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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में केसर की खेती, किसान की मेहनत ला रही है रंग - रायपुर में केसर की खेती

Kashmir saffron now in Raipur: केसर की खेती देश में गिने चुने इलाकों में ही होती है. अब रायपुर की गिनती भी केसर की खेती वाले इलाकों में होगी.

Success story of Chhattisgarh farmer
रायपुर में अब केसर की खेती
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 29, 2023, 9:22 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में केसर की खेती

रायपुर: केसर को सबसे महंगा मसाला कहा जाता है. इसकी कीमत हमेशा से हाई ही रहती है. जैसे इसकी कीमत बहुत है. वैसे ही इसकी खेती भी बहुत ही ज्यादा कठिन है. रायपुर के एक किसान ने केसर की खेती करने की कोशिश की है. काफी रिसर्च के बाद किसान ने केसर की खेती करने का साहस किया है.

केसर की खेती करने वाले कौन हैं: सरायपाली निवासी किसान मनमोहन नायक किसान का नाम है. मनमोहन नायक ने अपने फार्म हाउस में केसर की खेती करनी शुरू कर दी है. इसके लिए फार्म हाउस में कश्मीर जैसी व्यवस्था की गई है. केसर की खेती ठंड में होती है. लिहाजा मनमोहन नायक ने शीत कक्ष यानी कोल्ड रूम की व्यवस्था की है. ये फार्म हाउस रायपुर के भाटा गांव में है.

कैसे होती है केसर की खेती: ईटीवी से खास बातचीत में मनमोहन नायक ने बताया कि, फार्म हाउस में लगभग 200 स्क्वायर फीट का एक रूम तैयार किया गया है. इस रूम में फ्रीजर जैसी ठंडक रहती है, या यूं कहें कि कश्मीर जैसी ठंडक को इस रूम में मेंटेन किया जाता है तो गलत नहीं होगा. कमरे में केसर की पैदावार के लिए जरूरत के हिसाब से हवा और रोशनी का इंतजाम किया गया है. रूम में कई रैक हैं जिसमें 500 से अधिक लकड़ी का ट्रे है. ट्रे में 100 से 150 केसर के बीज हैं. बीज प्याज की तरह ही दिखने में लगता है.

मिट्टी, खाद और पानी की जरूरत नहीं: केसर के बीजों को उगाने के लिए न तो मिट्टी की जरूरत होती है और न ही खाद पानी की.कहा जा सकता है कि, हवा में ही केसर की खेती होती है. बीज में ही केसर का फूल आता है. उसे तोड़कर उसमें से केसर को अलग करते हैं. केसर का फूल साल में एक बार ही आता है.

कश्मीर से लाए बीज: पुराने तरीके से खेती किसानी कर मनमोहन नायक थक गए थे, इनके मन में कुछ नया करने की ख्वाहिश जगी. इन्होंने केसर की खेती के बारे में जानकारी जुटाई. फिर राज्यों के किसानों से मिले. फिर कश्मीर से केसर के बीज लाकर रायपुर में इसकी खेती शुरू की.

केसर के बीजों का संरक्षण: केसर के बीजों को संरक्षित करने का तरीका थोड़ा अलग है. इसे खुले आसमान के नीचे मिट्टी की क्यारी बनाकर संरक्षित करते हैं. मनमोहन नायक ने फार्म हाउस में एक जगह कुछ मिट्टी की क्यारी बनाई है. क्यारी में खाद रसायन को मिलाया है, जो केसर की पैदावार और बीच को संरक्षित करने के लिए जरूरी है. केसर के बीजों को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है. फिर अगले सीजन में इस बीच को निकाल कर कोल्ड रूम रखा जाता है. जिसमें दोबार फूल आते हैं. बीजों का इस्तेमाल 5 से 6 बार तक किया जा सकता है.

किसानों को देंगे ट्रेनिंग: मनमोहन नायक को उम्मीद है कि, 200 स्क्वायर फीट के रूम में करीब 2 किलो केसर एक साल में उगेगा.मनमोहन नायक को अगर पहली बार में उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलेगी तो इस खेती को वे विस्तार देंगे. साथ ही दूसरे किसानों को भी वे केसर की खेती करने के लिए प्रेरित करेंगे.

सबसे महंगे मसाले के फायदे जानिए: केसर के बारे में कहा जाता है कि, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में बिकने वाला सबसे महंगा मसाला केसर है. इसका इस्तेमाल खाने-पीने की चीजों में किया जाता है. जड़ी बूटी उपचार के लिए भी केसर का इस्तेमाल करते हैं. शरीर के लिए फायदेमंद है केसर. महंगा होने के चलते सोने की तरह केसर भी ग्राम के हिसाब से बिकता है.

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में केसर की खेती

रायपुर: केसर को सबसे महंगा मसाला कहा जाता है. इसकी कीमत हमेशा से हाई ही रहती है. जैसे इसकी कीमत बहुत है. वैसे ही इसकी खेती भी बहुत ही ज्यादा कठिन है. रायपुर के एक किसान ने केसर की खेती करने की कोशिश की है. काफी रिसर्च के बाद किसान ने केसर की खेती करने का साहस किया है.

केसर की खेती करने वाले कौन हैं: सरायपाली निवासी किसान मनमोहन नायक किसान का नाम है. मनमोहन नायक ने अपने फार्म हाउस में केसर की खेती करनी शुरू कर दी है. इसके लिए फार्म हाउस में कश्मीर जैसी व्यवस्था की गई है. केसर की खेती ठंड में होती है. लिहाजा मनमोहन नायक ने शीत कक्ष यानी कोल्ड रूम की व्यवस्था की है. ये फार्म हाउस रायपुर के भाटा गांव में है.

कैसे होती है केसर की खेती: ईटीवी से खास बातचीत में मनमोहन नायक ने बताया कि, फार्म हाउस में लगभग 200 स्क्वायर फीट का एक रूम तैयार किया गया है. इस रूम में फ्रीजर जैसी ठंडक रहती है, या यूं कहें कि कश्मीर जैसी ठंडक को इस रूम में मेंटेन किया जाता है तो गलत नहीं होगा. कमरे में केसर की पैदावार के लिए जरूरत के हिसाब से हवा और रोशनी का इंतजाम किया गया है. रूम में कई रैक हैं जिसमें 500 से अधिक लकड़ी का ट्रे है. ट्रे में 100 से 150 केसर के बीज हैं. बीज प्याज की तरह ही दिखने में लगता है.

मिट्टी, खाद और पानी की जरूरत नहीं: केसर के बीजों को उगाने के लिए न तो मिट्टी की जरूरत होती है और न ही खाद पानी की.कहा जा सकता है कि, हवा में ही केसर की खेती होती है. बीज में ही केसर का फूल आता है. उसे तोड़कर उसमें से केसर को अलग करते हैं. केसर का फूल साल में एक बार ही आता है.

कश्मीर से लाए बीज: पुराने तरीके से खेती किसानी कर मनमोहन नायक थक गए थे, इनके मन में कुछ नया करने की ख्वाहिश जगी. इन्होंने केसर की खेती के बारे में जानकारी जुटाई. फिर राज्यों के किसानों से मिले. फिर कश्मीर से केसर के बीज लाकर रायपुर में इसकी खेती शुरू की.

केसर के बीजों का संरक्षण: केसर के बीजों को संरक्षित करने का तरीका थोड़ा अलग है. इसे खुले आसमान के नीचे मिट्टी की क्यारी बनाकर संरक्षित करते हैं. मनमोहन नायक ने फार्म हाउस में एक जगह कुछ मिट्टी की क्यारी बनाई है. क्यारी में खाद रसायन को मिलाया है, जो केसर की पैदावार और बीच को संरक्षित करने के लिए जरूरी है. केसर के बीजों को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है. फिर अगले सीजन में इस बीच को निकाल कर कोल्ड रूम रखा जाता है. जिसमें दोबार फूल आते हैं. बीजों का इस्तेमाल 5 से 6 बार तक किया जा सकता है.

किसानों को देंगे ट्रेनिंग: मनमोहन नायक को उम्मीद है कि, 200 स्क्वायर फीट के रूम में करीब 2 किलो केसर एक साल में उगेगा.मनमोहन नायक को अगर पहली बार में उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलेगी तो इस खेती को वे विस्तार देंगे. साथ ही दूसरे किसानों को भी वे केसर की खेती करने के लिए प्रेरित करेंगे.

सबसे महंगे मसाले के फायदे जानिए: केसर के बारे में कहा जाता है कि, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में बिकने वाला सबसे महंगा मसाला केसर है. इसका इस्तेमाल खाने-पीने की चीजों में किया जाता है. जड़ी बूटी उपचार के लिए भी केसर का इस्तेमाल करते हैं. शरीर के लिए फायदेमंद है केसर. महंगा होने के चलते सोने की तरह केसर भी ग्राम के हिसाब से बिकता है.

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