नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को विपक्ष को बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत जांच, तलाशी, गिरफ्तारी और संपत्तियों को अटैच करने जैसे ईडी की शक्तियों बरकरार रखा है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया को भी सही ठहराया है. इस फैसले के बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर तंज कसा है.
चिकन खुद फ्राई होने के लिए आ गया - बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चिदंबरम पर तंज कसा है. स्वामी ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लगता है ... चिकन खुद फ्राई होने के लिए आ गया. उन्होंने आगे लिखा, 'पीएमएलए (PMLA) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पी चिदंबरम और अन्य के लिए ऐसा है जैसे चिकन खुद पकाए जाने के लिए घर आ गया, यूपीए के कार्यकाल के दौरान पी चिदंबरम द्वारा ईडी की शक्तियां बढ़ाई गई थीं.'
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SC judgment on PMLA is a case of “Chickens coming home to roost” for PC, BC, etc..The ED was empowered by PC during UPA tenure.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें- PMLA एक्ट के तहत ED की शक्तियां बरकरार रहेंगी. ईडी इस एक्ट के तहत जांच, तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी कर सकती है. संपत्तियों को कुर्क भी कर सकती है. इसके साथ ही कोर्ट ने जमानत की दोहरी शर्तों के प्रावधानों को भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ECIR की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती. यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है. ऐसे में सभी मामलों में ECIR की कॉपी देना आवश्यक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त है. हालांकि, ट्रायल कोर्ट यह फैसला दे सकती है कि आरोपी को कौन-कौन से दस्तावेज देने हैं या नहीं. इतना ही नहीं ईडी अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को हिरासत में लेने के समय गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है. कोर्ट ने 2018 में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेज दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं.
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