पटना : कोरोना से बचाव के लिए मास्क की अनिवार्यता पर सरकार द्वारा विशेष बल दिया जा रहा है. ऐसे में मास्क अधिक समय तक पहने रहने से बुजुर्गों, अस्थमा के मरीजों और सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों को सांस लेने में तकलीफ की समस्याएं बढ़ने लगी हैं. इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पटना के गोला रोड स्थित ज्ञान निकेतन स्कूल के आठवीं कक्षा के दो छात्रों ने स्मार्ट फेस मास्क (Smart Face Mask) तैयार किया है.
छात्रों ने ऑटोमेटिक सेंसर बेस्ड मास्क बनाया (Students made Automatic Sensor based Mask) है, जिसको चेहरे पर लगाने पर मास्क हमेशा नीचे रहता है. अगर मास्क पहने व्यक्ति के दो गज के दायरे में कोई जीवित प्राणी और मनुष्य आता है तो मास्क ऑटोमेटिक चेहरे को पूरी तरह से कवर कर लेता है. ज्ञान निकेतन के आठवीं कक्षा के दो छात्र शशांक कुमार और प्रत्यूष शर्मा ने इस तकनीक का इजाद किया है.
शशांक ने बताया कि इस स्मार्ट मास्क में ऑर्डिनो मोटर को लगाया गया है. इस मास्क में एक ट्रांसमिटर और एक रिसीवर लगा हुआ है. ट्रांसमीटर अल्ट्रासोनिक साउंड वेव रिसीव कर रिसीवर को भेजता है और रिसीवर आर्डिनो से सिग्नल को प्रोसेस कर सर्वो मोटर को भेजता है, जो कमांड कंट्रोल करता है और मास्क ऑटोमेटिक ऊपर चला जाता है. ह्यूमन हिट को ट्रांसमीटर अल्ट्रासोनिक साउंड वेव के तौर पर रिसीव करता है. इसलिए जैसे ही कोई सामने आता है, मास्क ऑटोमेटिक ऊपर हो जाता है और व्यक्ति जैसे ही दो गज की दूरी से दूर होता है, मास्क फिर से नीचे चला जाता है.
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छात्र प्रत्यूष शर्मा ने बताया कि कोरोना के दौरान उन्होंने देखा कि अस्थमा के मरीज और बुजुर्गों को मास्क पहनने से काफी परेशानी हो रही थी. बुजुर्ग लोग जल्द ही मास्क को ऊपर नीचे भी नहीं कर पाते हैं. इसके बाद उन्हें इस प्रकार का स्मार्ट मास्क बनाने का आइडिया आया. इस एक स्मार्ट मास्क को तैयार करने में 670 रुपये की लागत आई है और इसका यदि पेटेंट कराया जाए और बल्क में बनाया जाए तो इसकी लागत प्रति मास्क 100 रुपये से कम आ सकती है.
पटना ज्ञान निकेतन स्कूल के फिजिक्स के प्राध्यापक आलोक कुमार मिश्रा ने कहा कि बच्चे जब इस प्रोजेक्ट को लेकर उनके पास पहुंचे तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ कि इतनी कम उम्र में बच्चे इस प्रकार की सोच रखते हैं. इसके बाद उन्होंने बच्चों के इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने में अपना पूरा सहयोग दिया और फिर इस प्रोजेक्ट को राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भी लेकर गए, जहां यह प्रोजेक्ट टॉप 30 में सिलेक्ट किया गया है.