चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को धोखाधड़ी मामले में मौत के दो दिन बाद क्लीन चिट दे दी है. इस मामले में सुखबीर बादल और वरिष्ठ अश्वेत नेता दलजीत सिंह चीमा का नाम भी शामिल था. अब शीर्ष अदालत ने मामले को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने शिरोमणि अकाली दल के दोहरे गठन को लेकर पिता-पुत्र पर धोखाधड़ी के आरोप के मामले में होशियारपुर कोर्ट द्वारा जारी समन को भी खारिज कर दिया.
'कानून का दुरुपयोग': जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ ने 11 अप्रैल को बादल पिता-पुत्र और वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें पंजाब के होशियारपुर की निचली अदालत ने समन जारी किया था. कोर्ट ने दोनों मामले खारिज कर दिए. हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति शाह ने कहा, 'अपीलकर्ताओं के खिलाफ समन जारी करने का निचली अदालत का आदेश और कुछ नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.'
यह था मामला : सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत सिंह खेड़ा ने 2009 में होशियारपुर कोर्ट में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि शिरोमणि अकाली दल के 2 संविधान हैं- एक ने गुरुद्वारा चुनाव आयोग को गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए पंजीकृत किया है, जबकि दूसरे ने चुनाव आयोग को एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया है. उन्होंने तर्क दिया था कि यह धोखाधड़ी है. इससे पहले, निचली अदालत द्वारा समन जारी किए जाने के बाद बादल परिवार और चीमा ने पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था, जिसके बाद बादल परिवार और चीमा ने अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब शीर्ष अदालत ने मामले में स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल के साथ सुखबीर सिंह बादल और दलजीत चीमा को राहत दी है. बता दें कि प्रकाश सिंह बादल का 25 अप्रैल को निधन हो चुका है.
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