नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कई दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ जमानत याचिकाओं के साथ-साथ दोषियों की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी.
उच्चतम न्यायालय ने 24 मार्च को कहा था कि वह दोषियों की जमानत याचिकाओं का निस्तारण मामले में सुनवाई की अगली तारीख पर करेगा. अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर सुनवाई के दौरान यह बात कही थी. तुषार मेहता ने कहा था कि उन्हें कुछ दोषियों के संबंध में कुछ तथ्यात्मक विवरणों को सत्यापित करना है.
उच्चतम न्यायालय ने हालांकि, इस आधार पर दोषियों में से एक को दी गई जमानत की अवधि को बढ़ा दिया था कि उसकी पत्नी कैंसर से पीड़ित है. मेहता ने चिकित्सा आधार पर जमानत बढ़ाने का समर्थन किया था. इससे पहले 17 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह 24 मार्च को गुजरात सरकार की अपील और मामले के कई आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी.
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गुजरात सरकार ने 20 फरवरी को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह 2002 में हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के उन 11 दोषियों को मौत की सजा देने पर जोर देगी जिनकी सजा को गुजरात उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. सॉलिसिटर जनरल ने कहा था, 'हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए जोर देंगे जिनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास (गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा) में बदल दिया गया था। यह दुर्लभतम मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.'
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उन्होंने कहा था, 'यह सब जानते हैं कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और महिलाओं एवं बच्चों सहित 59 लोग मारे गए.' विवरण देते हुए, कानून अधिकारी ने कहा था कि 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले में कुल 31 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.
गौरतलब है कि गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को हुए ट्रेन अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे. मेहता ने कहा था कि कई आरोपियों ने मामले में अपनी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है.
(पीटीआई-भाषा)