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Bihar Caste Census: बिहार में जारी रहेगी जातीय जनगणना, याचिकाओं पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार - Supreme court on Caste Census in Bihar

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर दाखिल की गई याचिका की सुनवाई से इंकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने को कहा है.

Bihar Caste Census Etv Bharat
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Published : Jan 20, 2023, 3:56 PM IST

Updated : Jan 20, 2023, 5:52 PM IST

पटना/नई दिल्ली : बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना जारी (Caste Census In Bihar) है. जिसपर रोक लगाने के लिए हिन्दू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर किया था, जिसपर आज सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए हाईकोर्ट जाने को कहा है. बता दें कि बिहार में जातीय आधारित जनगणना पर नीतीश सरकार ने 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई हुई है.

ये भी पढ़ें- Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगेगी रोक? हिन्दू सेना के PIL पर SC में आज सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इंकार: दरअसल, बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ताओं की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है. कोर्ट ने सभी याचियों को हाईकोर्ट का रुख करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर तीन याचिकाएं थीं, तीनों याचिकाओं को लेकर हाईकोर्ट जाएं.

जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग: नीतीश के फैसले के खिलाफ डाली गई पीआईएल पर याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. हालांकि राहत देते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है. हिन्दू सेना ने जातीय जनगणना कराने के 6 जून 2022 वाले नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की थी. सर्वोच्च अदालत ने तीन याचिकाओं को मुख्य याचिका के साथ नत्थी करने की परमीशन दिया था.

क्या है याचिकाकर्ता का दावा: हिन्दू सेना का दावा था कि जातिगत जनगणना के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहते हैं. इससे पहले बिहार के ही रहने वाले अखिलेश कुमार ने जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि जाति आधारित जनगणना का नोटिफिकेशन मूल भावन और मूल ढांचे का उल्लंघन है.

7 जनवरी से जारी है सर्वे का काम: गौरतलब है कि बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना का सर्वे जारी है. पहले चरण में मकानों की गिनती की जा रही है. राज्य सरकार की ओर से यह सर्वे कराने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दी गई है. दूसरे चरण की जनगणना का काम 1 से 30 अप्रैल तक होगा. इस दौरान जनगणना में शामिल लोगों की जाति, उपजाति और धर्म से जुड़ी जानकारी दर्ज की जाएगी.

पटना/नई दिल्ली : बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना जारी (Caste Census In Bihar) है. जिसपर रोक लगाने के लिए हिन्दू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर किया था, जिसपर आज सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार करते हुए हाईकोर्ट जाने को कहा है. बता दें कि बिहार में जातीय आधारित जनगणना पर नीतीश सरकार ने 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई हुई है.

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सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इंकार: दरअसल, बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ताओं की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है. कोर्ट ने सभी याचियों को हाईकोर्ट का रुख करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर तीन याचिकाएं थीं, तीनों याचिकाओं को लेकर हाईकोर्ट जाएं.

जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग: नीतीश के फैसले के खिलाफ डाली गई पीआईएल पर याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. हालांकि राहत देते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है. हिन्दू सेना ने जातीय जनगणना कराने के 6 जून 2022 वाले नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की थी. सर्वोच्च अदालत ने तीन याचिकाओं को मुख्य याचिका के साथ नत्थी करने की परमीशन दिया था.

क्या है याचिकाकर्ता का दावा: हिन्दू सेना का दावा था कि जातिगत जनगणना के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहते हैं. इससे पहले बिहार के ही रहने वाले अखिलेश कुमार ने जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि जाति आधारित जनगणना का नोटिफिकेशन मूल भावन और मूल ढांचे का उल्लंघन है.

7 जनवरी से जारी है सर्वे का काम: गौरतलब है कि बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना का सर्वे जारी है. पहले चरण में मकानों की गिनती की जा रही है. राज्य सरकार की ओर से यह सर्वे कराने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दी गई है. दूसरे चरण की जनगणना का काम 1 से 30 अप्रैल तक होगा. इस दौरान जनगणना में शामिल लोगों की जाति, उपजाति और धर्म से जुड़ी जानकारी दर्ज की जाएगी.

Last Updated : Jan 20, 2023, 5:52 PM IST
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