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सोमनाथ की धरती के पत्थर बढ़ाएंगे काशी विश्वनाथ धाम की शान - Stone carving work in Gujarat

वाराणसी में बाबा विश्वनाथ धाम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. अगस्त 2021 में इस काम को पूरा करने का लक्ष्य है. कार्यदायी संस्था के कारीगर दिन-रात मिलकर मंदिर के निर्माण में जुटे हुए हैं.

Vishwanath Corridor
काशी विश्वनाथ
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Published : Jan 13, 2021, 10:29 AM IST

वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के लिए श्री विश्वनाथ धाम यानी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम भी तेज गति से चल रहा है. अगस्त 2021 में इस काम को पूरा करने का लक्ष्य है. यहां पर तैयार हो रहा गुलाबी पत्थरों का स्ट्रक्चर, बेहतरीन नक्काशी के साथ बनाया जा रहा है, लेकिन खास बात ये है कि इन पत्थरों को बनारस में नहीं, बल्कि भगवान सोमनाथ की धरती यानी गुजरात में तराशा जा रहा है. यानी द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भगवान सोमनाथ की धरती से बाबा विश्वनाथ के धाम को तैयार करने में मदद की जा रही है.

तेजी से चल रहा विश्वनाथ धाम मंदिर का निर्माण कार्य

गुजरात की कंपनी कर रही कार्य
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का कार्य गुजरात की एक कंपनी को सौंपा गया है. कार्यदायी संस्था के इंजीनियर और कारीगर दिन-रात मिलकर बाबा विश्वनाथ के धाम की शोभा बढ़ाने के काम में जुटे हैं. तीन अलग-अलग शिफ्ट में एक हजार से ज्यादा कारीगरों की टीम इस काम में लगी हुई है. कॉरिडोर में सबसे अधिक कार्य गुलाबी पत्थरों से ही हो रहा है. मंदिरों का संकुल से लेकर मुख्य भवन, मंदिर चौक, धर्मशाला, यात्री कक्ष और अन्य भवन सभी गुलाबी पत्थरों से बनाए जा रहे हैं. यह गुलाबी पत्थर जयपुर, अहमदाबाद, चुनार और मिर्जापुर से मंगवाए गए हैं.

Vishwanath Corridor
बाबविश्वनाथ धाम मंदिर का निर्माण

पढ़ें : अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस : बरी करने के खिलाफ आज HC में सुनवाई

अलग-अलग पत्थरों का हो रहा इस्तेमाल
मिर्जापुर से आ रहे चुनार के गुलाबी पत्थर जमीन और दीवारों पर लगाए जा रहे हैं. जबकि, जयपुर से आ रहा मार्बल और अन्य पत्थर मंदिर संकुल और सीढ़ियों पर लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा गुलाबी पत्थरों पर बेहतरीन नक्काशी और डिजाइन गुजरात में बनाकर काशी भेजा जा रहा है. जिसे सिर्फ निर्धारित जगहों पर ही लगाया जा रहा है.

काम काफी तेजी से चल रहा है. जयपुर और गुजरात में पत्थरों को तैयार कर यहां मंगवाया जा रहा है. इंजीनियर्स यहां से स्केच तैयार कर वहां भेजते हैं और उसी आधार पर डिजाइन वाले पत्थर तैयार कर ट्रांसपोर्ट के जरिए उन्हें यहां भेजा जाता है. जिससे काम जल्दी और तेज गति से आगे बढ़ाया जा सके.

-दीपक अग्रवाल, कमिश्नर

वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के लिए श्री विश्वनाथ धाम यानी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम भी तेज गति से चल रहा है. अगस्त 2021 में इस काम को पूरा करने का लक्ष्य है. यहां पर तैयार हो रहा गुलाबी पत्थरों का स्ट्रक्चर, बेहतरीन नक्काशी के साथ बनाया जा रहा है, लेकिन खास बात ये है कि इन पत्थरों को बनारस में नहीं, बल्कि भगवान सोमनाथ की धरती यानी गुजरात में तराशा जा रहा है. यानी द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भगवान सोमनाथ की धरती से बाबा विश्वनाथ के धाम को तैयार करने में मदद की जा रही है.

तेजी से चल रहा विश्वनाथ धाम मंदिर का निर्माण कार्य

गुजरात की कंपनी कर रही कार्य
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का कार्य गुजरात की एक कंपनी को सौंपा गया है. कार्यदायी संस्था के इंजीनियर और कारीगर दिन-रात मिलकर बाबा विश्वनाथ के धाम की शोभा बढ़ाने के काम में जुटे हैं. तीन अलग-अलग शिफ्ट में एक हजार से ज्यादा कारीगरों की टीम इस काम में लगी हुई है. कॉरिडोर में सबसे अधिक कार्य गुलाबी पत्थरों से ही हो रहा है. मंदिरों का संकुल से लेकर मुख्य भवन, मंदिर चौक, धर्मशाला, यात्री कक्ष और अन्य भवन सभी गुलाबी पत्थरों से बनाए जा रहे हैं. यह गुलाबी पत्थर जयपुर, अहमदाबाद, चुनार और मिर्जापुर से मंगवाए गए हैं.

Vishwanath Corridor
बाबविश्वनाथ धाम मंदिर का निर्माण

पढ़ें : अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस : बरी करने के खिलाफ आज HC में सुनवाई

अलग-अलग पत्थरों का हो रहा इस्तेमाल
मिर्जापुर से आ रहे चुनार के गुलाबी पत्थर जमीन और दीवारों पर लगाए जा रहे हैं. जबकि, जयपुर से आ रहा मार्बल और अन्य पत्थर मंदिर संकुल और सीढ़ियों पर लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा गुलाबी पत्थरों पर बेहतरीन नक्काशी और डिजाइन गुजरात में बनाकर काशी भेजा जा रहा है. जिसे सिर्फ निर्धारित जगहों पर ही लगाया जा रहा है.

काम काफी तेजी से चल रहा है. जयपुर और गुजरात में पत्थरों को तैयार कर यहां मंगवाया जा रहा है. इंजीनियर्स यहां से स्केच तैयार कर वहां भेजते हैं और उसी आधार पर डिजाइन वाले पत्थर तैयार कर ट्रांसपोर्ट के जरिए उन्हें यहां भेजा जाता है. जिससे काम जल्दी और तेज गति से आगे बढ़ाया जा सके.

-दीपक अग्रवाल, कमिश्नर

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