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मैरिटल रेप : केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, अगले साल होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार मामले को अपराधीकरण करने के मुद्दे पर दिल्ली HC के विभाजित फैसले के खिलाफ याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया.

मैरिटल रेप
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Published : Sep 16, 2022, 12:02 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार मामले को अपराधीकरण करने के मुद्दे पर दिल्ली HC के विभाजित फैसले के खिलाफ याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं की जांच करने के लिए सहमत है. SC ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए फरवरी 2023 में सूचीबद्ध किया. कोर्ट को तय करना है कि पति का पत्नी से जबरन संबंध बलात्कार है या नहीं. 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने इस मामले में अलग-अलग फैसला दिया था. इसके बाद यह मामला अब देश की सबसे बड़ी कोर्ट में आया है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग वाली PIL खारिज की

भारतीय कानून में मैरिटल रेप अपराध नहीं है. हालांकि, एक लंबे समय से इसे अपराध घोषित करने की मांग कई संगठन कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर इसे आईपीसी की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म के तौर पर लिए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट में दोनों जजों की इस मामले पर सहमति नहीं थी जिसके बाद कोर्ट ने 3 जजों की बेंच में भेजने का निर्णय लिया.

पढ़ें: केंद्र ने हाई कोर्ट से कहा: महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं

हाईकोर्ट के दो जजों का मानना था: हाईकोर्ट में जज राजीव शकधर ने इसे वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया तो वहीं हरि शंकर जज का कहना था कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, देश में 29 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं जो पति द्वारा यौन हिंसा का सामना करती हैं. बताया ये भी गया कि, ग्रामीण और शहरी इलाकों में ये अंतर और ज्यादा है. गांवों में 32 तो वहीं शहरी हिस्सों में 24 प्रतिशत महिलाए इसका शिकार होती हैं.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार मामले को अपराधीकरण करने के मुद्दे पर दिल्ली HC के विभाजित फैसले के खिलाफ याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं की जांच करने के लिए सहमत है. SC ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए फरवरी 2023 में सूचीबद्ध किया. कोर्ट को तय करना है कि पति का पत्नी से जबरन संबंध बलात्कार है या नहीं. 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने इस मामले में अलग-अलग फैसला दिया था. इसके बाद यह मामला अब देश की सबसे बड़ी कोर्ट में आया है.

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भारतीय कानून में मैरिटल रेप अपराध नहीं है. हालांकि, एक लंबे समय से इसे अपराध घोषित करने की मांग कई संगठन कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर इसे आईपीसी की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म के तौर पर लिए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट में दोनों जजों की इस मामले पर सहमति नहीं थी जिसके बाद कोर्ट ने 3 जजों की बेंच में भेजने का निर्णय लिया.

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हाईकोर्ट के दो जजों का मानना था: हाईकोर्ट में जज राजीव शकधर ने इसे वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया तो वहीं हरि शंकर जज का कहना था कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, देश में 29 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं जो पति द्वारा यौन हिंसा का सामना करती हैं. बताया ये भी गया कि, ग्रामीण और शहरी इलाकों में ये अंतर और ज्यादा है. गांवों में 32 तो वहीं शहरी हिस्सों में 24 प्रतिशत महिलाए इसका शिकार होती हैं.

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