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राजस्थान में बजरी खनन की इजाजत, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी - Gravel Mining

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन की इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के सभी रिकमेंडेशन को मान लिया है.

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Published : Nov 11, 2021, 3:45 PM IST

जयपुर : राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगी हुई थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन को हरी झंडी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के सभी रिकमेंडेशन को मान लिया है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में बनी सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी की सिफारिशों को सही माना और वैध खनन के लिए मंजूरी दे दी.

सुप्रीम कोर्ट में दीपावली से पहले इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी थी. प्रदेश में 82 बड़ी लीज नवंबर 2017 से बंद पड़ी थी. इस पर बजरी वेलफेयर ऑपरेटर सोसाइटी के नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एंपावर्ड कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिशों में वैध बजरी खनन को लेकर कोर्ट ने सकारात्मक रुख दिखाया था.

गौरतलब है कि अवैध बजरी खनन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को अंतरिम आदेश देते हुए केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति लिए बिना अदालत के पूर्व आदेश से 82 एलओआई होल्डर की ओर से किए जा रहे बजरी खनन पर रोक लगाई थी.

पढ़ेंः चारधाम राजमार्ग चौड़ीकरण: केंद्र बोला- देश की रक्षा के लिए जरूरी कदम, SC में फैसला सुरक्षित

जयपुर : राजस्थान में बजरी खनन पर रोक लगी हुई थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन को हरी झंडी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के सभी रिकमेंडेशन को मान लिया है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में बनी सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी की सिफारिशों को सही माना और वैध खनन के लिए मंजूरी दे दी.

सुप्रीम कोर्ट में दीपावली से पहले इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी थी. प्रदेश में 82 बड़ी लीज नवंबर 2017 से बंद पड़ी थी. इस पर बजरी वेलफेयर ऑपरेटर सोसाइटी के नवीन शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एंपावर्ड कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिशों में वैध बजरी खनन को लेकर कोर्ट ने सकारात्मक रुख दिखाया था.

गौरतलब है कि अवैध बजरी खनन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को अंतरिम आदेश देते हुए केन्द्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति लिए बिना अदालत के पूर्व आदेश से 82 एलओआई होल्डर की ओर से किए जा रहे बजरी खनन पर रोक लगाई थी.

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