शिमला: पहली बार मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू 17 मार्च को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगे. हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद अब सभी की नजरें सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के पहले बजट पर टिकी हुई हैं. शुक्रवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 11 बजे बजट प्रस्तुत करेंगे. पहले बजट में चुनाव में मतदाताओं से किए गए वादों को पूरा करने का ब्यौरा होगा. बजट में सबसे अधिक उत्सुकता ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर है. कांग्रेस सरकार ने राज्य में OPS लागू करने का वादा किया था और कैबिनेट में इस संदर्भ में फैसला लिया है. ओपीएस का प्रारूप क्या होगा और उसके लिए फंड की क्या व्यवस्था होगी, ये मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पहले बजट का सबसे बड़ा आकर्षण रहेगा.
मुख्यमंत्री ऐलान कर चुके हैं कि राज्य में पहली अप्रैल से सरकारी कर्मचारियों का न्यू पेंशन स्कीम के तहत कटने वाला अंशदान बंद हो जाएगा. इस प्रकार ये तय है कि हिमाचल प्रदेश में पहली अप्रैल से ओपीएस लागू हो जाएगी, लेकिन इसका स्वरूप क्या होगा, ये बजट भाषण में दिखेगा. इसके अलावा सुखविंदर सिंह सरकार सरकारी क्षेत्र में कम से कम 20 हजार नौकरियों का ऐलान करेगी. वैसे तो कांग्रेस की चुनावी गारंटी के अनुसार प्रियंका वाड्रा ने वादा किया था कि पहले ही साल एक लाख नौकरियां कैबिनेट की पहली ही बैठक में घोषित की जाएंगी, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ये कहा है कि कांग्रेस की गारंटियां पांच साल के लिए हैं. रोजगार के मसले पर राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी ने सुझाव दिया है कि पहले साल 20 हजार नौकरियां देने का प्रयास किया जाए. अकेले शिक्षा विभाग में 12 हजार से अधिक पद खाली हैं. राज्य सरकार ने सभी विभागों से खाली पदों का ब्यौरा मंगवाया था. ऐसे में उम्मीद है कि बजट में कम से कम 20 हजार नौकरियां घोषित की जाएंगी.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व महिलाओं को डेढ़ हजार रुपए प्रति माह देने का ऐलान किया था. इस गारंटी को पूरा करने के लिए भी सरकार ने एक कमेटी गठित की है. इस कमेटी ने पात्रता आदि को लेकर वर्क आउट किया है. महिलाओं को पंद्रह सौ रुपए प्रति माह कैसे दिए जाएं, इसे लेकर बजट में घोषणा होने के आसार हैं. इसके अलावा कांग्रेस की एक अन्य प्रमुख गारंटी पशुपालकों से दूध खरीद की है. गाय का दूध अस्सी रुपए प्रति किलो और भैंस का दूध प्रति किलो सौ रुपए के हिसाब से खरीदा जाना है.
एक पशुपालक से रोजाना दस किलो दूध खरीदा जाना है. इस तरह भैंस पालने वाले ग्रामीण को हर महीने 30 हजार रुपए की आय सुनिश्चित हो सकेगी और गोपालन में सक्रिय किसान को 24 हजार रुपए महीना की आय होगी. दूध खरीद का क्या स्वरूप रहेगा, ये भी बजट घोषणा में शामिल होने के आसार हैं. साथ ही कांग्रेस ने उपभोक्ताओं को 300 यूनिट निशुल्क बिजली प्रदान करने का वादा किया है. इस बारे में भी बजट में घोषणा होगी.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त विभाग के अफसरों व अन्य संबंधित विभागों को ये निर्देश दिए थे कि बजट भाषण को टू द पॉइंट तैयार किया जाए. ऐसे में बजट भाषण छोटा होने के आसार हैं. इस बजट का आकार 54 हजार करोड़ रुपए तक हो सकता है. हाल ही में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया था. अनुपूरक बजट में छह हजार करोड़ रुपए का ओवर ड्राफ्ट दर्शाया गया है. ऐसे में अनुमान है कि सीएम कोई चौंकाने वाला ऐलान भी कर सकते हैं.
हिमाचल में कर्ज का मर्ज हर सरकार के लिए सिरदर्द है. सुखविंदर सिंह सरकार को भी कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हिमाचल में बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है. इसके अलावा लिए गए कर्ज को लौटाने और कर्ज के ब्याज को चुकाने पर भी भारी रकम खर्च होती है. ऐसे में विकास के लिए नाममात्र राशि ही बचती है.
आलम ये है कि खजाने को सांस लेने लायक बनाया जा सके, इसके लिए सुखविंदर सिंह सरकार ने अभी विधायक क्षेत्रीय विकास निधि की अंतिम किस्त जारी नहीं की है. जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी बजट का आकार 50192 करोड़ रुपए रखा था. उस समय सौ रुपए का मानक रखने पर सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च हो रहे थे. पेंशन पर खर्च 14.11 रुपए था, लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए खर्च हो रहे थे. इस तरह विकास के लिए सिर्फ 43.94 पैसे बच रहे थे. अभी सरकार को नए वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एरियर व डीए पर दस हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने पड़ेंगे.
ऐसे में देखना है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कर्ज के मर्ज का क्या तोड़ निकालते हैं. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या सरकार कोई नया कर लगाएगी. कारण ये है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कई बार कड़े कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है. हालांकि सरकार ने वाटर सेस लागू कर 4000 करोड़ रुपए सालाना जुटाने की बात कही है, लेकिन इससे गुजारा होना संभव नहीं है. हिमाचल को वित्तायोग की ग्रांट में भी कटौती हो रही है और केंद्र से जीएसटी कंपनसेशन भी बंद हो चुका है. देखना है कि कांग्रेस सरकार के पहले बजट में आर्थिक संसाधन जुटाने पर क्या विजन रहता है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का कहना है कि हिमाचल में आर्थिक विकास के लिए आय के नए संसाधन जुटाने की खास जरूरत है. पर्यटन सेक्टर पर नए सिरे से काम करना पड़ेगा.