले दायर की गयी थीं लेकिन इन्हें अभी तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. भूषण ने कहा था, 'लड़कियों की पढ़ाई छूट रही है.' इस पर पीठ ने कहा, 'इसे अगले सप्ताह किसी दिन सूचीबद्ध किया जाएगा.'
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगी गई थी. हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद में उडुपी की कुछ मुस्लिम छात्राओं की याचिकाएं खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसा कोई तथ्य मौजूद नहीं था, जिससे प्रथम दृष्ट्या यह प्रतीत हो कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर हिजाब को भी अनुमति दी जाती है तो स्कूल यूनिफॉर्म, यूनिफॉर्म नहीं रह जाएगी.